भारत और 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का 13वां शिखर सम्मेलन बुधवार की रात संपन्न हो गया। इस सम्मेलन में दोनों पक्षों ने अपनी रणनीतिक एवं आर्थिक साझेदारी मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है, "वैश्विक साझीदार और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में, इसके नेता यूरोपीय संघ और भारत के साझा मूल्यों एवं सिद्धांतों पर आधारित रणनीतिक साझीदारी मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करते हैं।"इन नेताओं ने 'ईयू-इंडिया एजेंडा फॉर एक्शन-2020' को मंजूरी देकर यूरोपीय संघ और भारत के बीच अगले पांच साल के लिए रणनीतिक साझीदारी के ठोस खाके की पुष्टि की।
इस एजेंडे में खासकर परस्पर हितों वाले क्षेत्रों जैसे एशिया, अफ्रीका, खाड़ी के देश, पश्चिम एशिया, यूरोप और अन्य क्षेत्रों के संबंध में विदेश नीति सहयोग को मजबूत करने पर जोर देने की बात है। इसके लिए नियमित बातचीत करने की बात कही गई है। इन नेताओं ने दुनिया में शांति, सुरक्षा व समृद्धि, परमाणु अप्रसार एवं निरस्त्रीकरण, आतंकवाद एवं जलवायु परिवर्तन, शरणार्थी संकट एवं आप्रवासन जैसी अन्य चुनौतियों से निपटने के प्रति अपनी गहरी रुचि की पुष्टि की। नेताओं ने यूरोपीय संघ एवं भारत की आर्थिक साझीदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस सम्मेलन में ईयू का प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एबाई डोनाल्ड टस्क और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लॉड जंकर ने किया। भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
नेताओं ने यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी) की भारत में बुनियादी ढांचे में दीर्घकालिक निवेश का समर्थन करने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया। पर्यावरण के लिहाज से टिकाऊ सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। नेताओं ने कुल 45 करोड़ यूरो ऋण का स्वागत किया। यह लखनऊ शहर में पहली मेट्रो रेललाइन के निर्माण के लिए दिया गया है। इस राशि के पहले हिस्से, 20 करोड़ यूरो के लिए ईआईबी और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षर किए गए। नेताओं ने ईआईबी द्वारा नई दिल्ली में कार्यालय खोलने का स्वागत किया। इसके जरिये दक्षिण एशिया में इस बैंक का क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व होगा। इन नेताओं ने दोहराया कि एक स्थिर एवं लोकतांत्रिक पाकिस्तान पूरे क्षेत्र के हित में है।