Friday, 26 April 2024

 

 

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अब कौन सुनाएगा 'बाबुल मोरा नैहर छूटल जाए'

किशोरी अमोनकर : श्रद्धांजलि

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5 Dariya News

नई दिल्ली , 04 Apr 2017

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के जयपुर घराने की अग्रणी गायिका किशोरी अमोनकर को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो ख्याति मिली, वह किसी और को नसीब कहां हो पाई! उनके कोकिल-कंठ से निकली राग भैरवी की बंदिश 'बाबुल मोरा नैहर छूटल जाए' को भला कौन भूल सकता है। किशोरी अमोनकर का जन्म 10 अप्रैल, 1932 को हुआ था। वह प्रसिद्ध गायिका मोघूबाई कुर्दीकर की बेटी थीं और उनकी मां गायन सम्राट उस्ताद अल्लादिया खां की शिष्या रहीं। यानी किशोरी संगीत से ओतप्रोत वातावरण में पली-बढ़ीं।सुरीली आवाज की मल्लिका किशोरी के गायन पर देश-विदेश के लाखों संगीत रसिक मंत्रमुग्ध हुए। स्वर साम्राज्ञी और भारतरत्न लता मंगेशकर भी उनकी प्रशंसक रही हैं। किशोरी गायन क्षेत्र की श्रेष्ठ गुरु भी रहीं। उनके शिष्यों में माणिक भिड़े, अश्विनी देशपांडे भिड़े, आरती अंकलेकर जैसे जानेमाने शास्त्रीय गायक-गायिकाएं शुमार हैं। सुप्रसिद्ध गायिका मोगूबाई कुर्डीकर की पुत्री और गंडा-बंध शिष्या किशोरी अमोनकर ने एक ओर जहां अपनी मां से विरासत में संगीत विद्या प्राप्त की, वहीं अपने घराने की विशुद्ध शास्त्रीय परंपरा को अक्षुण्ण रखा और अपनी मौलिका भी दिखाई। 

मां मोगूबाई, गुरु बहन केसरीबाई केरकर और उनके दिग्गज उस्ताद उल्लादिया खां की तालीम को आगे बढ़ाते किशोरी ने आगरा घराने के उस्ताद अनवर हुसैन खां से लगभग तीन महीने तक 'बहादुरी तोड़ी' की बंदिश सीखी। पंडित बालकृष्ण बुआ, पर्वतकार, मोहन रावजी पालेकर और शरतचंद्र आरोलकर से भी उन्होंने मार्गदर्शन प्राप्त किया। इसलिए उनकी शैली में अन्य घरानों की बारीकियां भी झलकती हैं।संगीत की गहरी समझ रखने वाली किशोरी ने प्राचीन संगीत ग्रंथों पर विस्तृत शोध भी किया। वह न केवल पारंपरिक रागों, जैसे जौनपुरी, पटट् बिहाग, अहीर और भैरव प्रस्तुत करती हैं, बल्कि ठुमरी, भजन और खयाल भी गाती रहीं।पद्म विभूषण से सम्मानित किशोरी ने योगराज सिद्धनाथ की सारेगामा द्वारा निकाले गए अलबम 'ऋषि गायत्री' के लोकार्पण के अवसर पर कहा था, "मैं शब्दों और धुनों के साथ प्रयोग करना चाहती थी और देखना चाहती थी कि वे मेरे स्वरों के साथ कैसे लगते हैं। बाद में मैंने यह सिलसिला तोड़ दिया, क्योंकि मैं स्वरों की दुनिया में ज्यादा काम करना चाहती थी। मैं अपनी गायकी को स्वरों की एक भाषा कहती हूं।"

फिल्म 'गीत गाया पत्थरों ने' के लिए गाने वाली किशोरी अमोनकर ने कहा था, "मुझे नहीं लगता कि मैं फिल्मों में दोबारा गाऊंगी। मेरे लिए स्वरों की भाषा बहुत कुछ कहती हैं। यह आपको अद्भुत शांति में ले जा सकती है और आपको जीवन का बहुत सा ज्ञान दे सकती है।"किशोरी अमोनकर पर 'भिन्न षड़ज' नामक वृत्तचित्र फिल्म अभिनेता व निर्देशक अमोल पालेकर और उनकी जीवन संगिनी संध्या गोखले ने बनाया है। यह वृत्तचित्र 72 मिनट का है। किशोरी जी के जीवन में एक ऐसा समय आया, जब उनकी आवाज चली गई। आयुर्वेदिक उपचार के बाद जब इनकी आवाज वापस आई थी, वह भी नई चमक लेकर। खयाल गायकी, ठुमरी और भजन गाने में विशेषज्ञता प्राप्त किशोरी की अब तक 'प्रभात', 'समर्पण' और 'बॉर्न टू सिंग' सहित कई अलबम जारी हो चुके हैं।उन्हें आईटीसी संगीत पुरस्कार, 'गान सरस्वती' की उपाधि के अलावा 1987 में पद्मभूषण, 2002 में पद्म विभूषण, 1985 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2009 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया। सीडी और अलबमों के जरिए किशोरी अमोनकर की आवाज सदा गूंजती रहेगी। उन्हें विनम्र श्रद्धंजलि!

 

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