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देश को भी है ऑक्सीजन की जरूरत

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5 Dariya News

13 Aug 2017

गोरखपुर की घटना शांतिकाल में हुआ सबसे भीषण जनसंहार कहा जाएगा। दरअसल, ये तस्वीर लोकतंत्र बहाली के 70 साल में हमारी कमाई और बनाई हुई व्यवस्था का एक हिस्सा मात्र है। विडंबना देखिए, पैसों का भुगतान न होने पर जीवनरक्षक ऑक्सीजन की आड़ में इंसानों की सांसें रोकी जाने लगी हैं। पिछले सत्तर वर्ष की आजादी में हम हिंदुस्तानियों ने यही तो कमाया है। बीआरडी कांड सामाजिक उपेक्षा की उस दर्दनाक कहानी का प्रचार मात्र है, जो असहाय-गरीबों के हिस्से में आती है। घटना हमारी सूखती संवेदनाओं का परिचय दे रही है। अगर हममें जरा भी शर्म बची है तो एक बार जरूर सोचना होगा कि क्या ऐसी ही आजादी और लोकतंत्र की कल्पना हमने की थी। गरीब अपने अधिकारों से सदैव वंचित रहा है। अगर आजादी के मायने हैं यही हैं, तो इससे बेहतर तो गुलामी ही थी।

नौनिहालों की ऑक्सीजन की कमी के नाम पर उनसे उनका जीवन छीनने का हक ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा सेल्स को किसने दी? घटना में जिन्होंने अपनी औलादें खोई हैं, क्या उनकी पीड़ा का अहसास भी पुष्पा सेल्स कंपनी को या सरकार को। तुम्हारे इन कुकृत्यों को शायद ही ईश्वर भी माफ करे! गोरखपुर बाल संहार घटना को घटित करने में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और बीआरडी प्रशासन दोनों प्रत्यक्ष रूप से दोषी हैं। पुष्पा सेल्स कंपनी ने बकाया भुगतान नहीं होने पर ऑक्सीजन रोकने की धमकी को अस्पताल को हल्के में लेना भारी पड़ा। अस्पताल की इस घोर लापरवाही ने बच्चों को मौत के आगोश में धकेल दिया। इस बाल संहार की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। पूरा हिंदुस्तान विचलित और दुखी है। लोग पीड़ित परिवारजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। घटना ने कई परिवारों के आंगनों की किलकारी हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दी है। जिले में अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया है। जिन-जिन के बच्चे मौत के आगोश में समाए हैं, उनके घरों से निकलने वाली चीखें हम सबको रुला रही हैं। घरों में मातम मचा हुआ है। 48 घंटे के भीतर प्रत्येक घंटे में एक बच्चे ने दम तोड़ा, यानी 48 घंटे में 48 नौनिहालों की जिंदगी खत्म। इस घटना को लापरवाही नहीं, बल्कि 'मर्डर' कहा जाए।मामला इसलिए भी ज्यादा गंभीर माना जा रहा है कि हादसा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में हुआ है। जिले से ताल्लुक रखने के चलते वहां का प्रशासनिक अमला हमेशा सतर्क रहता है। बीआरडी में पिछले दो सालों से पुष्पा सेल्स नाम की कंपनी जीवनरक्षक ऑक्सीजन गैस सप्लाई कर रही है। कंपनी का पिछले एक साल का करीब 69 लाख रुपये बकाया था, जिसे चुकाने में बीआरडी प्रशासन आनाकानी कर रहा था। 

कंपनी ने इस बावत कई बार खत लिखा, जिसका उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया। इसके बाद कंपनी ने अस्पताल के भीतर लिक्विड ऑक्सीजन रोकने का फैसला किया। कंपनी को यह बात ठीक से पता थी कि इसके बाद क्या हो सकता है? मौतों का अंबार लग जाएगा? पर, विडंबना देखिए किसी की परवाह न करते हुए आखिर में कंपनी ने वही किया जो नहीं करना चाहिए था। उसका नजीता हमारे सामने है। कंपनी अस्पताल में इंसेफेलाइटिस वार्ड समेत करीब तीन सौ मरीजों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन दे रही थी, जिसे घटना के दिन देना बंद कर दिया था। मरीजों ने ऑक्सीजन नहीं मिलने से दम तोड़ना शुरू कर दिया। कंपनी ने अस्पताल प्रशासन को कुछ दिन पहले ही पेमेंट भुगतान नहीं होने पर ऑक्सीजन सप्लाई ने देने की धमकी भी दे चुकी थी। पर अस्पताल ने उनकी धमकी को गंभीरता से नहीं लिया। इस घटना के पीछे ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा सेल्स कंपनी व अस्पताल प्रत्यक्ष रूप से दोषी है। हालांकि घटना पर अब सियासत शुरू हो गई है। मामला अब मुख्य मुद्दे से हटकर राजनैतिक रूप धारण कर लेगा। इसके बाद घटना को जांच के सहारे छोड़ दिया जाएगा। पीड़ितों को मुआवजा बांटा जाएगा। कुछ दिन बाद मामला एकदम शांत हो जाएगा। पीड़ितों को ताउम्र असहनीय दर्द झेलने के लिए छोड़ दिया जाएगा। सवाल उठता है कि फिर इतनी बड़ी घटना कैसे घटी? इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं? खैर इन मौतों के आंकड़े को स्वाभाविक बताना संवेदनहीनता के अलावा और कुछ नहीं। हम पीड़ित परिवारों के दुख का अंदाजा नहीं लगा सकते कि उन पर क्या बीत रही होगी। दरकार इस बात की है कि मामले की लीपापोती नहीं होनी चाहिए, दोषियों को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए। सूबे की सरकार इस बात को फिलहाल नकार रही है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हादसा हुआ। सरकार के इस दावे की सच्चाई की पोल खोलने के लिए एक ताजा उदाहरण यह भी है। दरअसल, ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने पिछले साल जुलाई में भी ऑक्सीजन की सप्लाई पैमेंट नहीं होने पर रोक दी थी। फिर भी सरकार सचेत नहीं हुई। ऑक्सीजन कंपनी ने जो असंवेदनहीनता का परिचय दिया है, उसका सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं। इस कृत्य में सरकार, प्रशासन व कंपनी बराबर की भागीदार हैं। गोरखपुर के जिस अस्पताल बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में अमानवीय घटना घटी है वह सूबे के मुख्यमंत्री संत योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि में आता है। ताज्जुब इस बात का है कि विगत 9 व 10 तारीख को खुद ने इस अस्पताल का औचक निरीक्षक कर स्वास्थ्य व्यवस्था का जायजा लिया था। 

उन्होंने अस्पताल के प्राचार्य, सीएमओं के अलावा आदि चिकित्सकों से बात की थी। तब उन्हें कहीं कोई चूक नहीं दिखाई दी। बावजूद इसके, इतनी घोर किस्म की लापरवाही सामने आई है। इस घटना से पूरा देश परेशान है। दुखी होकर लोग तरह-तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार व राज्य की योगी सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था पर सबसे ज्यादा जोर देने का दावा करती हैं, पर गोरखपुर की मौजूदा घटना उनके दावों की कलई खोलने के लिए प्र्याप्त है। उत्तर प्रदेश के कई जिले इस समय घातक बीमारी इनसेफेलाइटिस की चपेट में हैं। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने इनसेफेलाइटिस रोग को रोकने के लिए और उसके उन्मूलन के लिए एक अभियान छेड़ रखा है। इस बीमारी से सबसे ज्यादा रोगी उनके गृह जनपद गोरखपुर के ही हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो इस रोग से उत्तर प्रदेश में हर साल सैकड़ों बच्चों की जान जाती है। योगी ने इस रोग पर काबू पाने के लिए पोलियो अभियान की तरह खत्म करने का प्रण कर रखा है। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि इनसेफेलाइटिस का उन्मूलन हमारा लक्ष्य है। योगी ने अभियान की सफलता के लिए जागरूकता और जनता की सहभागिता पर जोर दिया था। अभियान राज्य के सबसे बुरी तरह प्रभावित पूर्वी क्षेत्र के 38 जिलों में शुरू किया गया है। क्षेत्र में पिछले चार दशक में इस रोग की वजह से लगभग 40 हजार बच्चों की मौत हो चुकी है। गोरखपुर की घटना के बाद पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार सवालों के घेरे में आ गई है। अगर व्यवस्था चरमराती हो तो सवाल उठाना लाजिमी हो जाता है। ऑक्सीजन की कमी से मौत के आगोश में समाए साठ बच्चों के परिवारों के दुख में सभी लोग साथ खड़े हो गए हैं। भले ही घटना हिंदुस्तान में घटी हो, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी उनका दर्द महसूस किया जा सकता है। वहां के अखबारों में ये खबर प्रमुखता से छापी गई है। लोग बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ मांग रहे हैं। शनिवार को सुबह खुले देश के तकरीबन स्कूलों में गोरखपुर के बाल संहार में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दिल्ली के कई स्कूलों में शांति अरदास की गई, सभा के दौरान कई बच्चे भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।

 

Tags: KHAS KHABAR

 

 

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