दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेत्ता डिसूजा को समन जारी किया और उन्हें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनकी बेटी के खिलाफ हालिया बार विवाद से संबंधित आरोपों को लेकर किये गये ट्वीट हटाने का निर्देश दिया।
यह मामला गोवा के असगाओ में कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी जोइश ईरानी द्वारा संचालित सिली सोल्स कैफे और बार को लेकर हुए विवाद से संबंधित है। जस्टिस मिनी पुष्कर्ण ने टिप्पणी की कि, "मेरा प्रथम ²ष्टया विचार है कि अभियोगी के खिलाफ वास्तविक तथ्यों की पुष्टि किए बिना बदनामी के आरोप लगाए गए थे।
प्रतिवादियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कारण किए गए ट्वीट और रीट्वीट के मद्देनजर अभियोगी की प्रतिष्ठा को गंभीर चोट पहुंची है।"कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि स्मृति ईरानी की बेटी बीजेपी शासित गोवा में अवैध तरीके से बार चला रही है।
स्मृति ईरानी ने जहां कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें दुर्भावनापूर्ण करार दिया और कहा कि उनकी 18 वर्षीय छात्र बेटी को बदनाम करने के लिए किया। वहीं कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें केंद्रीय मंत्री के पद से बर्खास्त करने का आग्रह किया।
स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेताओं पवन खेड़ा, जयराम रमेश और नेत्ता डिसूजा को कानूनी नोटिस दिया है और बिना शर्त माफी की मांग की है और उनसे तत्काल प्रभाव से अपनी बेटी के खिलाफ लगाये गये आरोपों को वापस लेने के लिए कहा है।
अदालत में सुनवाई के बाद अपने ट्विटर अकाउंट पर, जयराम रमेश ने कहा, "दिल्ली उच्च न्यायालय ने हमें स्मृति ईरानी द्वारा दायर मामले का औपचारिक रूप से जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। हम अदालत के सामने तथ्य पेश करने के लिए उत्सुक हैं। हम सुश्री ईरानी द्वारा डाली गई अर्जी को चुनौती देंगे और उसका खंडन करेंगे।"