केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बाल श्रमिक सम्मेलन में बाल मजदूरी निषेध पोर्टल के कारगर कार्यान्वयन के लिए मंच (पेंसिल) का शुभारंभ किया। पेंसिल एक इलेक्ट्रॉनिक मंच है जिसका लक्ष्य केंद्र और राज्य सरकारों, जिला स्तरीय प्रशासन, सिविल सोसायटी और आम लोगों को शामिल करते हुए बाल श्रमिक मुक्त समाज का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम करना है। श्री राजनाथ सिंह ने बाल मजदूरी के खिलाफ कानूनी फ्रेमवर्क लागू करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) भी जारी कीं। एसओपी का उद्देश्य प्रशिक्षकों, अधिवक्ताओं और निगरानी एजेंसियों के लिए एक मार्गदर्शक तैयार करना है ताकि बाल मजदूरी को पूरी तरह समाप्त किया जा सके और जोखिमपूर्ण श्रम से किशोरों की संरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसका अंतिम उद्देश्य भारत को बाल मजदूरी से मुक्त करना है।पोर्टल का उद्घाटन करने के बाद श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कोई भी सभ्य समाज बाल मजदूरी की अनुमति नहीं दे सकता। उन्होंने कहा बाल मजदूरी एक अभिशाप है। उन्होंने कहा कि भारत को पूरे देश से बाल मजदूरी के उन्मूलन का संकल्प लेने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संकल्प से ही इस बुराई को समाप्त किया जा सकता है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के करो या मरो के संकल्प के पांच वर्ष बाद देश आजादी प्राप्त कर सका तो कोई कारण नहीं है कि यदि भारत एकजुट होकर बाल मजदूरी को समाप्त करने का संकल्प ले ले तो अगले पांच वर्षों में बाल मजदूरी मुक्त समाज का निर्माण न किया जा सके।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत द्वारा बाल मजदूरी संबंधी संधियों की पुष्टि करना इस बात का प्रमाण है कि हम समयबद्ध तरीके से बाल मजदूरी खत्म करने के प्रति संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस बारे में सामाजिक जागरूकता जरूरी है। उन्होंने ‘ऑपरेशन स्माइल’ का उदाहरण दिया जिसके अंतर्गत 70,000 से 75,000 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया था। उन्होंने कहा कि पेंसिल पोर्टल की सफलता के लिए भी देश में एक महीने का विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह अभियान ब्लॉक स्तर पर भी चलाया जाना चाहिए ताकि प्रत्येक व्यक्ति जागरूक बने और बाल मजदूरी समाप्त करने की दिशा में काम करे। उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी के सामाजिक दुष्प्रभावों के साथ-साथ आर्थिक दुष्प्रभाव भी है। प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एसओपी जारी करने के श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इससे कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी।श्रम और रोजगार मंत्री (प्रभारी) श्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि बच्चे देश की अमूल्य संपत्ति हैं और देश का भविष्य हैं। उन्होंने कहा कि अल्पावधि आर्थिक और सामाजिक बाधाओं के कारण बाल श्रमिकों से होने वाली आमदनी अच्छी लग सकती है मगर दीर्घावधि में ऐसा नहीं होता। उन्होंने कहा कि बच्चों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए कानून में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के रोजगार पर लगाने की इजाजत नहीं है। 14 से 18 साल के बच्चों को भी ऐसे कामों में नहीं लगाया जा सकता जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हों। उन्होंनेकहा कि कानूनों को लागू करने में सबसे बड़ी बाधा जागरूकता की कमी की है और आज जो दिशानिर्देश तथा स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर्स (एसओपीज) जारी किये गये हैं वे प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि बाल श्रम एक सामाजिक समस्या है और सकारात्मक दृष्टिकोण की इसके उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत के सभी लोग बाल श्रममुक्त समाज के निर्माण के स्वप्न को साकार करने के लिए एकजुट होंगे।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्यार्थी इस अवसर पर सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। ‘पेंसिल’ पोर्टल की शुरुआत करने पर प्रसन्न्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक अवसर है। भारत विश्व को यह बता रहा है कि वह बच्चों के हाथों में पेंसिल थमाएगा न कि काम करने के औजार। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इन अभियानों में देश के शीर्षस्थ नेताओं को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेंसिल और एसओपीज न सिर्फ भारत के लिए बल्कि समूची दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये एक नयी दिशा दिखाते हैं। उन्होंनेकहा कि इससे यह बात साबित हो जाती है कि टेक्नोलाजी सामाजिक उत्थान और शक्ति का माध्यम बन सकती है। श्री सत्यार्थी ने कहा कि इस समय वह भारत यात्रा पर हैं और देश भर में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार और बच्चों को बेचे जाने के बारे में चेतना जगाने के कार्य में लगे हैं। उन्होंने बच्चों के साथ यौन दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए संस्थागत प्रणाली और विशेष अदालतें बनाए जाने का भी सुझाव दिया।इससे पहले अपने स्वागत भाषण में श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव श्रीमती एम. सत्यवती ने कहा कि सरकार ने कई पहल की हैं और 2025 तक बाल श्रम के उन्मूलन के क्षेत्र में टिकाऊ विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कानूनी ढांचा खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि भारत में 2001 की जनगणना के आंकड़ों की अगर 2011 की जनगणना के आंकड़ों से तुलना की जाए तो बाल श्रम में कमी आयी है। 2 जून 2017 को अधिसूचित केंद्रीय नियमों में संशोधन को अंतिम रूप देने से पहले सभी संबद्ध पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया है।सम्मेलन के दौरान एक वीडियो संदेश में अंतर्राष्ट्रीय श्रमसंगठन के महानिदेशक श्री गाइ रायडर ने भारत को उसकी दूरदृष्टि के लिए बधाई दी और आशा व्यक्त की कि भारत दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रयासों को समर्थन देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस अवसर पर बाल श्रम पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गयी और ‘पेंसिल’ पोर्टल (pencil.gov.in) पर एनीमेशन के जरिए विस्तृत प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया। इस पोर्टल के कई घटक हैं जैसे खोए हुए बच्चों का पता लगाने के लिए चाइल्ड ट्रैकिंग प्रणाली; शिकायत के लिए कोना; राज्य सरकार और राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना, तथा कनवर्जेंस, जिलों में जिला नोडल अधिकारी (डीएनओज) मनोनीत किये जाएंगे जो शिकायतें प्राप्त कर 48 घंटे के भीतर उनकी प्रामाणिकता की जांच करेंगे और शिकायत के सही पाये जाने पर पुलिस के साथ मिलकर बचाव अभियान शुरू करेंगे। अब तक 7 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने डीएनओज की नियुक्ति कर ली है।उत्तर प्रदेश, असम, दिल्ली, तेलंगाना, तमिल नाडु, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और राजस्थान के श्रम मंत्रियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन में राज्यों के श्रम सचिवों, केन्द्रीय मंत्रालयों के सचिवों, जिला नोडल अधिकारियों और राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) के परियोजना निदेशकों ने भी हिस्सा लिया।