जब से कोरोना आया है, ना मास्क हटें है ना ही सैनेटाइजर का इस्तेमाल बंद हुआ है। इस बीमारी ने भारत क्या पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। कोरोना से कुछ हद तक हालात सुधरे तो इसके ओमिक्रॉन, डेल्टा और सब वेरिएंट्स ने जीना मुश्किल किया। जैसे जैसे वेरिएंट्स आते गए बिमारी का तेजी से फैलने का खतरा बढ़ता गया। लेकिन अब एक और बीमारी ने पूरी दुनिया को टेंशन में डाल दिया है। इस बीमारी का नाम 'क्रुप'.. बच्चों को भी ये अपनी जद में ले रही है।
हाल ही में रिपोर्ट में सामने आए हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित रह चुके छोटे बच्चों में क्रुप बीमारी का खतरा काफी अधिक हो सकता है। क्रुप बीमारी तब जानलेवा हो जाती है जब इसके बारे में सही वक्त पर पता नहीं चलता है। ओमिक्रॉन और क्रुप बीमारी के लक्षण एक जैसे होने की वजह से ये पता नहीं चल पा रहा है कि बच्चे को कौन सी बीमारी हुई है। इसलिए इसके बीच अंतर को जानना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कि ओमिक्रॉन और क्रुप की पहचान कैसे की जा सकती है। लेकिन उससे पहले ये जानते हैं कि क्रुप बीमारी है क्या?
क्रुप बीमारी क्या है?
क्रुप अपर रेस्पिरेटरी में होने वाला इंफेक्शन है, जिसके होने से सांस लेने में परेशानी होती है और जो खांसी का कारण बनता है। यह पैरैनफ्लुएंजा और सामान्य सर्दी की वजह से होता है। क्रुप छोटे बच्चों में होने वाला बहुत ही सामान्य रोग है। यह कुछ दिनों में घर पर ही ठीक हो जाता है। लेकिन, यह रोग जोखिम भरा हो सकता है। इस रोग की शुरुआत सर्दी-जुकाम से होती है और इसके साथ ही बच्चों में बुखार और नाक के भरे रहने की समस्या को भी देखा जा सकता है।
कोरोना के बाद यदी यह बीमारी हो रही है तो यह काफी गंभीर हो सकती है। समय पर डॉक्टर इलाज बहुत जरूरी हो जाता है। क्रुप में वॉइस बॉक्स और विंडपाइप में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण वोकल कॉर्ड के नीचे का एयरवे तंग हो जाता है और इससे सांस लेते हुए आवाज आती है और सांस लेने में मुश्किल होती है। यह एक इंफेक्शन के कारण होता है। यह रोग तीन महीने से लेकर पांच साल के बच्चों में अधिक देखने को मिलता है। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है, उनमे यह समस्या कम होती जाती है। लेकिन जिन बच्चों को पहले कोरोना पहले हो चुका है उनमें ये बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है।
क्रुप के सामान्य लक्षण-
बुखार
रैशेस
आंखों में लालिमा
सूजी हुई लसीका ग्रंथियां
खांसी जिसकी आवाज अजीब होती है
खराश युक्त आवाज
सांस लेते हुए बदबू आना और शोर होना
गंभीर लक्षण-
सांस लेने में परेशानी होना
तेजी से सांस लेना
सांस लेते और छोड़ते हुए तेज आवाज आना
जब बच्चा रोये या उत्तेजित हो तो सांस की बहुत अधिक आवाज आए
अधिक लार निकलना
निगलने में परेशानी होना
बच्चे का बैचैन, बेजान या थका हुआ लगना
नाक, मुंह या नाखूनों का रंग नीला हो जाना
पेशाब न आना
ओमिक्रॉन और क्रुप का संबंध
हेल्थ एक्पर्ट का कहना है कि गले में खराश, नाक बहना, आवाज में बदलाव कोरोना और क्रुप दोनों में देखे जा सकते हैं। लेकिन क्रुप संक्रमित बच्चों में 'बार्किंग कफ' की समस्या अधिक होती है। जबकि कोरोना में सामान्य खांसी या सूखी खांसी के लक्षण दिखाई देते हैं। यह भी जानना जरूरी है कि क्रुप बीमारी सर्दियों या पतझड़ के मौसम में ज्यादा देखने को मिलते हैं। जबकि कोरोना कभी भी आपको अपनी चपेट में ले सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खांसने पर कुत्ते के भौंकने जैसी अजीब आवाज निकलती है तो उसे बार्किंग कफ कहते हैं।
बीमारी हो जाए तो क्या करें?
क्रुप बीमारी के बारे में शुरु में ही पता चल जाता है तो घर पर ही इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है। इसमें मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है। खूब पानी पीने को कहा जाता है। डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयों को समय पर खाने की सलाह दी जाती है। यदि कोविड होने के बाद किसी बच्चे को यह बीमारी हो रही है तो उसे घर पर रखने के बजाए तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। अगर सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होती है तो फिर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। अगर इसे इग्नोर करते हैं तो फिर मामला बिगड़ सकता है, जान भी जोखिम बन सकता है।