Pakistan news: पाकिस्तान जैसे मुल्क में एक हिंदू का अफसर बन जाना, मामूली बात नहीं है। भारत-PAK बंटवारे के समय पाकिस्तान में 12.9% हिंदू अल्पसंख्यक रह गए थे। समय बदला, हालात बदले और 75 साल में हिंदू अल्पसंख्यकों की आबादी भी बदल गई। इस आबादी की पाकिस्तान की कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी 12.9% से 2.14% हो चुकी है। हालातों का अंदाजा आप इसी आंकड़े से लगा सकते हैं।
इसी बीच पाकिस्तान के हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए एक अच्छी खबर आई। पहली बार पाकिस्तान में कोई हिंदू महिला DSP बन पाई है। ये महिला है मनीषा रुपेता (Manisha Rupeta)। मनीषा पाकिस्तान में डीएसपी के तौर पर नियुक्त होने वाली पहली हिंदू महिला हैं। सिंध लोक सेवा की परीक्षा पास करने और ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।
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मनीषा ने अपने संघर्ष की कहानी पाकिस्तानी मीडिया को बताई
मनीषा सिंध के पिछड़े और छोटे से जिले जाकूबाबाद की रहने वाली हैं। यहीं से उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा हासिल की। उनके पिता जाकूबाबाद में व्यापारी थे। मनीषा जब 13 साल की थीं तब उनका निधन हो गया था। मनीषा की मां ने मेहनत करके अपने पांच बच्चों की अकेले परवरिश की। बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए वो कराची आ गईं। मनीषा ने अपने पूरे संघर्ष की कहानी पाकिस्तानी की मीडिया को बताई।
उन्होंने कहा, उन दिनों जाकूबाबाद में लड़कियों को पढ़ाने लिखाने का माहौल नहीं था। अगर किसी लड़की की शिक्षा में दिलचस्पी होती थी तो उसे केवल मेडिकल की पढ़ाई पढ़ने के लिए सही माना जाता था। मनीषा की तीन बहनें MBBS डॉक्टर हैं, जबकि उनका इकलौता और छोटा भाई मेडिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है।
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DSP बनने से पहले डॉक्टर बनने की कोशिश की थी- मनीषा रुपेता
मनीषा कहती हैं, 'मैंने भी डॉक्टर बनने की कोशिश की थी, लेकिन एक नंबर कम होने की वजह से एडमिशन नहीं मिल पाया। इसके बाद मैंने डॉक्टर ऑफ फिजिकल थेरेपी की डिग्री ली। पढ़ाई के दौरान ही मैं बिना किसी को बताए सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी करती रही। परीक्षा में मुझे 16वां स्थान मिला। तब ओवरऑल 438 आवेदक सफल हुए थे।
महिलाओं को पुलिस स्टेशन और अदलतों में नहीं जाने दिया जाता
मनीषा ने पाकिस्तान की कुरीतियों का भी जिक्र किया। कहा यहां आमतौर पर महिलाएं पुलिस स्टेशन और अदालतों के अंदर नहीं जाती हैं। इन स्थानों को महिलाओं के लिए सही नहीं माना जाता है। इसलिए जरूरत पड़ने पर यहां आने वाली महिलाएं पुरुषों के साथ आती हैं। बस मैं इस धारणा को बदलना चाहती थीं। मुझे हिंदू होने पर गर्व है।
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आपको ये भी बता दें कि मनीषा के परिवार वालों को अब भी ऐसा लगा है कि पुलिस की सेवा लड़कियों के लिए नहीं है, मगर मनीषा को पुलिस ही बनना था। ऐसे में मनीषा ने अपनी तैयारी की और सफलता प्राप्त की। सोशल मीडिया पर मनीषा को बधाइयां दी जा रही हैं। पूरे हिंदुस्तान से उन्हें शुभकामनाएं मिल रही है।
मनीषा ने कराची के सबसे मुश्किल इलाके ल्यारी में ली ट्रेनिंग
मनीषा ने DSP का प्रभार संभालने से पहले कराची के सबसे मुश्किल इलाके ल्यारी में ट्रेनिंग ली। इस इलाके में पुलिस विभाग में ऑफिसर बनने वाली मनीषा पहली महिला हैं। मनीषा कहती हैं कि मेरे रिश्तेदार और हिंदु भाईयों का मानना है कि मैं लंबे समय तक इस नौकरी में नहीं टिक पाऊंगी। लोगों का मानना है कि मैं जल्द ही अपनी नौकरी बदल दूंगी। लेकिन ऐसा नहीं है।