पंजाब सरकार ने आज केन्द्र सरकार को राज्य में पानी की गंभीर स्थिती व पड़ोसी राज्य से पानी बांटने के बारे में अपनी अस्मर्था से अवगत करवाया और पंजाब को वातावरण तबाही से बचाने के लिए सतलुज यमुना लिंक नहर के मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार को दखल देने की मांग की।राज्य के मुख्य सचिव कर्ण अवतार सिंह व प्रमुख्य सचिव (सिंचाई)केबी एस सिद्धु पर आधारित एक शिष्ट मंडल भारत सरकार के जल स्त्रोत , नदी विकास व गंगा पृण:जीवित मंत्रालय के सचिव डा. अमरजीत सिंह को मिला व सतलुज यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर राज्य का पक्ष पेश किया। इस मामले की सुनवाई अभी सुप्रीम कोर्ट ने करनी है।इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 27 अप्रैल को होगी। पिछली सुनवाई दौरान केंन्द्र सरकार ने इस मामले को आगे करने की मांग करते हुए कहा था कि उसने पिछले कई दशक से पड़े इस मुद्दे के हल के लिए 20 अप्रैल को पंजाब व हरियाणा के बीच में मीटिंग बुलाई है। पंजाब में नई बनी सरकार ने भी इस मामले की तैयारी के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय की मांग की थी।
पंजाब सरकार के एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार आज एक घण्टे की मीटिंग के दौरान राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को कहा कि पाकिस्तान को जा रहा पानी रोकने के लिए उचित कदम उठाए और पानी के हर कतरे को पंजाब में ही प्रयोग में लाने की आज्ञा दी जाए।पंजाब के पास ज्यादा पानी न होने व यहां वह रही पानी की प्रत्येक बूंद को रोकने की जरुरत का जिक्र करते हुए शिष्ट ने केन्द्र सरकार को इस समस्या के तर्कमय हल के लिए आगे आएं और राज्य में पानी की कमी को ध्यान में रखने की अपील की गई।शिष्ट मंडल ने सचिव को बताया कि पंजाब में मात्र 28 प्रतिशत क्षेत्र में नहरों के पानी से सिंचाई की जाती है जबकि शेष क्षेत्र की सिंचाई ट्यूबवैलों पर निर्भर है। पंजाब में नहरी ढांचे के प्रसार की बहुत ज्यादा जरुरत है तांकि राज्य में पानी के संक्ट से बचा जा सके और खतरनाक तरीके से गिर रहे भूजल स्तर को रोका जा सके।समस्या से निपटने के लिए पानी की संभाल के बारे में उचित कदम उठाए जाने संबंधी डा. अमरजीत सिंह द्वारा दिए गए सुझाव के संबंध में शिष्ट मंडल ने कहा कि सभी संभव कदम पहले ही उठाए जा रहे हैं लेकिन,यह स्थिती अलग ही कदम उठाए जाने की मांग कर रही है। पंजाब सरकार ने सिंचाई के लिए पानी के वहाव को बढ़ाने के लिए राज्य में नहरों के किनारे मजबूत करने का सुझाव दिया।
राज्य में गिर रहे भूजल स्तर के बारे में बताते हुए शिष्ट मंडल ने कहा कि राज्य में हर वर्ष भूजल स्तर 12 एमएएफ पानी नीचे जा रहा है जिस से भूजल प्रक्रिया पर भी दवाब बन रहा है। कृषि के लिए धरती के नीचे के पानी की जरुरत से ज्यादा प्रयोग किए जाने से राज्य के कुल 138 ब्लाकों में 100 ब्लाक ʻडार्क जोनʼ बन गए हैं। इन में से 45 ब्लाक के लिए केन्द्र सरकार ने स्थिति नाजुक होने की घोषणा की हुई है।शिष्ट मंडल ने आगे बताया कि दक्षिण पंजाब में भूजल जल खारा होने के कारण लोगों को नहरी पानी पर निर्भर होना पड़ रहा है। यहां तक कि उनको पीने वाले पानी की जरुरत भी नहरों के पानी से पूरी करनी पड़ रही है। सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण से इस क्षेत्र की करीब 10 लाख एकड़ भूमि पानी की कमी से प्रभावित होगी।केन्द्रीय जल स्त्रोत मंत्रालय बाद में हरियाणा सरकार का पक्ष जानने के लिए उनके शिष्ट मंडल को मिला ।