मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि राज्य के चुराचांदपुर जिले में सितंबर 2015 में भीड़ द्वारा मारे गए आठ जनजातीय कार्यकर्ताओं के शव बुधवार को दफनाए जाएंगे। सिंह ने सितंबर 2015 से संरक्षित कर रखे गए कार्यकर्ताओं के शवों को दफनाने का आमंत्रण दिया है। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री हो सकता है कि चुराचांदपुर जिला नहीं जाएं।मणिपुर विधानसभा द्वारा 31 अगस्त, 2015 को तीन इनर लाइन परमिट विधेयकों के पारित किए जाने के बाद हुई हिंसा में ये कार्यकर्ता मारे गए थे। चुराचांदपुर जिले में जनजातियों ने इस विधेयक को जनजातीय विरोधी करार देते हुए अगले दिन से प्रदर्शन शुरू कर दिया था।शवों की स्मारक झोपड़ियों को मंगलवार को किसी अज्ञात व्यक्ति ने आग लगा दी।
ऑल ट्राइबल वूमेंस यूनियन और ऑल ट्राइबल मूवमेंट लम्का ने जनजातीय विरोधी विधेयकों के खिलाफ मणिपुर सरकार और संयुक्त कार्रवाई समिति के बीच हुए समझौते (एमओयू) का विरोध किया है।इस समझौते के तहत सरकार ने शोकसंतप्त परिवार को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने पर सहमति जताई है और मामले की पुलिस जांच की बात कही है।इससे पहले जनजातीय कार्यकर्ताओं ने एक नए जिले व संविधान की 6ठी अनुसूची के विस्तार की मांग की थी। हालांकि, सरकार ने इस पर विचार करने से यह कहकर इनकार कर दिया कि इन मांगों का शवों के निपटान की वार्ता से कोई संबंध नहीं है।इस बीच सोमवार रात आठ बजे बिना सोचे-समझे मोरेह में हड़ताल का आह्वान किया गया। इससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।
यह हड़ताल कई नागरिक समाज संगठनों द्वारा एक महिला कुली अरमबाम शती को सोमवार को दो स्कूटर सवार नकाबपोशों द्वारा गोली मारे जाने के बाद आहूत की गई थी।मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने कहा, "हम मोरेह में बढ़ती हिंसा को लेकर चिंतित हैं। दो सैन्यकर्मियों की मोरेह के पास हत्या कर दी गई। चार पुलिसकर्मियों को भी घायल कर दिया गया। वहां चार बम विस्फोट हुए और एक महिला की मौत हो गई।"उन्होंने कहा, "इन गड़बड़ियों का मकसद एक्ट ईस्ट नीति को नुकसान पहुंचाने का हो सकता है। मैंने गृहमंत्री के पास एक रपट जमा की है। मैं स्थिति का पता लगाने के लिए एकीकृत कमान की बैठक आयोजित कर रहा हूं।"