पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई पंजाब मंत्री परिषद् की बैठक में आज अनुसूचित एवं पिछड़ी जाति वर्ग से संबंधित योग्य परिवारों को मुफ्त आवास प्रदान करने के लिये' पंजाब शहरी आवास योजना-2017Ó को स्वीकृति दे दी है। इस योजना के अंतर्गत्त पहले पड़ाव में 3 लाख से कम वार्षिक आय वाले और दूसरे पड़ाव में 5 लाख वार्षिक आय वाले लाभपात्री फ्री हाउसिंग सुविधा का लाभ ले सकेंगे।समाज के गरीब वर्गों को वाजिब दरों वाले घर मुहैया करवाने के अपने प्रमुख चुनाव वायदे को पूरा करने के लिए कांग्रेस सरकार द्वारा पहले पड़ाव दौरान 3 लाख रुपए सालाना आमदन से कम वाले और दूसरे पड़ाव दौरान 5लाख रुपए सालाना आमदन से कम वाले परिवारों को यह मकान मुहैया करवाए जाएंगे। इस स्कीम के अधीन योग्य लाभपातरी मुफ़्त मकान सुविधाओं प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने इस स्कीम का लाभ असली लाभपातरियें को यकीनी बनाने के लिए संबंधित विभागों को बहुत ज़्यादा ध्यान देने की सख्त हिदायतें की हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी योग्य लाभपात्री समाज कल्याण स्कीम के लाभ से वंचित नहीं रहना चाहिए और किसी भी अयोग्य व्यक्ति का नाम इस सूची में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस में किसी भी प्रकार की गलती से बचने के लिए पूरा ध्यान इस्तेमाल कि या जाये और सभी को इस स्कीम की जानकारी प्राप्त हो। मंत्री मंडल की मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस स्कीम के अधीन उसी जगह पर ही ज़रूरतमंदों के लिए मकान बनाये जाएंगे जहाँ उनकी ज़रूरत होगी। ई.डी.सी., सी.एल.यू. आदि के द्वारा निजी डिवैलपरों को रियायतों देकर वाजिब दरों वाले घरों के निर्माण करवाये जायेंगे। सभी स्रोतों के द्वारा तीन लाख रुपए से कम वार्षिक आमदन वाले योग्य लाभपात्ररियों /शहरी गरीबों के लिए स्टैंप ड्यूटी /रजिस्ट्रेशन चार्ज या सूबा सरकार का कोई अन्य सैस या सामाजिक बुनियादी ढांचा फंड आदि से भी छूट मुहैया करवाई जायेगी। यह स्कीम कम आय वाले ग्रुप (एल.आई.जी.) वाले परिवारों (सभी स्रोतों से वार्षिक आय 6 लाख रुपए से कम वाले) और मध्यम आय ग्रुप (एम.आई.जी.) वाले परिवारों (सभी स्रोतों से 18 लाख रुपए सालाना आमदन से कम वाले) के लिए सस्ती दर वाले कजऱ् मुहैया कराने की सुविधा प्रदान करेगी।
देहाती विकास, स्थानीय निकाय विभागों या अन्य कोई भी विभाग जिसकी ज़मीन आर्थिक तौर पर कमज़ोर वर्गों (ई.डबलयू.एस.) के लिए निर्माण करने के लिए उचित होगी, वह मकान और शहरी विकास विभाग को मुफ़्त में तबदील की जायेगी। अगर इस मकसद के साथ संबंन्धित शिनाख़्त की गई ज़मीन सरकार के किसी अन्य विभाग की होगी तो सूबा स्तरीय स्वीकृति देने और निगरानी करने वाली कमेटी (एस.एल.एस.एम.सी.) को अधिकार होगा कि वह स्थानीय निकाय विभाग (शहरी स्थानीय निकायों)/आवास और शहरी विकास विभाग (विकास अथॉरिटी) के द्वारा ज़मीन का प्रयोग का फ़ैसला ले। ऐसा करते समय यह संबंन्धित विभाग की सहमति भी लेगी। काबिलेगौर है कि पंजाब की कुल जन संख्या 2.77 करोड़ है जिनमें से 37.49 प्रतिशत शहरों में रहती है। वर्ष 2041 तक शहरी इलाकों में 50 प्रतिशत से अधिक जन संख्या के रहने की भविष्यवाणियों के मद्देनजऱ शहरी गरीबों को वाजिब दरों पर घर यकीनी बनाने ज़रूरी हो गए हैं।