उपराष्ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने कहा है कि चूंकि हम त्वरित, टिकाऊ एवं समावेशी विकास की कामना करते हैं इसलिए प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए हमें अधिक और बेहतर नवप्रर्वतनों की आवश्यकता होगी। वह आज मैसुरु में जेएसएस महाविद्यापीठ के जेएसएस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कर्नाटक् के राज्यपाल श्री वजूभाई रुदाभाई वाला, कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया, जगतगुरु शिवरथी देशी केंद्र महास्वामीजी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि एक विज्ञान आधारित, नवप्रवर्तक एवं विकसित समाज की स्थापना के लिए आम लोगों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति के विकास, अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मूलभूत विज्ञान पर फोकस एवं एक ऐसे अनुकूल वातावरण का निर्माण, जहां प्रश्न एवं साक्ष्य तार्किक चयनों के आधार का निर्माण करते हैं, करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सभी सामाजिक मेलजोलों के आधार के रूप में वैज्ञानिक मनोवृत्ति के महत्व को भारत में अच्छी तरह समझा गया था और इसे अनुच्छेद 51 ए (एच) के तहत हमारे संविधान में प्रतिष्ठापित किया गया।उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि प्रौद्योगिकीय स्व-निर्भरता अर्जित करने के लिए तथा गरीबी, कृषि उत्पादकता, जल संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन जैसी हमारी अनगिनत समस्याओं का स्थानीय समाधान ढूंढ़ने के लिए भारत का एक वैज्ञानिक नवप्रवर्तन हब बनना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बिना एक गुणवत्तापूर्ण उत्कृष्ट वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय ताकत के बिना हम एक महाशक्ति बनने की उम्मीद नहीं कर सकते।उन्होंने कहा कि विज्ञान में बड़े प्रश्नों को खोजने एवं नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे अनुकूल वातावरण के निर्माण की आवश्यकता है जो असहमति एवं गहन चिंतन, स्थापित ज्ञान एवं रुढि़यों को चुनौती देने के अनुकूल हो। उन्होंने कहा कि आलोचना विज्ञान में सभी उन्नतियों का आधार है और यह दृष्टिकोण किसी भी विचारधारा को थोपने में बाधा डालता है।