आम आदमी पार्टी के सूबा कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर ने आज कहा कि शिरोमणि अकाली दल द्वारा पैदा किया गया, नशे का दैंत अब अपने रचनहार को निगलने के लिए तैयार बर तैयार है। छोटेपुर ने पूछा कि यदि ईडी द्वारा नशे के मामलो में मंत्री स्वर्ण सिंह फिलौर के पुत्र का नाम पेश करने के बाद उससे इस्तीफा लिया जा सकता है तो उसी सरकार में मंत्री बिक्रम मजीठिया और मुख्य पार्लयमैंटरी सचिव अविनाश चंद्र को उसी आरोपों के लिए सरकार से चलता क्यों नहीं किया गया। छोटेपुर ने कहा की पूर्व जेल मंत्री स्वर्ण सिंह फिलौर के पुत्र दमनवीर सिंह फिलौर द्वारा नशे के मामले में ईडी द्वारा सम्मन जारी करने बाद मुख्य पारलीमैंटरी सचिव अविनाश चंद्र के इस्तीफे की मांग किया जाना किसी गिरोह की लड़ाई की तरह प्रतीत होता है, जिस में गिरोह के एक मैंबर को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है जबकि दूसरे मैंबर (अविनाश) और उनका सरगना (मजीठिया) अभी काम कर रहे होते हैं।
छोटेपुर ने कहा कि पंजाब भर में अनेकों लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद अब नशे का यह दैंत अपने मालिक की तरफ बढ़ रहा है और आने वाले दिनों में ओर अन्य अकाली नेताओं द्वारा मजीठीए के इस्तीफे की मांग की जाएगी। दमनवीर फिलौर की तरह मजीठीया को इनफौरसमैंट डायरैक्टोरेट द्वारा नशों के मामले में शामिल होने के कारण जांच के लिए बुलाया था।
छोटेपुर ने बताया कि पंजाब पुलिस के पूर्व डीएसपी और नशे के मामले में गिरफ्तार जगदीश भोला ने फरवरी में ईडी द्वारा पूछताछ दौरान जेल मंत्री स्वर्ण सिंह फिलौर के पुत्र दमनवीर का नाम लिया था। भोले के खुलासे अनुसार दमनवीर नशे के व्यापार में शामिल रहा है और उसने ही दिल्ली के नशे के व्यापारी वरिन्दर राजा को गुराईयां के एक व्यापारी चुन्नी लाल गाबा जिसकी बद्दी में दवाओं की फैक्ट्री है को साथ मिलाया था। इसी कारण ही मुख्य मंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बिना किसी देरी के फिलौर को कैबिनेट मंत्री के पद से हटा दिया था। इस नशे के दैंत का अकाली दल पर पहला बार था, परंतु मजीठीया को इस मामले से बचाने के लिए अकालियों ने अविनाश चंद्र खिलाफ भी चूपी धार ली है।
छोटेपुर ने कहा कि सिर्फ आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि सारा पंजाब इस बात से अवगत है कि पंजाब में नशों का कारोबार किस की सरप्रस्ती में चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस बात के पुख्ता सबूत सामने आए हैं कि मजीठिया का इस व्यापार के साथ सीधा सम्बन्ध है परंतु ईडी और पंजाब पुलिस मजीठिया के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करने से बचती रही हैं। ईडी के सबूतों अनुसार मजीठिया नशो के अतंर राष्ट्रीय तस्करों को शह देता रहा है और खुद मजीठीया अमृतसर में अपने घर को अड्डे के तौर पर ईस्तेमाल करते रहे हैं। इसी कारण ही करोड़ों अरबों रुपए के नशे का कारोबार पंजाब में होता रहा है। इसी दौरान ईडी के जांच अधिकारी नरंजन सिंह को मजीठीया की जांच के लिए बुलाए जाने के चलते गोपनिया तरीके से 20 दिनों के अंदर ही उक्त अधिकारी को तबदील कर दिया गया था, जिसको कि माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के हुक्मों अनुसार फिर से उसी स्टेशन पर तैनात किया गया था। मजीठीए के दो नजदीकी साथी मनिन्दर सिंह औलख और जगजीत सिंह चाहल जो कि नशे के व्यापार दौरान ग्रिफतार किए गए थे ने भी मजीठीए का नाम अपने बोस के तौर पर पेश किया था। छोटेपुर ने कहा कि इसी तरह एक अन्य अतंर राष्ट्रीय नशा तस्कर जगदीश सिंह भोला ने भी नशे के व्यापार के लिए मजीठीए का सीधे तौर पर नाम लिया था।