केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार स्वेदश लौटने वाले प्रवासी भारतीयों के पुनर्वास की योजनाओं में मदद के अनुरोध के प्रति उदासीन रही है, लेकिन वह फिर भी इस मुद्दे को दोबारा केंद्र सरकार के सामने रखेंगे। केरल के 23.63 लाख प्रवासी भारतीयों पर किए गए ताजा अध्ययन के अनुसार, इनमें से करीब 90 प्रतिशत मध्य पूर्व के देशों में काम कर रहे हैं। 38.7 प्रतिशत संयुक्त अरब अमीरात में और 25.2 प्रतिशत सऊदी अरब कार्य कर रहे हैं।विजयन ने राज्य विधानसभा में कहा कि मध्य पूर्व में गंभीर स्थिति है और ऐसे में इलाके के कई देशों में तथाकथित 'राष्ट्रीयकरण' कार्यक्रम लागू हो रहे हैं। इससे राज्य के लाखों प्रवासियों के सामने कठिन स्थिति पैदा हो गई है।
उन्होंने कहा कि हालांकि कई मध्य पूर्व देशों में स्थिति चिंताजनक हो गई है, लेकिन अब तक बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों के लौटने की कोई सूचना नहीं है।विजयन ने कहा, "तेल की कीमतों में गिरावट से मध्य पूर्व के देशों में कार्यरत बहुत से केरलवासियों की आशाओं और आकाक्षांओं को धक्का लगा है। हमने इस साल बजट में 40 करोड़ रुपये घर लौट रहे भारतीयों के पुनर्वास और इससे संबंधित योजनाओं को मजबूत करने के लिए आवंटित किए थे।"पूर्व उद्योग मंत्री पी. के. कुन्हलकु ट्टी ने यह मामला सदन में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उठाया। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व की तरफ आव्रजन 1970 से शुरू हुआ। आज स्थिति विकट हो गई है जब बहुत सारे देशों ने अपने स्थानीय लोगों को नौकरियों पर रखकर राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।