चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के झंजेड़ी कैंपस के चंडीगढ़ स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा कैंपस में नए बजट पर चर्चा करते हुए अपने छात्रों को शिक्षित करने के उद्देश्य से %सेंट्रल बजट कॉन्लेव-2024 का आयोजन किया। इस चर्चा सत्र में समाज के विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया और अपने अनुभव के माध्यम से भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। इन एसपट्र्स ने छात्रों को बताया कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था में बजट का हर वर्ग पर या प्रभाव पड़ सकता है।
कैंपस निदेशक डॉ. नीरज शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया और छात्रों को बजट के बाद के इस विश्लेषण सत्र में उनके बहुमूल्य विचारों पर ध्यानपूर्वक विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस सत्र में भाग लेने वाली प्रमुख हस्तियों में डॉ. राजीव खोसला, प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, डी ए वी कॉलेज, पंजाब यूनिवर्सिटी, डॉ. अजीत सिंह, सीआई एस एफ के पूर्व उप महानिरीक्षक और पूर्व विा अधिकारी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा, मोहित गर्ग, पार्टनर और वाईस प्रेजिडेंट आई डी एफ सी फर्स्ट बैंक और विजय सी. रॉय, विशेष संवाददाता, ट्रियून बिजनेस एंड इकोनॉमी, चंडीगढ़ थे ।
डॉ. राजीव खोसला ने दिन की शुरुआत अंतरिम बजट में महत्वपूर्ण बजट में पैसे को बाटने के पीछे के तर्क को रेखांकित करते हुए, इसके अस्थायी महत्व पर जोर देते हुए की। जब कि डॉ. अजित सिंह ने बजट को राष्ट्रीय विकास के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप बताया। विजय सी रॉय ने विभिन्न क्षेत्रों में बजट आवंटन पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। मोहित गर्ग ने चर्चा करते हुए कहा कि बजट भारत को महत्वाकांक्षी लेकिन जन-केंद्रित, समावेशी विकास प्रदान करने में मदद करेगा।
इसके बाद बजट की तैयारी, रोजगार की स्थिति, जीडीपी, उपभोग दर पर भी चर्चा हुई. डॉ. विशाल सागर ने सरकार की बनाई नीतियों पर भरोसा जताते हुए कहा कि यह बजट सकारात्मक सोच वाला बजट है । इस दौरान कैंपस के छात्रों और भावी प्रबंधकों ने बुद्धिजीवियों से कई सवाल भी पूछे, जिनका उन्होंने बेहतरीन तरीके से जवाब दिया.इस अवसर पर सीजीसी झंजेड़ी के एमडी अर्श धालीवाल ने कहा कि छात्रों को देश के दिन-प्रतिदिन के मामलों के बारे में जागरूक रखने से छात्रों के आत्मविश्वास और समग्र व्यक्तित्व के विकास में बहुत मदद मिलती है।
चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के प्रेजिडेंट रछपाल सिंह धालीवाल ने कहा कि छात्रों के लिए तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान का होना भी जरूरी है। इसलिए उन्होंने भावी प्रबंधकों को देश की रोजमर्रा की समस्याओं के प्रति जागरूक रहने के लिए जागृत करते हुए कहा कि इस तरह के सत्र छात्रों के आत्मविश्वास और समग्र व्यक्तित्व के विकास और उनके आत्मबल के लिए काफी मददगार साबित होंगे।