पिछले 26 वर्षो से मनोरंजन-उद्योग में काम कर रहे अभिनेता मनोज पाहवा ने कहा कि रंगमंच किसी कलाकार के लिए कौशल विकसित करने और समय के साथ प्रासंगिक रहने का तरीका सीखने का एक प्रभावशाली मंच है। अभिनय के पसंदीदा माध्यम के बारे में पूछे जाने पर मनोज ने आईएएनएस से कहा, “रंगमंच कलाकारों के लिए जिम है। एक कलाकार के लिए, थिएटर वह माध्यम है जो एक अभिनेता के तौर पर अपने कौशल, कल्पना, शारीरिक और मानसिक शक्ति पर काम करने का अवसर प्रदान करता है। थिएटर में आप प्रासंगिक रहने के लिए खुद को अपग्रेड करते हैं।”एक उदाहरण का हवाला देते हुए मनोज ने कहा, “हम ऐसे नाटकों में अभिनय करते हैं जिनमें सौ शोज के बाद भी हम एक ही भूमिका निभा रहे होते हैं। दर्शकों के लिए अपना अभिनय और नाटक दोनों को ही प्रासंगिक रखने के लिए एक कलाकार के रूप में हमें बदलते समय के साथ खुद को ट्यून करना होता है।”उन्होंने कहा, “इसे ठीक ढंग से करने के लिए हम बार-बार रिहर्सल करते हैं। यानि रंगमंच ही है जहां कलाकार को विकसित होने का मौका मिलता है।”अभिनेता जल्दी ही पारिवारिक फिल्म ‘खजूर पे अटके’ में दिखाई देंगे। इसमें विनय पाठक, डॉली आहलूवालिया, सीमा पाहवा, सना कपूर और सुनीता सेनगुप्ता जैसे सितारे प्रमुख भूमिकाओं में हैं। ‘खजूर पे अटके’ 18 मई को रिलीज होगी।