आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अपने राजनीतिक विरोधियों का मुकाबला लोकतांत्रिक तरीके से करने की बजाए पंजाब में शांतिपूर्ण चुनावी माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।यह मानना शिरोमणि अकाली दल के महासचिव और राज्य सभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा का है। उन्होंने कहा कि सोमवार को गिद्ड़बाहा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक दूसरे के पोस्टर फाडऩे को लेकर हुई झड़प ने इसकी शुरूआत कर दी है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां गंभीर मुद्दों पर रचनात्मक बहस करने की बजाए पंजाब की राजनीति में पोस्टर फाडऩे के बदले में सिर फाडऩे जैसी हिंसक कार्रवार्ईयों को हवा दे रही हैं।
ढींढसा ने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की राजनीति दिल्ली के लिए तो फायदेमंद हो सकती है मगर पंजाब को इसका कोई लाभ नहीं है। कांग्रेस अपनी घटिया राजनीति से पंजाब को पहले ही बहुत लहुलुहान कर चुकी है। चुनावों के चलते हिंसा की राजनीति करना कांग्रेस की पुरानी फितरत है। उधर दिल्ली से यहां टपके आप नेता भी यह महसूस कर चुके हैं कि पंजाब के लोग उनकी जुम्लेबाजियों के झांसे में आने वाले नहीं हैं। आने वाले समय में आप की रैलियों में कौवे ही नजर आ सकते हैं। ढींढसा ने कहा कि दोनों दल अपनी पतली हालत को देख कर हिंसा फैला कर चुनावी माहौल खराब करना चाहते हैं।
जबकि शिरोमणि अकाली दल राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए वचनबद्ध है। ढींढसा ने इसके लिए चुनाव आयोग को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए दोनों दलों को चेतावनी देने का आग्रह किया है। ढींढसा ने कहा कि दोनों ही दलों के सस्ते राजनीतिक हथकंडों को देखते हुए ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमरेंदर सिंह चुनावों के दौरान पहले ही गड़बड़ी की आशंका जता चुके हैं। जबकि पिछले 27 बरसों में एक भी चुनावी हिंसा की घटना नहीं घटी। अलबत्ता 1991 में आतंकवादी हमले में हुई उम्मीदवारों की हत्या के चलते चुनावों को स्थगित कर दिया गया था।