पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज कहा कि उनकी सरकार राज्य में उद्योगों तथा व्यापारिक ईकाईयों के हितों के मद्देनजर न्यूनतम तकनीक से जी एस टी लागू करने के लिये वचनबद्ध है।उन्होंने कहा कि राज्य के आबकारी एवं कराधान विभाग को स्पष्ट निर्देष दिये गये हैं कि वस्तु और सेवाकर के लागू करने की प्रक्रिया के दौरान बकायेदारों या डिफाल्टरों की गिरफतारी वाली मद को अमल में ना लाया जाये। राज्य में कर संबंधी सार्वजनिक षिकायतों के ठोस एवं निष्पक्ष निपटारे के लिये कर लोकपाल की स्थापना के निर्णय संबंधी बताते हुये उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर को लागू करने के लिये उद्योगों, व्यापारियों से अन्यों को योग्य समय दिया जायेगा।उन्होंने कहा कि राज्य के वित मंत्री उनकी सरकार के वित्तीय संकट पर काबू पाने के उद्धेष्यों की विस्तार सहित व्याख्या करेंगे ताकि वित्तीय उपायों का ध्यान केवल वित्तीय सूझबूझ, कठोर अनुषासन तथा जवाबदेही पर केंद्रित होगा। उन्होंने कहा कि कृषि, उद्योग और सर्विस क्षेत्रों में धन की सृजना के वित्तीय उपाय, रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध करवाने तथा सरकार के व्यापार, कारोबार तथा आर्थिकता का आधार बढ़ाने के प्रयासों के पाि प्रदर्षक होंगे नाकि गत् सरकार की तरह कर ढांचे के अधिक दमनकारी होने के।राज्य के हितों को कर नीतियों तथा कानूनों में तोडफ़ोड़ करने वाली गत् सरकार के राज्य को प्रभावित करने वाले निर्णयों की बात करते हुये उन्होंने कहा कि यह सबकुछ राज्य में करों के एक समान होने से ही स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि गत् सरकार ने 10 वर्षो में निर्धारित किये गये लक्ष्यों को कभी भी प्राप्त नही किया और इस मुद्दे पर राज्य को 13 हजार करोड़ रूप्ये का घाटा झेलना पड़ा। उन्होंने भरोसा दिया कि वह आर्थिकता में गिरावट के रूझान को विपरीत करते हुये राज्य को शीघ्र ही बेहतर आर्थिकता एवं विकास दर के मार्ग पर डालेंगे।
अपनी सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये बनाई नई आबकारी नीति का जिक्र करते हुये उन्होंने कर ढांचे को प्रत्येक स्तर पर तर्कसंगत बनाकर, उद्योगों, व्यापार और कारोबार के लिये समानता का क्षेत्र उपलब्ध करवाने की वचनबद्धता व्यक्त की। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 दौरान सफलतापूर्वक आबकारी नीलामियां करवाकर 1016 करोड़ रूप्ये का राजस्व प्राप्ति से गत् वर्ष से 23.1 प्रतिषत अधिक राजस्व जुटाने की बात भी सांझी की।उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मालवाहक वाहनों की स्वतंत्रता चाल में डाली रूकावटों को भी दूर करने का फैसला किया है और वस्तु एवं सेवा कर एक्ट के कामयाबी से अमल में लाने के बाद आबकारी एवं कराधान विभाग के सूचना एकत्र केंद्र भी समेटे जायेंगे।कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने सोमवार को राज्य के वित और गवर्नैंस पर श्वेत पत्र सदन में सार्वजनिक किया जिसमें राज्य पर कुल 208051.96 करोड़ रूप्ये के ऋण का प्रगटावा किया गया है। यह कर्ज राज्य की जी डी एस पी का 49 प्रतिषत बनता है।मुख्यमंत्री पंजाब ने विधानसभा सदन में रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुये कहा कि ' श्वेत पत्र जोकि गत् सरकार के वित्तीय प्रबंधन, सूझबूझ की कमी और वित्तीय संभाल के लिये आवष्यक और समझदारी और कुषलता की कंगाली को सामने लाये हैं, दर्षाता है कि कांग्रेस सरकार को विरासत में खाली खजाना मिला है।
उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2017 तक राज्य का वित्तीय घाटा जोकि 26801 करोड़ रूप्ये पर खड़ा था, सही आंकड़ों की प्राप्ति के बाद और बढऩे की संभावना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 मार्च को 7,791.47 करोड़ रूप्ये के बिल अदायगी के लिये लंबित थे। कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते का बकाया 2773 करोड़ रूप्ये था जबकि बिजली सब्सिडी का 2342 करोड़ रूप्ये बकाया था। मुख्यमंत्री ने बताया कि 208051.96 करोड़ रूप्ये के कुल कर्जे में फसली कैष क्रेडिट लिमिट का 31 हजार करोड़ रूप्ये की अतिरिक्त देनदारी भी शामिल है जोकि गत् सरकार की कुप्रबंधन की विलक्षण मिसाल है। श्वेत पत्र का हवाला देते हुये कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रगटावा किया कि राज्य की अपनी राजस्व प्राप्तियों जोकि 2006-07 में 77.34 प्रतिषत थी, वर्ष 2016-17 में गिरकर 68.5 प्रतिषत पर आ गई है जबकि इसके विपरीत इन वर्षो में राज्य का केंद्रीय करों में हिस्सा 22.65 प्रतिषत से बढ़कर 31.5 प्रतिषत हो चुका है, गत् सरकार दौरान राज्य की अपने स्त्रोतों को बढ़ाने की क्षमता में गिरावट का स्पष्ट संकेत करता है।
मुख्यमंत्री द्वारा दर्षाये गये हैरानीजनक तथ्य और आंकड़े इस प्रकार हैं।
ऽ राज्य की विकास दर में वर्ष 2006-07 के मुकाबले गत् 10 वर्षो में 4.2 प्रतिषत की गिरावट
ऽ अनिवार्य खर्चो में कुल राजस्व की प्राप्तियां के 2006-07 के दौरान 78 प्रतिषत के मुकाबले 107 प्रतिषत बढ़ौतरी
ऽ पूंजी खर्चा जोकि राज्य के कुल खर्चे का 12 प्रतिषत था में 6 प्रतिषत की गिरावट
ऽ राजस्व खर्च वर्ष 2006-07 के 87.6 प्रतिषत के मुकाबले 2017 में 92.18 प्रतिषत
ऽ राजस्व घाटे में 1749 करोड़ रूप्ये से 13464 करोड़ रूप्ये की भारी बढ़ौतरी
ऽ मुख्यमंत्री ने ऋृण सेवा खर्च में घोर कुप्रबंधन विषेषकर खाद्य कैष क्रेडिट लिमिट स्वरूप इसके 2006-07 में 14,145 करोड़ रूप्ये से बढ़ाकर 30 हजार करोड़ रूप्ये की आषंका व्यक्त की