स्पीकर साहिब, एम एल ए साहिब द्वारा जो केबल के व्यापार संबंधी मामला उठाया गया था, उसकी जांच दौरान एक अन्य नापाक गठजोड़ सामने आया है जिसमें गत् एक दशक में पंजाब के राजस्व के साथ 500 करोड़ रूपए से अधिक की ठगी हुई है। यदि यह पैसा पंजाब के खज़ाने में जमा होता तो एक बड़ा शहर विकसित किया जा सकता था। संक्षेप में बताए तो पंजाब का केबल व्यापार इस ढंग से चलता है- टीवी कंपनी से डिस्ट्रीब्यूशन एजेंट, डिस्ट्रीब्यूशन एजेंट से मल्टी सिस्टम ऑपरेटर, मल्टी सिस्टम ऑपरेटर से केबल ऑपरेटर और फिर अंत में आम उपभोक्ता। जिसमें फॉस्टवे कंपनी सबसे अग्रणीय है।केबल का यह कारोबार 2007 में अकाली सरकार आने के बाद स्पीड पकड़ गया। क्योंकि इसके पीछे पंजाब को लूटने की मंशा के साथ बढ़ोतरी की गई और एकाधिकार द्वारा लघु केबल कारोबार को समाप्त किया गया।इस समय पंजाब में फॉस्टवे केबल नाम की कंपनी द्वारा लगभग समूह पंजाब में केबल का व्यापार किया जा रहा है। पर आश्चर्यजनक बात यह है कि इन आंकड़ों में केवल 1 लाख 25 हज़ार के लगभग कुनैक्षन बताए हैं जबकि सच यह है कि पंजाब में 80 लाख के लगभग टी वी चल रहे हैं।पंजाब में 8000 से अधिक केबल ऑपरेटर हैं, उनमें 6500 प्रत्यक्ष रूप से फॉस्टवे और लगभग 1500 अप्रत्यक्ष रूप से इसके अधीन हैं। आश्चर्य की बात यह र्है कि केन्द्र सरकार के सर्विस विभाग के पास 1500 लोकल केबल ऑपरेटरों का खाता है। शेष दो नंबर में चलते हैं। जानकारी अनुसार सर्विस टैक्स विभाग ने लगभग 250 करोड़ रूपए के सर्विस टैक्स नोटिस जारी किए हैं। इनमें 23 करोड़ रूपए जमा भी हो गए हैं।
पंजाब के टैक्सों की चोरी की बात:-
मनोरंजन कर की चोरी
पंजाब में मनोरंजन कर दिनांक 13 नवंबर 2011 से लागू किया गया। इस तहत प्रत्येक लोकल केबल ऑपरेटर और मल्टी सिस्टम को प्रत्येक वर्ष 15 हज़ार रूपए मनोरंजन कर देना था। आश्चर्य की बात है कि 8000 लोकल केबल ऑपरेटर और 18 मल्टीमिस्टम ऑपरेटरों में केवल 150 ही कभी-कभार टैक्स देते हैंं। हैरान करने वाली बात है कि बादलों के पैतृक जिले मुक्तसर साहिब में एक ही केबल ऑपरेटर और मल्टी सिस्टम ऑपरेटर मनोरंजन कर नहीं देता। यह जानकारी आर टी आई कानून तहत आई है। इस प्रकार लगभग 85 करोड़ कर ब्याज और जुर्माना डालकर कुल 184 करोड़ रूपए का पंजाब सरकार को चूना लगा है।
सेल्ज़ टैक्स की चोरी
फॉस्टवे ट्रांसमिशनज़ लुधियाना और इसकी 12 दूसरी कंपनियां विदेशों से सैटटॉप बॉक्स मंगवाती हैं। उनपर सैंट्रल वैट वापिस ले लेती हैं। इन सैटटॉप बॉक्सों को इनके द्वारा किराए पर अपने ग्राहक को 30 से 40 रूपए महीने पर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त यह सैटटॉप बॉक्स की सिक्योरिटी के रूप 800 से 2500 रूपए तक वसूले जाते हैं। सिक्योरिटी का असूल होता है जब सैटटॉप बॉक्स वापिस किया जाए तो समूह सिक्योरिटी राशि वापिस की जाए, पर यह सिक्योरिटी की राशि प्रत्येक माह घटा कर अंतिम तीसरे वर्ष समाप्त की जाती है। इनकी रिफंड पॉलिसी वैबसाईट पर उपलब्ध हेै। इस सैटटाप बॉक्स की ब्रिकी पर सेल्ज़ टैक्स लगता है पर यह कभी भी सेल्ज़ टैक्स नहीें भरते। इन्होंने गत् 5 वर्षों में लगभग 100 करोड़ रूपए से सेल्ज़ टैक्स की चोरी की है। ब्याज व जुर्माना डालकर कुल राशि 220 करोड़ रूपए बन जाती है।
सडक़ खोदना और तारें डालना:
फास्टवे ने रिलायंस के साथ मिलकर पूरे पंजाब में सडक़ों को खोदकर ऑप्टीकल फाइबर डाली है। सडक़ें खोदने पर 500 रुपये प्रति मीटर और 1000 रुपये मेनहोल के देने बनते हैं। रिलायंस को इन शर्तो पर तारें डालने की आज्ञा दी गई थी कि वह फास्टवे की तारें निशुल्क डालें। नगर निगमों, सडक़ीय विभाग, राष्ट्रीय राजमार्गो, नहरी विभाग, वन विभाग और रेलवे की भूमि में तारें डाली गई हैं परंतु ना तो मंजूरी ही ली गई और ना ही कोई खर्च किया गया। पंजाब में 1100 कि.मी तारों का जाल बिछाया गया परंतु कोई भी पैसा सरकार को नही दिया गया। यह सीधे तौर पर देश की सुरक्षा को खतरा है और बिना आज्ञा के तारें डालने एवं पुलिस का पर्चा दर्जा होना चाहिए। सरकार को लगभग 83 करोड़ का व्याज डालकर 180 करोड़ रुपये की वसूली शेष है जिसका सरकार को चूना लगा है।
बिजली के पोल पर तारों के खर्चे
पंजाब बिजली बोर्ड के पोलों पर केबल की तारें हर शहर और गांव में डाली गई हैं इसलिए सरकार को 100 रुपये प्रति खम्भा खर्चा देना होता है। पंजाब में लगभग 3 लाख 25 हजार पोल इस्तेमाल किये जा रहें हैं परंतु कोई पैसा सरकार को नही दिया जाता। इस प्रकार बिजली बोर्ड को अबतक 30 करोड़ का चूना लगा है। इसपर 300 प्रतिशत जुर्माना और व्याज अलग है। कुल राशि लगभग 100 करोड़ रुपये बनती है। वसूली जाने वाली कुल राशि लगभग 684 करोड़ रुपये बनती है।