भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को मौजूदा वित्त वर्ष की प्रथम द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर दी। इस कटौती की पहले से उम्मीद की जा रही थी और उद्योग जगत ने कटौती का स्वागत किया है। इस कटौती के साथ आरबीआई की रेपो दर 6.75 फीसदी से घटकर 6.50 फीसदी हो गई। वहीं बैंक ने रिवर्स रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि कर इसे 5.75 फीसदी से छह फीसदी कर दिया।रेपो दर वह दर होती है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को लघु अवधि के लिए ऋण देता है। रिवर्स रेपो दर वह दर है, जो आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों से लघु अवधि के लिए ली जाने वाली राशि पर देता है।आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को हालांकि चार फीसदी पर बरकरार रखा। सीआरआर का मतलब वह आनुपातिक राशि है, जो वाणिज्यिक बैंकों को कुल जमा के मुकाबले तरल कोष के रूप में अपने पास बरकरार रखना होता है।सीआरआर का दैनिक न्यूनतम संरक्षण हालांकि 95 फीसदी से घटाकर 90 फीसदी कर दिया गया है।
इसी प्रकार दो अप्रैल और उसके बाद से सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 21.25 फीसदी पर रखा गया है। एसएलआर का अर्थ यह है कि एक वाणिज्यिक बैंक को इतने मूल्य की निर्दिष्ट प्रतिभूतियां रखनी होती हैं।इससे पहले रिजर्व बैंक ने सितंबर 2015 में रेपो दर 50 आधार अंक घटाकर 6.75 फीसदी की थी। 2015 में रेपो दर में कुल 1.25 प्रतिशतांक कटौती की गई थी।आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने मौद्रिक नीति बयान में कहा, "महंगाई दर अनुमान के अनुरूप रही है और जनवरी 2016 के लिए तय लक्ष्य से यह थोड़ी कम है।" राजन ने यह भी कहा कि उपभोक्ता महंगाई दर में थोड़ी गिरावट आएगी और यह वर्तमान वित्त वर्ष में करीब पांच फीसदी बनी रहेगी।उपभोक्ता महंगाई दर फरवरी में 5.18 फीसदी दर्ज की गई थी, जो जनवरी में 5.69 फीसदी थी। वहीं थोक महंगाई दर फरवरी में लगातार 16वें महीने नकारात्मक रही।उन्होंने कहा, "लगातार दो कमजोर मानसून के बाद इस साल सामान्य मानसून से आपूर्ति की स्थिति अनुकूल रहेगी, जिससे गांवों में मांग बढ़ेगी और कृषि उत्पादों की आपूर्ति भी बढ़ेगी, जिससे महंगाई दर भी प्रभावित होती है।
"राजन ने कहा कि 2016-17 के लिए विकास दर का अनुमान 7.6 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति में आगे भी नरमी बनाए रखेगा। उन्होंने हालांकि कहा कि इस समय सबसे महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि गत वर्ष से मुख्य दरों में की गई सभी कटौतियों को वाणिज्यिक बैंकों की ऋण दरों में शामिल किया जाए।राजन ने कहा, "मार्च 2016 में घोषित लघु बचत योजनाओं की दरों में कटौती, इस मौद्रिक नीति समीक्षा में घोषित तरलता प्रबंधन ढांचे में सुधार और धन की सीमांत लागत के आधार पर ऋण दर (एमसीएलआर) लागू करने से कटौतियों का लाभ आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में सुधार होगी और ताजा कटौती का व्यापक असर होगा।"देश के उद्योग जगत ने दर में कटौती की घोषणा का स्वागत किया।भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा कि 25 आधार अंकों की कटौती से पता चलता है कि आरबीआई नरमी के पथ पर चल रहा है।परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने यहां एक बयान में कहा, "इसके साथ ही पहली बार आरबीआई ने रिवर्स रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि कर रेपो और रिवर्स रेपो दर के फासले को कम किया है। इसके साथ प्रणाली में तरलता बढ़ाने के अन्य उपायों से मौद्रिक नीति का बेहतर प्रभाव दिखेगा और उद्योग के लिए ऋण की लागत और उपलब्धता में सुधार होगा।"
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने कहा, "आरबीआई का रेपो दर घटाने और नरमी बरतने का फैसला एक सकारात्मक कदम है। साथ ही तरलता बढ़ाने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों से बैंकों की ऋण दर घटने में भी मदद मिलनी चाहिए।"एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, "जमीनी स्तर पर ब्याज दर में कटौती के स्थानांतरण में आज की रेपो दर कटौती के साथ-साथ रिजर्व बैंक द्वारा लागू किए गए नए ऋण नियमों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही आरबीआई द्वारा पर्याप्त तरलता बढ़ाए जाने से जमा राशि की वृद्धि दर घटने से संबंधित बैंक की चिंता भी घटनी चाहिए।"रेपो दर में कटौती के बाद भी देश के शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 516.06 अंकों की गिरावट के साथ 24,883.59 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 155.60 अंकों की गिरावट के साथ 7,603.20 पर बंद हुआ।