मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने गुरुवार को अनुसूचित जाति/जनजाति को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण दिए जाने की मांग की। साथ ही माकपा ने समाज के इस तबके के लिए संसाधनों के आवंटन में होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए कानून लाने की मांग भी की है।माकपा ने गुरुवार को अपने 21वें कांग्रेस में इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया।माकपा के इस सम्मेलन के तीसरे दिन हुई कार्यवाहियों के बारे में पार्टी नेता वृंदा करात ने गुरुवार को कहा कि रोजगार के सभी क्षेत्रों को आरक्षण के अधीन लाने की जरूरत है, क्योंकि रोजगार का एक बड़ा हिस्सा अभी भी आरक्षण के दायरे से बाहर है।उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार एवं सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन आने वाले क्षेत्रों में नए उदारवादी ढांचे के तहत नई भर्तियों पर लगे प्रतिबंध, आउटसोर्सिग और कॉन्ट्रैक्ट पर दी जा रही नौकरियों को देखते हुए कानूनी तौर पर इन क्षेत्रों में भी आरक्षण देना जरूरी हो गया है।"माकपा ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति विशेष घटक योजना (एससीएससीपी) के बजट में कटौती की है और इस योजना के लिए 46,385 करोड़ रुपयों की कमी हो रही है।इसमें कहा गया है, "अनुसूचित जनजाति सब प्लान में भी 20,000 करोड़ की कमी की गई है। इस तरह जहां अनुसूचित जाति/जनजाति आबादी का 25 फीसदी हैं, वहीं उनके लिए आवंटन सिर्फ 10 प्रतिशत ही है।"