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दूसरी पारी मुझे सुकून देती है : सचिन तेंदुलकर

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5 Dariya News

नई दिल्ली , 20 May 2017

तकरीबन चार साल पहले 'क्रिकेट के भगवान' सचिन तेंदुलकर ने खेल को अलविदा कह दिया था, लेकिन यह खेल उनके रूह में इस कदर रमा है कि वह अभी भी अपनी जिंदगी में सिर्फ क्रिकेट की बात करते हैं और संन्यास के बाद की जिंदगी को दूसरी पारी कहते हैं। मास्टर ब्लास्टर कहते हैं कि दूसरी पारी में वह वो सब करना पसंद करते हैं, जिसे करने से उन्हें सुकून मिलता है। चाहे वो अपने आप को चैरिटी के कार्यक्रमों से जोड़े रखना हो या अपने दिल के करीब की चीजों का समर्थन करना.. सचिन इस समाज को बहुत कुछ वापस देना चाहते हैं। सचिन ने आईएएनएस से बातचीत में अपनी भावनात्मक छवि को उजागर करते हुए कहा, "मेरी पहली पारी मैदान के बीच में थी, लगातार अपने विपक्षियों द्वारा रखे गए लक्ष्यों का पीछा करना, लेकिन मेरी दूसरी पारी में मेरी कोशिश वो सब करने की होती है जिससे मुझे सुकून मिले।"दिग्गज बल्लेबाज ने कहा, "यह एक और सफर है। मेरी जिंदगी का अन्य हिस्सा। हम सभी दूसरों के लिए कुछ करना चाहते हैं और इसलिए काफी कुछ करते हैं, यहीं चीजें मुझे सुकून देती हैं। मैं हर हाल में यह करना जारी रखूंगा क्योंकि यह एक लंबा सफर है।

"सचिन का मानना है कि उनके पास अब समय है। वह बैठकर सोच सकते हैं कि जिंदगी ने उनके साथ क्या किया और उन्होंने किस तरह जिंदगी जी। अपने इसी सफर को वह विश्व भर में फैले अपने प्रशंसकों के साथ साझा करना चाहते हैं। इसके लिए सचिन ने फिल्म 'सचिन-ए बिलियन ड्रीम्स' को जरिया चुना है, जो उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री ड्रामा है। इस फिल्म में सचिन के पेशे और उनके व्यक्तिगत जीवन की वीडियो फुटेज का भी इस्तेमाल किया गया है। उनकी फिल्म 26 मई को रिलीज हो रही है। एक बार फिर शायद उनके कंधों पर अरबों लोगों की उम्मीदों का भार होगा। सचिन का कहना है कि उन्हें एक बार फिर उसी तरह का एहसास हो रहा जैसा उन्हें स्टेडियम में जाने से पहले होता था, जब पूरा स्टेडियम "सचिन...सचिन.." एक ही स्वर में चिल्लाता था।क्रिकेट के इस दिग्गज रिकार्डधारी ने कहा, "लोगों के लिए यह अच्छा होता है कि उनसे उम्मीदें हों.. मैं उसी तरह का महसूस कर रहा जैसा मैदान पर करता था। क्या आप सोच सकते हैं कि मैं स्टेडियम में उतरूं और स्टैंड्स में से कोई भी मुझसे कोई उम्मीद न करे? मेरे लिए वो गलत जगह होगी।

"क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज सचिन ने कहा, "मैच से पहले मैं अपनी सभी तैयारियां पूरी कर लेता था, अगर मैं ऐसा कर लेता तो मैं इसके बाद शीशे के सामने जा कर खड़ा होकर कहता है कि हां अब मैं तैयार हूं। फिल्म के लिए मैं कह सकता हूं कि मैंने अपना 100 प्रतिशत दिया है। क्रिकेट की भाषा में हमने अपनी पहली पारी खेल ली और अब आप लोगों को उसे देखकर दूसरी पारी खेलनी है।"हर किसी की जिंदगी में भावनाएं बड़ा हिस्सा होती हैं। इस पर जब सचिन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ देर रुकने के बाद कहा, "ऐसे दो पल हैं। चूंकि हम उतार चढ़ाव की बातें कर रहे..तो सबसे बुरा पल तब था जब मैंने अपने पिताजी को खो दिया था। वह कभी न भरने वाला नुकसान था। 1999 के बाद मेरी जिंदगी में जो हुआ उसके गवाह वो नहीं बन पाए।

"उन्होंने कहा, "सबसे अच्छा पल, 2011 का विश्व कप जीतना था।"सचिन पहले ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें भारत रत्न मिला है। इसके अलावा उन्हें पद्म श्री, पद्म विभूषण, अर्जुन अवार्ड और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड मिला है। सचिन कहते हैं कि बचपन में वह काफी शरारती थे लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें बड़े ही सब्र के साथ पाला है।उन्होंने कहा, "वह मेरी मस्ती को लेकर काफी धैर्य रखते थे। मेरी शरारतों के बाद भी मेरे माता-पिता कभी गुस्सा नहीं करते थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह मुझसे कुछ कहते नहीं थे। वह मुझे काफी कुछ कहते थे लेकिन अच्छी तरह। वह अभी भी कहती हैं.. मेरी मां मेरे साथ ही रहती हैं।"उन्होंने कहा, "मैं अपने पिता को देखकर बड़ा हुआ। मैं जानकारी को खुद से ग्रहण कर लेता था। उन्हें हमेशा मुझे बताने की जरूरत नहीं पड़ती थी। मैं हमेशा उन्हें ही देखता रहता था क्योंकि मैं उन्हीं की तरह ही बनाना चाहता था।"सचिन का मानना है कि क्रिकेट से पहले और बाद में कई चीजें जो उनके प्रशंसकों को जाननी चाहिए। उनको उम्मीद है कि उनकी फिल्म से दर्शक कुछ न कुछ ले जाएंगे। 

 

Tags: Sachin Tendulkar

 

 

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