आतंकवाद को वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए विदेश सचिव एस.जयशंकरने बुधवार को इसके खिलाफ पूरी दुनिया से कड़े कदम उठाने की मांग की। भू-राजनैतिक सम्मेलन 'रायसीना डायलॉग' के द्वितीय संस्करण को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, "आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए सबसे व्यापक व गंभीर चुनौती है। आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अभी भी बहुत कुछ नहीं किया गया है।"उन्होंने कहा, "डब्ल्यूएमडी (वेपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन) सुरक्षा चिंता का विषय बने हुए हैं।"विदेश सचिव ने कहा, "आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में वैश्विक तौर पर संकल्प की कमी है। लेकिन, इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण अपवाद भी हैं जिन्हें मान्यता दी जानी चाहिए।"अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर जयशंकर ने कहा, "अमेरिका के साथ हमारे संबंधों का तेजी से विकास हो रहा है और आज की तारीख में यह सहयोग के कई क्षेत्रों को कवर करता है। हमने ट्रंप की ट्रांजिशन टीम के साथ जल्द से जल्द संबंध बनाया और हम हितों व चिंताओं को लेकर साथ मिलकर काम करेंगे।"रूस के साथ संबंधों पर जयशंकर ने कहा, "हमारे नेताओं के बीच के संबंधों की ही तरह बीते दो वर्षो में रूस के साथ भारत के संबंध बेहद विकसित हुए हैं। अमेरिका-रूस के संबंधों में गरमाहट का असर भारत के हितों पर नहीं पड़ेगा।"
जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन के संबंधों में भी विस्तार हुआ है, लेकिन इस पर राजनीतिक मुद्दों पर मतभेदों की छाया पड़ी है।उन्होंने कहा, "दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने संबंधों के रणनीतिक महत्व की अनदेखी न करें। इस संबंध में हम साल 2017 में अधिक से अधिक जोर लगाना जारी रखेंगे।"विदेश सचिव ने कहा, "जापान के साथ हमारे संबंधों में बदलाव आना जारी है, जो भारत के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) और पूर्वी क्षेत्र की स्थिरता में इसकी भूमिका पर उन्होंने कहा, "इसकी केंद्रीयता तथा एकता पूरे महाद्वीप के लिए एक परिसंपत्ति है।"अमेरिका की विदेश नीति के बदलाव के संदर्भ में उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि अमेरिका दुनिया के साथ अपने संबंधों की शर्तो को बदलने के लिए तैयार है। अमेरिका तथा रूस के बीच संबंधों में ऐसा बदलाव आ सकता है, जैसा हमने 1945 से नहीं देखा है। इसके स्वरूप के बारे में अभी भविष्यवाणी करना कठिन है।"एशिया में चीन तथा जापान की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा, "चीन का मजबूत होना और विदेशों में इसका प्रभाव एशिया में एक सक्रिय कारक है। जापान भी बदलाव का एक कारक बनने की दिशा में अग्रसर है, क्योंकि ऐसा लगता है कि वह अधिक जिम्मेदारी लेने की तैयारी कर रहा है।"