दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मंगलवार को एक नोटिस जारी किया। वीरभद्र ने अपनी याचिका में न्यायालय से मनी लॉड्रिंग के एक मामले में एलआईसी के एक एजेंट की गिरफ्तारी के मद्देनजर, एजेंसी द्वारा अपने खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई को रोकने की गुहार लगाई है। न्यायाधीश विपिन सांघी ने ईडी से 29 जुलाई तक जवाब मांगा है।न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में वीरभद्र सिंह ने मामले में सह आरोपी आनंद चौहान की गिरफ्तारी के मद्देनजर, अपनी गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए कहा है कि ईडी को उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई से रोका जाना चाहिए।
ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत हाल में चौहान को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया।हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी की यह पहली गिरफ्तारी है।मामले में एलआईसी एजेंट चौहान एक मुख्य आरोपी है, जिसपर ईडी व केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दोनों ने ही आरोप लगाया है कि उसने वीरभद्र सिंह के पांच करोड़ रुपये के काले धन को उनके नाम पर तथा उनकी पत्नी सहित परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर जीवन बीमा पॉलिसी में निवेश किया।ईडी ने कथित तौर पर पाया है कि वीरभद्र सिंह ने साल 2009 से 2011 के दौरान केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए अपने नाम पर तथा अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 6.03 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो आय के ज्ञात स्रोत से अधिक है।