तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने रविवार को कहा कि भारत व चीन में अपार संभावनाएं हैं और वे 'व्यावहारिक स्तर' पर साथ काम कर सकते हैं। स्माइल फाउंडेशन की पहल द वर्ल्ड ऑफ चिल्ड्रेन के उद्घाटन के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मेरा मानना है कि अत्यधिक संभावनाएं हैं..भारत व चीन बहुत अधिक जनकल्याण का कार्य कर रहे हैं..व्यावहारिक स्तर पर भी। कल्पना कीजिए कि दो अरब लोग साथ काम कर रहे हैं।"तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा 1959 से भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत व चीन, दोनों में से किसी देश के पास दूसरे को नष्ट करने की क्षमता नहीं है।उन्होंने कहा, "आप पसंद करें या ना करें, आपको एक साथ रहना है।"
दोनों देशों के बीच प्राचीन आध्यात्मिक जुड़ाव को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि चीनी बौद्ध ह्वेन त्सांग ने नालंदा (बिहार में) का दौरा किया और नालंदा की बौद्ध परंपराओं को चीन ले गए।उन्होंने कहा, "नालंदा के सभी विचारक भारतीय हैं। इसलिए नालंदा की परंपरा भारत की परंपरा है।"उन्होंने कहा, "नालंदा की परंपराओं ने तिब्बत के योद्धाओं को अत्यधिक दयालु, शांतिपूर्ण व अहिंसक देश में बदल दिया।"दलाई लामा हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "कभी-कभी दिल्ली में अपने भारतीय मित्रों को छेड़ते हुए (मैं कहता हूं) यदि तिब्बत पहले की तरह की जीवन शैली में रहता तो चीन की घुसपैठ नहीं हुई होती।"उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी हिंसा नहीं चाहता, लेकिन यह हो रही है, क्योंकि हमारा दिमाग विनाशकारी भावनाओं के प्रभुत्व में है।