पंजाब कांग्रेसी नेता केवल सिंह ढिल्लों ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल पर बरसते हुए, उन पर मुक्तसर में एक पत्रकार पर हमले के मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया है, जिस मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने सख्त कार्रवाई की है।मुख्यमंत्री ने मीडिया में आई खबरों का स्वयं नोटिस लेते हुए, तुरंत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को न सिर्फ पत्रकार व उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए थे, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया था कि मामले में राजनीतिक पक्षपात के बगैर स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच हो।ढिल्लों ने खुलासा किया कि पुलिस ने मामले में बगैर किसी देरी तुरंत कार्रवाई करते हुए न सिर्फ आरोपियों को नामजद किया और यह भी सुनिश्चित किया कि पीडि़त का सिविल अस्पताल में मुफ्त मैडिकल ईलाज हो। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि कानून अपना काम करेगा और मामले में कोई भी राजनीतिक दबाव या दखल सहन नहीं की जाएगी।इस दिशा में, सुखबीर के द्वेष की राजनीति संबंधी बयान न सिर्फ घटिया स्तर के हैं, बल्कि पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों का प्रमाण देते हैं, जिसने अपने राजनीतिक हितों को प्रोत्साहित करने हेतु मीडिया सहित अन्य संस्थाओं व निकायों को सरंक्षण दिया था, जिसके वह उप मुख्यमंत्री थे।
ढिल्लों ने कहा कि मीडिया भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है और इससे निष्पक्ष व स्वतंत्र काम करने की उम्मीद की जाती है, लेकिन मुक्तसर में पत्रकार पर हमले को राजनीति के साथ जोड़कर सुखबीर ने स्पष्ट कर दिया है कि बीते 10 सालों में अकाली सरकार में ऐसा नहीं होता था।उन्होंने कहा कि सुखबीर के मीडिया के साथ रवैये के संदर्भ में उनके आरोप हास्यास्पद प्रतीत होते हैं, जिसे शिअद-भाजपा शासन में स्वतंत्र तौर पर कार्य करने की आजादी नहीं थी। उन्होंने खुलासा किया कि कोटकपूरा में पत्रकार पर हमले के मामले में सुखबीर खुद आरोपी थे और उन्हें फरीदकोट की सत्र अदालत द्वारा जमानत पर छोड़ा गया था।ढिल्लों ने कहा कि इन परिस्थितियों में सुखबीर द्वारा दिखाया जा रहा उच्च नैतिक स्तर हास्यादस्पद है और इस पर विचार भी नहीं किया जा सकता। इससे साफ होता है कि सत्ता के जाने से अकाली नेता की सही तरीके से सोचने व समझने की शक्ति छीन हो गई है।ढिल्लों के मुताबिक सुखबीर की प्रतिक्रिया, कैप्टन अमरेन्द्र सरकार द्वारा उनकी व उनकी सरकार की करतूतों का भंडाफोड़ करने के निकट पहुंचने के चलते डर का परिणाम है, जो इस विषय पर एक श्वेत पत्र जारी करने जा रही है। इसी तरह, अकाली बादल शासन में दर्ज हुए फर्जी केसों की जांच करने और उनके कार्यकाल में धार्मिक बेअदबियों के अलग-अलग मामलों की नए सिरे से जांच को लेकर स्थापित किए गए आयोग के खुलासों को लेकर भी डरे हुए हैं।इस क्रम में, सुखबीर व अन्य शिअद नेताओं द्वारा कैप्टन अमरेन्द्र सरकार के खिलाफ लगाए जा रहे बेतुके आरोप इनके गुनाहों को सामने लाने हेतु उठाए कदमों के परिणामस्वरूप इनके मन में डर का प्रमाण हैं।