कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने नवजात और छोटे बच्चों में बहरेपन (कम सुनने) की समस्या से निपटने के लिए सोमवार को यूनिवर्सल न्यूबौर्न हियरिंग स्क्रीनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत आटोमेटिड आडिटरी ब्रेनस्टम रिस्पांस सिस्टम (ए.ए.बी.आर.) की शुरुआत की।इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये स्वास्थ्य मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने आज यहाँ बताया कि पंजाब, सोहम (ए.ए.बी.आर.) आटोमेटिड आडीटरी ब्रेनस्टम रिस्पांस प्रणाली लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि अपने किस्म की इस पहली पहलकदमी के स्वरूप नवजात और छोटे बच्चों में कम सुनने की समस्या की प्रभावशाली ढंग से जांच की जा सकेगी।इस प्रोग्राम की मुख्य विशेषताओं संबंधी बताते हुये स: सिद्धू ने कहा कि यह बड़ा गंभीर मसला है और यह तकनीक निश्चित तौर पर बच्चों में बहरेपन के इलाज के लिए पुरानी रिवायती स्क्रीनिंग प्रणाली में तबदीली लायेगी। उन्होंने कहा कि बच्चों में सुनने की अयोग्यता की जांच करने के बाद, राज्य सरकार कोकलियर इमप्लांट भी मुफ़्त मुहैया करवाती है जो एक सर्जीकल विधि है और बहरेपन के शिकार व्यक्तियों को सुनने का सामथ्र्य प्रदान करता है।बहरेपन को बच्चों का एक बड़ा जन्मजात कमी बताते हुये स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में 5-6 बच्चे प्रति हज़ार बच्चों पर इस कमी से पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक भारत में मौजूदा रिवायती ढंग से नवजातों और छोटे बच्चों में बहरेपन की जांच करना बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा है।इस मौके पर संबोधन करते हुये एन.एच.एम. के मैनेजिंग डायरैक्टर श्री कुमार राहुल ने कहा कि पंजाब राज्य बहरेपन की प्रभावशाली जांच के लिए अन्य सभी राज्यों का नेतृत्व कर रहा है और स्वास्थ्य विभाग पंजाब सभी जिलों को यह देश में बनी मशीनें मुहैया करवा के इस प्रोग्राम को ज़मीनी स्तर तक बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि सुनने में कमज़ोरी के इलाज की सेवाएं पहले ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्याक्रम (आर.बी.एस.के.) अधीन आती हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के डायरैक्टर डा. जी.बी. सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पहले ही आर.बी.एस.के. अधीन जन्मजात रोगों जैसे कि क्लब फुट, श्रवण शक्ति की कमी और क्लैफट लीपस आदि छोटे बच्चों का इलाज किया जा रहा है, यह सफलता समय रहते बीमारी का पता लगाने और जल्द इलाज करने में सहायता करेगी।नेशनल प्रोग्राम फार प्रीवैंशन एंड कंट्रोल आफ डैफनैस (एन.पी.पी.सी.डी.) के नोडल अधिकारी डा. बलजीत कौर ने आगे बताया कि इन उपकरणों के प्रयोग से हम पुराने रिवायती ढंगों को आधुनिक, जांच कर और ठोस ढंगों के द्वारा बदल सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह मशीनें पूरे पंजाब में 22 निओ-नैटल केन्द्रों पर उपलब्ध होंगी और बाल रोगों के माहिरों की निगरानी में ही बीमारी की जांच की जाऐगी।डा. बलजीत कौर ने आगे कहा कि भारत में लगभग 63 मिलियन लोग कम सुनने (बहरेपन) और इससे सम्बन्धित बीमारियों से जूझ रहे हैं और यह मशीन निश्चित रूप में प्रभावशाली मूल्यांकन और समय पर बहरेपन को रोकने में सहायता करेगी।इस मौके पर अपने विचार साझा करते हुये सोहम इनोवेशन लेब इंडिया के संस्थापक और सी.ई.ओ. श्री नितिन सिसोदिया, जिन्होंने इस ए.ए.बी.आर. प्रणाली की खोज की, ने कहा कि इस प्रोग्राम का उद्देश्य बच्चों में बहरेपन की समस्या को ख़त्म करना है और यह मशीन सुनने की अयोग्यता वाले बच्चों के लिए वरदान साबित होगी।जि़क्रयोग्य है कि एन.एस.एस.ओ. के सर्वेक्षण अनुसार, इस समय पर यहाँ प्रति 1लाख आबादी में 291 व्यक्ति थोड़े या पूर्ण बहरेपन के शिकार हैं। इनमें से बड़ा प्रतिशत 0 से 14 साल की उम्र के बच्चों की है। देश की इतनी आबादी का बहरेपन से ग्रसित होना गंभीर रूप में आर्थिकता और उत्पादकता के भारी घाटे का कारण बनती है।इस मौके पर एम.सी.एच. के प्रदेश इंचार्ज डा: इन्द्रदीप कौर, आर.बी.एस.के. के प्रदेश इंचार्ज डा. सुखदीप कौर और स्वास्थ्य विभाग के अन्य सीनियर अधिकारी भी उपस्थित थे।