पंजाब विधान सभा के सदन में आज पंजाब के मुख्यमंत्री और विधायक दल के नेता कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में आत्महत्या कर चुके किसानों , नशों के कारण जान गवाने वालों को याद करने के साथ साथ बिछुड़ चुकी प्रसिद्ध शख्शियतों को भी श्रद्धाजंलि भेंट की गई ।बजट इजलास के पहले दिन सदन ने विभिंन क्षेत्रों से जुडी दस प्रसिद्ध हस्तियों को श्रद्धाजंलि दी जिन्होने अपनी अदभूत प्राप्तियों द्वारा राज्य पर अमिट छाप छोड़ी। विधायक सभा के स्पीकर राणा कंवर पाल सिंह ने इन शख्शियतों के परिवार तक सदन का शोक संदेश पहुंचाने के लिए एक प्रस्ताव पास किया।
दिवग्त आत्माओं की याद में सम्मान के रूप में दो मिनट का मौन रखा गया।सदन द्वारा सांसद विनोद खन्ना और राज्य के पूर्व पुलिस मुख्य कंवर पाल सिंह गिल्ल के अतिरिक्त निशान सिंह, गुरदेव सिंह और बंता सिंह (सभी स्वतंत्रता सैनानी), शहीद परमजीत सिंह और इंस्पैक्टर कम कपंनी कमंाडर सीआरपीएफ रघुबीर सिंह, कांस्टेबल लवप्रीत सिंह, कृषि विज्ञानी डा. दिलबाग सिंह अठवाल और कृपाल सिंह खीरनियां को श्रद्धाजंलि दी गई।
इससे पहले एक सदस्य की अपील पर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने स्पीकर को कर्जे के बोझ के कारण आत्महत्या कर चुके किसानों को भी श्रद्धाजंलि देने की अपील की जिसके लिए स्पीकर सहमत हो गये।
इसके पश्चात एक बयान जारी करते हुये मुख्यमंत्री ने किसानों का कर्जा माफ करने के लिए अपनी वचनबद्धता दोहराते हुये कहा कि हाल ही में उन्होने कुरकी का अंत करके अपने वायदे का पूरा कर दिया है। उन्होने कहा कि कर्जा माफी के वायदे से पीछे मुडऩे का प्रश्र ही पैदा नही होता और उसनी सरकार शीघ्र ही किसानों के कर्जो का हल करेगी और जमीन या संपति कुरक ना होने को भी यकीनी बनाएगी।इस दौरान स्थानीय सरकार मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा अकाली भाजपा सरकार के एक दशक के सत्ताकाल दौरान राज्य में नशों से जान गवाने वालों को भी श्रद्धाजंलि देने के लिए की गई अपील को स्पीकर ने स्वीकार कर लिया।इस दौरान कांग्रेसी सदस्य ब्रहम महिन्द्रा, हरमिन्द्र गिल्ल और गुरकीरत सिंह कोटली ने शिअद द्वारा पूर्व पुलिस मुख्य गिल्ल का नाम शोक प्रस्ताव में शामिल करने का विरोध करते हुये वाकआऊट करके सदन और स्पीकर की मर्यादा को कम करने की कोशिश और दिवग्त शख्शियतों की निरादर की कडी आलोचना की। उन्होने अकाली दल के वाकआऊट को राजनीतिक स्टंड बताया जिनके पास सरकार के विरूद्ध कोई भी मुददा नही है।
उन्होने कहा कि सरकार द्वारा शीघ्र ही श्वेत पत्र जारी करने के कारण अकाली स्वयं को किनारे लगा महसूस कर रहे है।बाद में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वास्तव में भाजपा की तीन सदस्य वाकआऊट में शामिल नही हुये जिससे यह प्रगटावा होता है कि अकालियो को अब उनका सहारा नही है। आप पार्टी की भी चाल पूरी तरह डामाडोल थी जिसका प्रगटावा इसके अपने सांझेदार लोक इंसाफ पार्टी के सदस्य के 15वीं विधान सभा के पहले समागम के विपरीत इस बार असल में अलाट हुई सीटों पर बैठने से होता है। सदन से बाहर पत्रकारों से बाचतीत करते हुये नवजोत सिंह ने कहा कि सरकार कृषि कर्जो की समस्या के स्थाई हल करने के लिए विचार कर रही है। श्री सिद्धू ने कहा कि उनका उदेश्य किसानों को इतना आत्मनिर्भर बनाना है ताकि उनको भविष्य में कर्जा लेने की जरूरत ना पड़े। किसानों को भरोसा दिलाते हुये उन्होने कहा कि राज्य सरकार किसानों को अपने पैरो पर खड़ा करने के लिए हर प्रकार सहायता देगी।
श्री सिद्धू ने साहूकारो की लाइसैंस प्रणाली का भी सुझाव दिया ताकि जरूरी आवश्यकता के कारण कर्जा लेने की प्रणाली में निरपक्षता यकीनी बनाई जा सके। मंत्री ने फसली बीमे की बात भी कही जिसके बारे में सरकार विचार कर रही है ताकि संकट में घिरे राज्य के किसानों के हित सुरक्षित रखे जा सके। उन्होने कहा कि सर छोटू राम पंजाब राहत कर्जा एक् 1934 के दिशा निर्देशों पर कंट्रोल होना चाहिए ताकि किसी भी किसान को ली गई राशि से दुगनी से अधिक अदा ना करने पड़े । उन्होने नरेगा के दुरप्रयोग को रोकने और पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसानों का इस स्कीम के घेरे में लाने में लिए केन्द्र सरकार से दखल देने की अपील की।न्यूनतम समर्थन मूल्य के मामले में श्री सिद्धू ने कहा कि कृषि लागत में तबदीली के अनुसार ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाना चाहिए ताकि किसानों को अपनी फसल का उचित लाभ मिल सके।