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शांति और भाईचार विकास का मूल मंत्र: बाबा रामदेव

अंहकार छोड़ राष्ट्रनिर्माण में जुटें लोग: अवधेशानंद महाराज ,देश का भला महाभारत से नहीं बल्कि रामायण से होगा : तरुण मुनि

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रोहतक (हरियाणा) , 03 Apr 2016

प्रदेश के सामाजिक सौहार्द को अब बिगडऩे नहीं दिया जाएगा। हरियाणा की पहचान जाति से नहीं बल्कि वीरता व शौर्य से होती है। सद्भावना हर प्रश्र का समाधान है। यह बात आज योगगुरू बाबा रामदेव ने सामाजिक समरसता मंच द्वारा आयोजित सद्भावना सम्मेलन के दौरान कही।उन्होंने कहा कि जातपात पर झगडऩा अच्छी बात नहीं है। इससे प्रदेश का विकास नहीं हो सकता। शांति और सौहार्द ही विकास का मूल मंत्र है। पिछली घटनाओं को भूलाकर पुरूषार्थ के साथ आगे बढऩे की जरूरत है। सद्भावना सम्मेलन में उमड़ी भीड़ ने जहां आयोजकों की बाहें खिला दी। वहीं, पिछले दिनों रोहतक समेत प्रदेश में हुए उपद्रव से उत्पन्न तनावपूर्ण माहौल में मिठास घोलने की कोशिश हुई। रविवार सुबह करीब 7 बजे से ही नई अनाज मंडी में प्रदेश भर के विभिन्न जिलों से लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था। ठीक दस बजे संतों की उपस्थिति में दीप प्रज्जवलन कर सम्मेलन की विधिवत शुरू हुई। 

इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, अवधेशानंद महाराज, योग गुरु रामदेव, ज्ञानानंद महाराज, साक्षी गोपाल महाराज, बहन अमृता, संत रामसिंह, तरूण मुनि महाराज, हुजूर कंवर सिंह, आचार्य लोकेश मुनि, आचार्य संत डॉ. गोवर्धन दास, स्वामी परमचैतन्य महाराज, संत सतपाल महाराज, पूर्व क्रिकेटर चेतन शर्मा, खिलाड़ी संग्राम सिंह, गीतकार हिमानी कपूर, शतरंज खिलाड़ी अनुराधा बैनिवाल, कुश्ती खिलाड़ी योगेश्वर दत्त, फिल्मी कलाकार रणदीप हुड्डा, गूगल ब्वाय कौटिल्य सहित कई फिल्मी व खेल जगत की हस्तियां मौजूद रही।  

स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने सम्मेलन को समय की जरूरत बताते हुए कहा कि हरियाणा वीरों, ऋषियों व गीता की धरती है। जहां से विश्व में भाईचारे का संदेश गया। वहां जातपात के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि खापों का गौरवशाली इतिहास रहा है। यह सदा बना रहे, इसके लिए सद्भावनापूर्ण प्रयास करने होंगे। इस मौके पर जूनापीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद महाराज ने कहा कि मैं ही श्रेष्ठ हुं, यह विचार घरती के सौदर्य को खंडित करता है। इसलिए हर व्यक्ति को अंहकार व द्वेष का भाव त्याग कर राष्ट्रनिर्माण के बारे में सोचना चाहिए। 

जैन मुनि तरूण सागर ने अपने कड़वे वचनों से समाज में एकता की महत्ता पर जोर डालते हुए कहा कि देश का भला महाभारत से नहीं बल्कि रामायण से होगा। उन्होंने कहा कि रामायण की सीता और महाभारत की गीता देश की संस्कृति की पहचान है। आज आदमी को आदमी से जोडऩे की जरूरत है। दीदी अमृता ने कहा कि भीड़ और समाज में अंतर होता है। हमें भीड़ का हिस्सा नहीं बल्कि सभ्य समाज का अंग बनना है। पूर्व क्रिकेटर चेतन शर्मा ने कहा कि हरियाणा ने देश को सबसे ज्यादा खिलाड़ी दिए है। इसलिए प्रदेश के लोगों में खेलों की भांति टीम भावना होनी चाहिए। 

बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा ने सम्मेलन में अपने बचपन की बातें सांझी की और कहा कि समाज इंसान के बिना रह सकता है। लेकिन इंसान समाज के बिना नहीं रह सकता। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने जातपात पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वेदों में जातिवाद का कहीं वर्णन नहीं है, बल्कि मनुर्भव का संदेश है। हम सब एक भगवान की संतान है। इसलिए आपस में हमें प्रेम व भाईचारे के साथ रहना चाहिए। अमेरिका से आए सिख संत सतपाल सिंह ने प्रदेश को कुर्बानियों की धरती कहा। शंतरज खिलाड़ी अनुराधा बैनीवाल ने प्रदेश की राजनीति पर व्यंग कसते हुए कहा कि जब प्रदेश जल रहा था, उस समय विधायक, सांसद और पूर्व मंत्री क्या कर रहे थे? उन्होंने दंगों को रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया? 

उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि जातपात छोड़ प्रदेश के विकास के बारे में सोचना चाहिए। अंर्तराष्टीय खिलाड़ी योगेश्वरदत्त ने कहा कि जो लोग अपनी संस्कृति को छोड़ देते है वे मिट्टी में मिल जाते है। सम्मेलन को लोकेश मुनि, इस्कॉन के साक्षी गोपाल और संत गोवर्धनदास ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन परम चैतन्यपुरी महाराज ने किया। जबकि मंच संचालन आकाशवाणी प्रस्तोता संपूर्ण सिंह और हरियाणवी कलाकार गजेंद्र फौगाट ने किया। 

देखते ही बना उत्साह :

सामाजिक समरसता मंच के आह्वान पर देश प्रदेश से आए साधु संतो को सुनने व देखने के लिए मानो जैसे लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। लोग जल्दी सुबह से ही कार्यक्रम की तरफ अपने घरों से निकल पड़े। फिर चाहे वह चंडीगढ़ से लेकर मेवात के आखिरी छोर से हों या फिर करनाल ,पानीपत से लेकर महेंद्रगढ़ ,रेवाड़ी तक के लोग भी सुबह तीन बजे से हजारों की संया में सम्मेलन स्थल पर पहुंचे। हरियाणा के कोने कोने से लोग रोहतक में आयोजित समरसता सम्मेलन में पहुंचे। विभिन्न वेशभूषा से लेकर कोई भारत माता की जय बोलते हुए तो कोई हरियाणा में भाईचारा कायम रहे के उद्घोष करते हुए सम्मेलन में शामिल हुए। हजारों की संख्या में महिलाओं के साथ साथ बच्चों का भी इस सम्मेलन में उत्साह के साथ पहुंचना इस कार्यक्रम की महत्ता को दर्शा रहा था। सम्मेलन में आए लोगों भीड़ इतनी जबरदस्त थी कि पुलिस को सहयोग करने के लिए तैनात किए गए सामाजिक संस्थाओं के कार्यकत्र्ता भी कम पड़ गए। मंच से लेकर अंतिम पंडाल तक केवल और केवल लोगों के हजूम ही दिखाई पड़ रहे थे। 

जनभावना देख मुनिश्री ने किया कार्यक्रम में बदलाव

नई अनाज मंडी में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में साधु समाज के विख्यात संतों के साथ-साथ जैन मुनि तरूण सागर महाराज भी सम्मेलन में पहुंचे थे। सम्मेलन के बाद मुनि महाराज को पंजाब में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जाना था लेकिन सम्मेलन में मौजूद लोगों की जनभावना व विषय की गंभीरता को देखते उन्होंने अपने कार्यक्रम में फेरबदल किया। वहीं मुनि महाराज तरूण सागर ने मंच पर ही बैठकर ध्यान लगाया।  

सम्मेलन में दिखी हरियाणवी संस्कृति की झलक

सम्मेलन के दौरान जहां वक्ताओं ने बार-बार हरियाणवी संस्कृति पर जोर दिया, वहीं कलाकारों ने भी गीतों के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति का जीवांत चित्रण किया। हरियाणवी कलाकारों ने हरियाणवी गीत 'पहलां आली हवा रही नां पहलां वाला पानी, 'मैं अपने हरियाणा नै इसा देखना चाहूं सूं गीतों के माध्यम से सम्मेलन को पूरी तरह से हरियाणवी संस्कृति से सरोबार कर दिया। 

1250 कार्यकत्र्ताओं ने संभाली व्यवस्था 

रोहतक की नई अनाज मंडी में आयोजित प्रदेश स्तरीय सद्भावना सम्मेलन के सफल आयोजन की व्यवस्था की कमान 1250 कार्यकत्ताओं ने संभाली। सम्मेलन में पहुंचने वाले लोगों के लिए बैठने, खाने, जल व अन्य मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ उनकी सुरक्षा के लिए भी कार्यकत्र्ताओं ने विशेष तैयारियां की हुई थी। सम्मेलन की व्यवस्था में किसी प्रकार की कमी नहीं रहे इसके लिए कार्यकत्र्ताओं को जल, सुरक्षा, व्यवस्था प्रबंधन, मंच प्रबंधन अलग-अलग विभाग दिए गए थे।

सद्भावना के गीतों से महिलाओं ने किया उत्साह वर्धन

 

नई अनाज मंडी में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भी विशेष भागीदारी रही। सम्मेलन को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह नजर आया। सम्मेलन के शुरू होने से काफी पहले महिलाएं सम्मेलन में पहुंच गई थी। जब तक सम्मेलन सुचारू रूप से शुरू हुआ तब तक महिलाओं ने सद्भावना के गीतों से उत्साहवर्धन किया।  

ट्रक में भरकर लाए गए पानी के पाउच व बोतल

गर्मी के मौसम को देखते हुए सम्मेलन में पानी की विशेष व्यवस्था की गई थी। लोगों की भीड़ को देखते हुए ट्रकों में पानी के पाउच व बोतल भरकर लाई गई थी। इसके अलावा परम चेतन्य महाराज द्वारा भी लोगों की प्यास बुझाने के लिए दो टैंकर शरबत व शिकंजी के सम्मेलन में भेजे गए थे।

 

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