पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू के कैबिनेट मंत्री और टैलीविजन शौ के काम-काज के बीच हितों का कोई भी टकराव नही मिला। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री रवीन ठुकराल अनुसार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले पर एडवोकेट जनरल से रिपोर्ट हासिल होने की पुष्टि की है। इन स्थितियों में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब ना सिद्धू के टीवी शौ में काम करने में कोई अड़चन है और ना ही उनका सांस्कृतिक विभाग बदलने की आवश्यकता है।एडवोकेट जनरल की राय अनुसार यह मामला भारतीय संविधान के जन प्रतिनिधि एक्ट, 1951 या इस मामले में संहिता की उल्लंघना नही है। एडवोकेट जनरल अनुसार सिद्धू को टीवी शौ का कार्य जारी रखने में कोई कानूनी पाबंदी नही है।श्री ठुकराल ने आगे बताया कि श्री सिद्धू द्वारा स्थानीय निकाय, पर्यटन, सांस्कृतिक मामले, पुरातत्व एवं संग्राहलय विभागों के कैबिनेट मंत्री के तौर पर जिम्मेवारी निभाने और टीवी शौ में कार्य करने में हितों का कोई टकराव नही है।
एडवोकेट जनरल द्वारा चार पन्नों की दी रिपोर्ट के सार में कहा गया है कि श्री सिद्धू का सांस्कृतिक विभाग बदलने की कोई आवश्यकता नही है। मुख्यमंत्री ने एडवोकेट जनरल से श्री सिद्धू के कपिल शर्मा के कॉमेडी शौ में अतिथि के तौर में कार्य को जारी रखने पर किसी प्रकार की रोक होने संबंधी कानूनी राय मांगी थी कि ऐसे कार्य से हितों के टकराव पैदा हो सकते हैं।संविधान का विवरण देते हुये रिपोर्ट में कहा गया है कि शो में अतिथि जज की भूमिका निभाना भारत सरकार/राज्य सरकार अधीन पद का लाभ नही है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत सरकार/राज्य सरकार के अधीन कोई पद नही है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 'धारा 191 (1) के अनुसार इस कार्य को जारी रखने से पद के लाभ से अयोग्य नही किया जा सकता।एडवोकेट जनरल ने आगे अपनी राय दी है कि मंत्री पर जन प्रतिनिधिता एक्ट, 1951 की शर्तो अधीन शौ में लगातार कार्य करना कोई रूकावट नही है और धारा 8, 8-ए, 9, 9-ए, 10, 10-ए, 11-ए के अधीन विभिन्न अयोगियताओं से संबंधित हैं। रिपोर्ट अनुसार मंत्री द्वारा शौ में लगातार कार्य करते रहना मंत्री की आचरण संहिता की धारा 1 (बी) की उल्लंघना नही दर्शाता।