जम्मू एवं कश्मीर की चेनानी-नाशरी सुरंग को भारत की सबसे लंबी सुरंग के साथ-साथ सर्वाधिक सुरक्षित सुरंग बताया गया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि 10.89 किलोमीटर लंबी इस सुरंग में मुसाफिरों को आग लगने की घटनाओं और वाहनों को टकराने से बचाने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं।चेनानी-नाशरी सुरंग को आस्ट्रिया की नई सुरंग प्रौद्योगिकी से बनाया गया है। इसमें सुरक्षा के कई प्रावधान हैं। सभी का संचालन एक सॉफ्टवेयर से होता है।इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएल एंड एफएस) के उपाध्यक्ष आशुतोष चंदवार ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा, "इसकी खासियत इसकी एकीकृत सुरंग प्रणाली है। इसके तहत एक ही सॉफ्टवेयर एंट्रेंस डिटेक्शन कंट्रोल सिस्टम, इलेक्ट्रिकल फायर सिगनलिंग सिस्टम, वीडियो सर्विलांस सिस्टम और इवैकुएशन ब्रॉडकॉस्ट सिस्टम का संचालन करेगा।"इस परियोजना को बनाने का टेंडर एनएचआई के साथ आईएल एंड एफएस को मिला था।
चंदवार ने कहा कि विदेश में इन सभी सुरक्षा तकनीक के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर होते हैं जिनकी वजह से इनका संचालन आसान नहीं होता।चंदवार ने कहा कि इस सुरंग को 'देश की सर्वाधिक सुरक्षित राजमार्ग सुरंग कहा जा सकता है।' उन्होंने कहा कि सुरंग में विशेष कैमरे होंगे जो इसमें वाहनों की गिनती करेंगे और उसी के हिसाब से वाहनों की गति सीमा निर्धारित करेंगे।यह सुरंग जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को चार लेन का करने की परियोजना का हिस्सा है। जम्मू-श्रीनगर के बीच यात्रा की अवधि घटाने के लिए बारह ऐसी ही और सुरंग परियोजनाओं का निर्माण हो रहा है।2519 करोड़ की लागत से बनी यह सुरंग समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यह सुरंग ऊधमपुर जिले के चेनानी और रामबन जिले के नाशरी के बीच की 41 किलोमीटर की दूरी को घटाकर 10.89 किलोमीटर कर देगी और यह फासला महज दस मिनट में पार कर लिया जाएगा। अभी इसमें ढाई घंटे लगते हैं।जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को राज्य की जीवन रेखा माना जाता है।सभी 12 सुरंगों का निर्माण पूरा होने के बाद जम्मू एवं श्रीनगर के बीच की 293 किलोमीटर की दूरी में से 62 किलोमीटर घट जाएंगे। यह 231 किलोमीटर की दूरी चार-साढ़े चार घंटे में तय कर ली जाएगी।इस सुरंग की बेहद खास बात हर 150 मीटर पर एक आपातकालीन एसओएस कॉल बॉक्स और बाहर निकलने के लिए बचाव के रास्ते का होना है। इस रास्ते से होकर मुसाफिर सुरक्षा सुरंग तक जा सकेंगे जो इस मुख्य सुरंग के समानांतर बनाई गई है।चंदवार ने कहा कि सुरंग में किसी घटना के होने पर इसकी जानकारी देने की खास प्रणाली है।
अगर कोई दुर्घटना होती है तो पीड़ित के एसओएस कॉल बॉक्स के जरिए हमें बताने से पहले ही हमारे नियंत्रण कक्ष को इसकी जानकारी इस प्रणाली के जरिए हो जाएगी। इसके हिसाब से हमारी टीम अविलंब बचाव कार्य शुरू करते हुए पीड़ित और वाहन को निकालकर सुरक्षा सुरंग में पहुंचा देगी।उन्होंने बताया कि सुरंग में ड्रेनेज की ऐसी व्यवस्था है जो पहाड़ों से आने वाले पानी को मोड़कर आग लगने की स्थिति में बचाव में इस्तेमाल करने व निर्माण गतिविधियों के लिए संचित कर लेगी। सुरंग पूरी तरह से सूखी होगी। इसमें पानी की एक बूंद नहीं मिलेगी।राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने फैसला किया है कि जम्मू एवं कश्मीर में लेह और श्रीनगर के बीच बनने वाली 14 किलोमीटर लंबी जोजी ला सुरंग को इसी तकनीक से बनाया जाएगा।