भले ही पुलिस प्रशासन और एस टी ऍफ़ यानि स्पेशल टास्क फोर्स यह दावे कर रही है कि नशे पर काफी काबू पा लिया है लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है ।जंडियाला शहर ने अमृतसर का इलाके अनगढ़ जैसे माने जाने वाला इलाके जहाँ पर ज़हरीली शराब और हेरोइन के बड़े बड़े तस्करों के रैन बसेरा है क्योंकि शाम ढलते ही यहाँ गली गली में शराबियों का जमावड़ा शुरू हो जाता है ।जिसके चलते ज़हरीली शराब उन शराबियों को मजबूरन जिनके पास कोई और चारा नही होता ।बता दे कि इस के चलते कई घरों के चूल्हे ठंडे पड़ गए हैं। इस मोहल्ले के इलावा मानोवाला खूह ,नई आबादी भी नशे का गढ़ माने जाते हैं ।गौर हो कि इन इलाकों के बारे में सरकार की खुफिया रिपोर्ट भी जा चुकी है ।फिर भी पुलिस प्रशासन इनको रोकने में नाकाम रहा है ।पुलिस प्रशासन के नशे को रोकने में असफल रहने के कारण इन नशे के गढ़ को रोकने में पुलिस प्रशासन सवालों के घेरे में आ जाता है ।कुछ लोगों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ पुलिस कर्मी ऐसे भी है जो बातौर इन नशा बेचने वाले तस्करों से हफ़्तवारी या फिर महीने की वसूली करते हैं ।
जिसके चलते नशा तस्कर के हौसलें बुलंद हैं। कुछ नशा तस्कर अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते भी इस कारोबार को बढ़ा रहे हैं।रातों रात अमीर होने के सपने भी नशा बेचने को दे रहें हैं बढ़ावा ।सबसे अहम बात यह है कि आज के दौर में सबसे अहम पैसा माना जाता है ।अगर किसी भी नशा तस्कर चाहे वो छोटा या बड़ा हो उसकी जांच की जाए तो नतीजा खुद ब खुद सामने आ जायेगा ।यहाँ पर बहुत सारे नशा तस्कर जो मज़दूरी करके अपना पेट पालते थे आज वह आलीशान कोठियों में रह रहें है और लग्ज़री गाड़ियों में घूम रहे है ।अगर वो पकड़े भी जाते हैं तो पैसे के दम पर अपना केस इतना कमज़ोर बना लेते हैं कि वो जल्द ही जेल से छूट जाते हैं ।इससे उनकी सज़ा भी बहुत कम होती है या फिर केवल कुछ हज़ार रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है।ऐसी कार्रवाई होने से नशा तस्करों के हौसलें बुलंद होना तय है।भले ही सरकार ने नशे की तस्करी करने वालों की जायदाद कुर्क करने के नियम बनाए है लेकिन यह तो अमलीजामा पहनाए जाने के बाद ही इसका पता चल पाएगा।