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विजिलेंस द्वारा सिंचाई विभाग में घपले संबंधी मुकद्दमा दर्ज

ठेकेदार सहित दो सीनियर अधिकारियों और चार सेवा निवृत अधिकारियों विरुद्ध मामला

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5 Dariya News

चंडीगढ़ , 18 Aug 2017

सिंचाई विभाग में टैंडरों की अलॉटमैंट के अवसर हुई अनियमितताओं की व्यापक जांच के लिए विजिलेंस  ब्यूरो पंजाब ने आज गुरिंदर सिंह ठेकेदार सहित विभाग के दो आधिकारियों समेत चार सेवामुक्त अधिकारियों विरूद्ध अपराधिक केस दर्ज किया है। विजिलेंस की टीमों ने इस जांच संबंधी ठेकेदार की जायदादों की पड़ताल के लिए अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की है क्योंकि इस ठेकेदार ने 100 करोड़ की लागत के साथ चण्डीगढ़, मोहाली, लुधियाना, पटियाला और नोयडा में ग़ैर- कानूनी तौर 30 पर अधिक जायदादों बनाईं हुई हैं।इस संबंधी जानकारी देते हुये विजिलेंस ब्यूरो के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस केस में गुलशन नागपाल, एक्सियन, परमजीत सिंह घुम्मन, चीफ़ इंजनियर (सेवामुक्त), बजरंग लाल सिंगला, ऐक्सियन, हरविन्दर सिंह, चीफ इंजीनियर (सेवामुक्त), कमिंदर सिंह दयोल, एस.डी.ओ (सेवामुक्त), गुरदेव सिंघ मिना, चीफ़ इंजीनियर (सेवामुक्त), विमल कुमार शर्मा सुपरवाइजऱ और सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारी भी शामिल हैं जिनके द्वारा सरकारी पदों  का दुरुपयोग करके गुरिंन्दर सिंह के साथ मिलीभगत द्वारा गैरकानून्नी तरीके से राज्य सरकार को बड़ी वित्तीय नुक्सान पहुंचाने का दोषी पाया है।उन्होंने कहा कि उक्त दोषियों विरूद्ध भ्रष्टाचार रोक थाम कानून की धारा 13 (1) डी.आर /डब्ल्यू 13 (2) और आई.पी.सी. की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 477 -ए और 120 -बी के अंतर्गत दर्ज आज थाना विजिलेंस ब्यूरो एस.ए.एस नगर में दर्ज किया गया है।

प्रवक्ता ने बताया कि इसके इलावा पुशपिंदर गर्ग, चीफ़ इंजीनियर नहरेंं, जो सिंचाई विभाग के चीफ़ विजिलेंस अफ़सर (सी.वी.ओ.) हैं, की भूमिका संबंधी भी जांच की जायेगी क्योंकि उन्होंने दोषी गुरिन्दर सिंह के खि़लाफ़ दर्ज शिकायतें को बंद कर दिया था। इसी तरह दूसरे ठेकेदारों पुशपिंदर सिंह सिद्धू और खारा कांटरैकटरज़ की भूमिका को भी जांच के घेरे में लाया गया है क्योंकि उन्हों ने गुरिंदर सिंह ठेकेदार के साथ मिल कर जाली टैंडर डाले थे।और विवरण देते हुये उन्होंने बताया कि इस घपले संबंधी विजिलेंस की तरफ से 30 जून 2017 को विजिलेंस पड़ताल दजऱ् की गई थी ताकि सरकार द्वारा स्वीकृत शर्तों को अनदेखा करके कुछ ठेकेदारों को सिंचाई विभाग के कुछ आधिकारियों की तरफ से मिलीभगत के साथ ठेके दिए गए और टैंडरों की शर्तों संबंधी नियमों को ताक पर रखते हुये सरकारी खजाने को करोड़ों का नुक्सान पंहुचानेा संबंधी पूरी पड़ताल की जा सके।पड़ताल दौरान देखा गया कि पिछले 7-8 वर्षो दौरान राज्य सरकार के सीनियर आधिकारियों और सिंचाई विभाग के आधिकारियों ने मिलीभगत के साथ ई -टैंडरिंग के नियमों को अनदेखा करते हुये छोटे टैंडरों को मिलाकर बड़ा टैंडर बनाकर गुरिंदर सिंह ठेकेदार को वित्तीय लाभ पंहुचाए गए और टैंडरों की गोपनियता को भी क्षति पहुंचाई गई। उक्त ठेकेदार को लगभग 1000 करोड़ रुपए के टैंडर अलॉट हुए जो विभागीय रेटों की अपेक्षा 10-50 प्रतिशत अधिक रेटों पर अलॉट किये गए। ऐसी अलॉटमैंट के समय पर शर्तों को इस तरह बनाया गया कि बोली देने वाले ठेकेदार को फ़ायदा पंहुचाया जा सके और अन्य ठेकेदार इस मुकाबले में खड़े न हो सकें।

विजिलेंस ने यह भी पता लगाया कि इस समय दौरान 2करोड़ की लागत वाले ठेके अन्य ठेकेदारों को विभाग द्वारा निर्धारित रेटों से कम रेटों पर अलॉट किये जाते रहे। उन्होंने बताया कि जब टैंडर प्रकाशित करने के समय उसमें काम की जगह, काम मुक मल करने का समय और डी.एन.आई.टी की ज़रूरी तकनीकी सिफारशें नहीं लिखों जातीं थीं और ऐसा न होने की सूरत में अन्य ठेकेदार अपने टैंडर दाखि़ल करने से रह जाते थे परंतु गुरिन्दर सिंह के पास यह सूचना पहले ही होने के कारण टैंडर उसे अलॉट हो जाता था। उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 -07 दौरान गुरिंदर सिंह ठेकेदार की वार्षिक आय सिफऱ् 4.74 करोड़ रुपए था जो कि वर्ष 2016 -17 दौरान बढ़कर 300 करोड़ रुपए हो गई। इसके इलावा इस ठेकेदार से मोटा कमीशन खाने के लिए निर्माण कार्यो के मानक और मटीरियल में भी घपलेबाज़ी की गई।विजिलेंस ब्यूरो ने जांच दौरान यह भी पता लगाया कि सिंचाई विभाग में करोड़ों रुपए के घपले हुए हैं जिसके लिए गत् 7-8 वर्षो दौरान ड्रेनेज एवं कंडी  प्रोजेक्टों की और गहराई से पड़ताल करने के लिए सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारियों का पिछला रिकार्ड देने के लिए कहा गया है परंतु उनके द्वारा इस संंबधी विजिलेंस को कोई रिकार्ड नहीं दिया गया। प्रवक्ता ने बताया कि भरोसेयोग्य सूत्रों से पता लगा है कि 13 वें वित्त कमीशन की तरफ से पंजाब राज्य के लिए वर्ष 2012 से वर्ष 2015 दौरान करीब 180 करोड़ रुपए और सेम की रोकथाम के लिए साल 2013 से वर्ष 2016 दौरान करीब 440 करोड़ रुपए के फंड अलॉट किये गए। इनमें अधिकतर टैंडरों में विभाग के आधिकारियों ने उक्त दोषी ठेकेदार को निर्माण कार्य 10 प्रतिशत अधिक रेट पर अलॉट किये जिससे आधिकारियों और ठेकेदार की आपसी मिलीभगत का पता लगता है।

उन्होंने बताया कि साल 2011 -12 दौरान अबुल खुराना ड्रेन का काम भी ऐक्सियन गुलशन नागपाल की तरफ से उक्त ठेकेदार को ही टैंडरों की शर्तों में ढील दे कर दिया गया। इसके इलावा स्थापित नियमों को नजरअंदाज करके छोटे छोटे कामों को इक_े करके 39.86 करोड़ का टैंडर बना दिया और समूचा टैंडर इसी ठेकेदार को अलॉट कर दिया गया।उन्होंने बताया कि ड्रेनेज विभाग के कामों का एस्टीमेट भी मुख्यमंत्री के साथ तैनात तकनीकी सलाहकार से स्वीकृत नहीं करवाया और गलत तथ्यों के आधार पर यह छूट कागज़ों में दर्शायी गई। इन कामों में यह भी देखा गया कि ठेकेदार को जो टैंडर अलाट हुए वह विभाग की तरफ से तय रेटों से अधिक रेटों पर दिए गए जबकि अन्य  ठेकेदारों ने टैंडर भरने समय 20-30 प्रतिशत रेट कम भरे थे। इससे पता लगता है कि विभाग के आधिकारियों ने उक्त ठेकेदार को लाभ पंहुचाने के लिए मंत्रियों द्वारा अलग -अलग समय दौरान लिए गए फ़ैसलों को भी दरकिनार कर दिया।आधिकारियों द्वारा अन्य लापरवाहियों का विवरण  देते हुये प्रवक्ता ने कहा कि वर्ष 2012 दौरान सतलुज दरिया पर पुल के निर्माण के अवसर पर  टैंडर भरने के लिए सिफर्4 दिन ही दिए गए जबकि सी.वी.सी के निर्देशों अनुसार टैंडर भरने के लिए कम से -कम 14 दिनों की ज़रूरत होती है और यह टैंडर भी गुरिंदर सिंह ठेकेदार को अधिक रेटों पर अलॉट कर दिया गया। 

उन्होंने  बताया कि बहुत से टैंडरों के रेटों में गुरिंदर सिंह द्वारा 1 रुपया रेट घटा कर टैंडर भर दिया जाता था जिस में उक्त ठेकेदार को टैंडर अलॉट हो जाता था। जिससे पता लगता है कि विभाग के आधिकारियों की मिलीभगत के साथ ठेकेदार को टैंडर अलॉट होते थे।प्रवक्ता ने बताया कि केंद्र की हिदायतों अनुसार आपदा प्रबंधन फंडों का प्रयोग समय अदायगियां सी.एस.आर रेटों अनुसार करना ज़रूरी था परंतु ठेकेदार गुरिन्दर सिंह को लाभ पंहुचाने के लिए सी.एस.आर रेटों से अधिक रेटों पर छापने अलॉट किये जाते रहे जिस कारण  सरकारी खजाने को बड़ा वित्तीय घाटा पड़ता रहा। इस के इलावा जनवरी 2017 में चुनाव आचार संहिता लगने से कुछ दिन पहले ही टैंडरों की कुछ शर्तों को ख़त्म करके समझौते के अंतर्गत ही गुरिंदर सिंह ठेकेदार को दो बड़े निर्माण कार्य अलॉट कर दिए। यह भी पता लगा है कि उस समय पर इस ठेकेदार की विभाग के उच्च आधिकारियों की बदलियां समय तूती बोलती थी। उन्होंने बताया कि विभाग में से भ्रष्टाचार के ख़ात्मे के लिए विजीलैंस की तरफ से बीते समय दौरान हुई लापरवाहियों के लिए ओर भी सरकारी आधिकारियों और सिंचाई अफसरों की भूमिका की पड़ताल की जायेगी।

 

Tags: Vigilance Bureau

 

 

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