मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के 32 गांवों के किसान नहर की मांग को लेकर 22 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं। आंदोलनरत सात किसानों को सर्द हवाओं ने बीमार भी कर दिया है। मध्य प्रदेश किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष जसविंदर सिंह व महासचिव अशोक तिवारी ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि पटेल चौक पर 32 गांवों के किसान बेमियादी धरना दे रहे हैं, वे सिंचाई के लिए नहर की मांग कर रहे हैं। मगर किसान हितैषी होने का दावा करने वाली राज्य सरकार किसानों की बात सुनने को ही तैयार नहीं है। किसान सभा का आरोप है कि राज्य सरकार किसानों की बात सुनने की बजाय दमन का रास्ता अपनाने पर भरोसा करती है। मंदसौर के हादसे के बाद भी सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है, इसीलिए संवाद करने की बजाय यह सरकार दमन का रास्ता चुन रही है।किसान नेताओं के अनुसार, सरकार को समझना होगा कि दमन से आंदोलनों में तीव्रता आती है, उसे खत्म नहीं किया जा सकता।
वहीं ग्वालियर के सामाजिक कार्यकर्ता हरिमोहन भसनेरिया ने किसान आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकार कोकाकोला जैसी कंपनियों को तो पानी दे सकती है, मगर सिंचाई के लिए किसानों को पानी देने राजी नहीं है। इस इलाके को नहर मिल जाती है, तो चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होने लगेगी, जिस पर अभी खेती नहीं हो पा रही है। पानी की उपलब्धता से 32 गांव के साठ हजार से ज्यादा किसान लाभान्वित होंगे। भसनेरिया के अनुसार, किसानों ने 15 दिसंबर से 21 तक क्रमिक धरना दिया और 22 दिसंबर से उसे अनिश्चितकालीन धरने में बदल दिया। इस आंदोलन को बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों का भी साथ मिल रहा है।