राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार को नोटबंदी को लेकर अराजकता की स्थिति और काम में प्रगति नहीं हो पाने के कारण दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हो पाया। सदन की कार्यवाही हंगामा के चलते भोजनावकाश से पहले भी दो बार स्थगित हुई थी। भोजनावकाश के बाद जब बैठक फिर शुरू हुई तो उसके कुछ ही देर बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। संसद के ऊपरी सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही हंगामे के बीच स्थगित कर दी गई।बाद में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आठ नवंबर को हुए नोटबंदी के बाद से 80 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।उन्होंने कहा, "मैं पूछना चाहता हूं कि इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है?" उन्होंने कहा कि जो मौतें हुई हैं उनके लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए। समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने भी 'देश को पंगु' बना देने को लेकर सरकार की आलोचना की।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने भी इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के कारण पैदा होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए 50 दिन का समय मांगा था, लेकिन कुछ भी बदलता दिखाई नहीं दे रहा है।मायावती की टिप्पणी के बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया।सदन के उपसभापति पी.जे. कुरियन ने सदस्यों से शांत रहने को कहा।सदन के नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष मुद्दे पर बहस से भाग रहा है।उन्होंने कहा, "मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है और इसलिए (इस पर) बहस पूरी की जानी चाहिए।"उसके बाद सत्ता पक्ष के सांसदों ने विपक्ष के खिलाफ यह कहते हुए नारेबाजी शुरू कर दी कि 'अगर उनमें हिम्मत है तो वे बहस होने दें।'दोपहर में जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो सभापति हामिद अंसारी ने सदस्यों से प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू करने को कहा, लेकिन सत्ता पक्ष के सांसदों ने विपक्ष के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
दोनों पक्षों से आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया। हंगामा जारी रहने के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही अपरान्ह दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।भोजनावकाश के बाद सदन की बैठक जैसे ही शुरू हुई कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार नोटबंदी के बाद जनता को कोई भी राहत देने में नाकाम रही है इसलिए मंत्रिपरिषद को 'अयोग्य करार' दिया जाना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सदन के उपसभापति ने हंसते हुए कहा कि उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है और यदि तिवारी इसके बावजूद चाहते हैं कि मंत्रियों को अयोग्य करार दिया जाए तो तिवारी को उन्हें इसके लिए जरूरी शक्ति दिलाने का इंतजाम करना चाहिए।इसके बाद उपसभापति पी.जे. कुरियन ने उन्हें बैठने को कहा। एडीएमके त्रिची शिवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सदन में मौजूदगी की मांग की और कहा कि उन्हें सदन में नोटबंदी पर बहस को सुनने के लिए आना चाहिए।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के के. केशव राव ने भी यह मुद्दा उठाया और कहा कि यह नोटबंदी के बारे में नहीं बल्कि उसके नतीजे के बारे में है। उन्होंने सवाल किया, "नोटबंदी पर जहां तक बहस का मुद्दा है उसमें कई मंत्रालय शामिल हैं। इसलिए प्रधानमंत्री को यहां होना चाहिए। हमलोग किसे संबोधित करेंगे?" कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि ऐसा भाव जताना कि विपक्ष मुद्दे पर बहस नहीं चाहता गलत है। बल्कि प्रधानमंत्री को हमारे सवालों का हर हाल में जवाब देना चाहिए। जेटली ने इस बात का यह कहते हुए खंडन किया कि सरकार सामूहिक आधार पर काम करती है और यदि मंत्री उस पर कुछ बोलता है तो उस मुद्दे पर बयान सरकार देती है। इस पर दोनों पक्षों के सदस्य एक-दूसरे पर चिल्लाने लगे और शोरगुल के बीच सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। 26 नवंबर को जब से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ है तब से राज्यसभा में कोई भी सार्थक काम नहीं हुआ है।