आम आदमी पार्टी ने निजी बीमा कंपनियों पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से देश के किसानों को लूटने का आरोप लगाया। आप के रोपड़ के जिलाप्रधान और आरटीआई एक्टिविस्ट दिनेश चड्ढ़ा और मीडिया कॉर्डिनेटर दिग्विजय धंजु ने शुक्रवार को आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी को मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि आरटीआई के दस्तावेजों से साफ पता चलता है कि प्राइवेट बीमा कंपनियों ने किसानों के फसलों की बीमा के पैसे से हजारों करोड़ रु कमाए। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में इन कॉर्पोरेट कंपनियों ने प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत 20,000 करोड़ रु से ज्यादा की कमाई की। प्रधानमंत्री मोदी के करीबी उद्दोगपति और उनके सबसे बड़े फंडदाता रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अकेले पिछले 4 वर्षों में लगभग 3,000 करोड़ रु कमाए है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने जो पैसे दिए,उसका बड़ा हिस्सा पीएम मोदी के करीबी कॉरपोरेट घरानों को मिला। क्योंकि पीएम मोदी के कॉर्पोरेट साथियों की बीमा कंपनियों के द्वारा ही देशभर के किसानों की फसल बीमा की जा रही है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसानों से फसल बीमा के प्रीमीयम का पैसा ले लेती है, लेकिन जब मुआवजा देने की बात आती है, तो अधिकतर किसानों को फसलों के नुकसान का पैसा नहीं दिया जाता है।अपने आरटीआई आवेदन के माध्यम से उनके द्वारा प्राप्त आंकड़ों का उल्लेख करते हुए चड्ढा ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले 4 वर्षों में प्रीमियम के हिस्से के रूप में 44,183 करोड़ का भुगतान किया। इसमें से लगभग आधा पैसा निजी कंपनियों ने लाभ के रुप में कमाया। विशेष रूप से मोदी के मुख्य फंडदाता रिलायंस को 2642 करोड़ का भुगतान किया गया। जिसके कारण कंपनी ने रिकॉर्ड 2862 करोड़ रु का लाभ दर्ज किया। इससे पता चलता है कि रिलायंस ने पीडि़त किसानों को फसलों के नुकसान के लिए न के बराबर पैसा दिया।
अगर सारी निजी कंपनियों की बात करें तो कुल प्रीमियम के पैसे का लगभग 73 प्रतिशत निजी कंपनियों ने मुनाफे के रुप में कमाए।उन्होंने कहा कि निजी बीमा कंपनियों ने इस योजना के माध्यम से प्रतिदिन 13.7 करोड़ रु और प्रतिघंटे 1.7 करोड़ रु का लाभ कमाया। जबकि अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हर रोज 3 किसान शहीद हो रहे हैं। यही मोदी सरकार का विकास मॉडल है, जिसमें किसानों और आमलोगों के लिए कोई जगह नहीं है। चड्ढा ने कहा कि इसीलिए देश के किसान इन तीनों काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये कानून कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। वैसे तो इन कानूनों के लागू होने से पहले ही कृषि को निजी हाथों में देने का काम शुरू हो गया था। पीएम किसान बीमा योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकार ने पहले ही कॉर्पोरेटों के हाथों किसानों की सुरक्षा बेचना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने फसलों के मुआवजे भुगतान करने का पूरा बोझ सार्वजनिक बीमा कंपनियों पर डाल दिया है। जबकि प्राइवेट कंपनियां सरकारी पैसे से असीमित लाभ कमा रहे हैं। ओरिएंटल और न्यू इंडिया जैसी सार्वजनिक बीमा कंपनियों को 3122 करोड़ रु का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जो पैसा सरकार किसानों वित्तीय संकट से बचाने के लिए देती है , उस पैसे को कॉर्पोरेट कंपनियों की जेब में डाला जा रहा है। पीएम मोदी ने 2022 तक किसान की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन किसानों की आय दोगुनी करने के बदले मोदी अपने पूंजीवादी मित्रों की आय दोगुनी करने में लगें है।उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि फसल बर्बाद होने की वजह पंजाब के हजारों किसानों ने आत्महत्या कर ली, सैकड़ों किसानों के परिवार बर्बाद हो गए, लेकिन पीएम के दोस्तों की बीमा कंपनियों ने उन किसानों के पैसे को अपनी जेब में रख ली। मोदी सरकार को किसानों की परवाह नहीं है। उनका एकमात्र उद्देश्य अपने कॉर्पोरेट दोस्तों को खुश रखना है। सरकार को किसानों के दुख- दर्द से कोई लेना देना नहीं है। आम आदमी पार्टी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खडी है और खड़ी रहेगी। हम किसानों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे और किसान आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए संघर्ष करेंगे।