Saturday, 18 May 2024

 

 

खास खबरें अकाली दल के घोषणा पत्र में पंथक और क्षेत्रीय मजबूती का आहवाहन परिवर्तन की सरकार ने किया पंजाब को कर्जदार - गुरजीत औजला डॉ. एस.पी. सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से जालंधर जिले के युवक का शव पहुंचा भारत दो साल में हमारी सरकार और मेरे काम को देखें, फिर तय करें कि आपको क्या चाहिए: मीत हेयर सीपीआई एम.एल. (लिबरेशन) ने की गुरजीत औजला के पक्ष में चुनावी रैली सनौर में अकाली दल प्रत्याशी के कार्यालय का उदघाटन खरड़ में निर्माणाधीन श्री राम मंदिर का दौरा करने के लिए माननीय राज्यपाल पंजाब को अनुरोध पत्र परनीत कौर व गांधी पटियाला हलके के लिए कोई प्रोजैक्ट नहीं लाए:एन.के.शर्मा मलोया में 20 मई को योगी आदित्य नाथ की विशाल चुनावी जनसभा-प्रदेशाध्यक्ष जतिंदर पाल मल्होत्रा फिल्म 'करतम भुगतम ' को ऑडियंस का प्यार और बॉक्स ऑफिस पर मिली सफलता लोक सभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की हिदायतों का पूरा पालन किया जाए: जनरल पर्यवेक्षक जिला निर्वाचन अधिकारी कोमल मित्तल की देखरेख में वोटिंग मशीनों का पूरक रैंडमाइजेशन किया गया फिल्म कुड़ी हरियाणे वल दी / छोरी हरियाणे आली के टीजर में जट्ट और जाटनी के रूप में चमके एमी विर्क और सोनम बाजवा पंजाबी सावधान रहें, आप और कांग्रेस एक ही थाली के चट्टे-बट्टे : डॉ. सुभाष शर्मा आनंदपुर लोकसभा के अंतर्गत आता गढ़शंकर ग्रीन चुनाव के लिए एक मॉडल के रूप में करेगा 2024 की दूसरी छमाही में बड़े OTT शो के सीक्वल का बेसब्री से इंतज़ार: मिर्ज़ापुर 3 से ताज़ा ख़बर 2 तक आनंदपुर साहिब संसदीय क्षेत्र देश में हरित चुनाव का मॉडल बनकर उभरेगा पंजाब पुलिस की साईबर क्राइम डिवीजऩ ने अमरीका में रहने वाले लोगों को ठगने वाले दो फर्जी कॉल सैंटरों का किया पर्दाफाश; 155 व्यक्ति काबू ढाई सालों में आम आदमी पार्टी की ओर से किए विकास का हिसाब मांगे शहरवासीः जयइंद्र कौर जनता पेयजल को तरसती रही, राजेंद्र राणा सरकार गिराने की साजिश रचते रहे सुजानपुर में भाजपा को कुनबा संभालना हो रहा मुश्किल

 

राहुल गाँधी : खुद को किया साबित, भाजपा के गढ़ पर राहुल का पंजा

भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत के बाद कांग्रेस का स्वच्छ भारत अभियान

Listen to this article

5 Dariya News

15 Dec 2018

कहते हैं वक़्त बदलते देर नहीं लगती .......हर रात के बाद सुबह होती है ...इस माया के तीन नाम परशु, परसा, परस राम और न जाने कितनी कहावते है जो आज कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी पर फिट बढ़ती हैं।कल तक जो राहुल गाँधी को किन किन नामों से पुकारते थे आज उनके लिए राहुल गाँधी के नाम के मायने ही बदल गए हैं। राहुल गाँधी आज 2.0 हो गए है। कल तक जो लोग कांग्रेस को श्रद्धांजलि देते दे वो आज कांग्रेस को बधाईआं दे रहे है। पिछले साढ़े 4 सालो में राहुल गाँधी पर न जाने कैसे कैसे तंज कसे गए पर यह राहुल ही थे जिन्होंने अंदर अंदर पार्टी संघठन को मजबूत कर कांग्रेस की वापसी करवाई है। 5 राज्यों के चुनाव परिणामों ने जहां हाशिये पर पड़ी कांग्रेस में संजीवनी का काम किया है वहीं सभी भाजपा विरोधी दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है की कल तक जिस कांग्रेस के यह हालत थे की बगैर गठबंधन के वो भाजपा के आगे टिक ही नहीं सकती तो फिर आज 3 बड़े हिंदी भाषी राज्यों छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जहां भाजपा 15 सालो से और राजस्थान जहां भाजपा 5 सालो से राज कर थी, को कैसे पटखनी दी है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पिछले 15 सालो से भाजपा का अभेद किला माना जाता था और जरा सोचिये 15 सालो में किसी भी पार्टी के कार्यकर्तों और सगठन की घज़ियाँ उड़ जाती हैं। राहुल गाँधी ने बगैर किसी गठबंधन के अपने कार्यकर्तों के भरोसे इन राज्यों में फ़तेह हासिल की। इन तीन राज्यों में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन से उन तमाम लोगों के मुँह को ताले लग गए है जो राहुल गाँधी को नरेंद्र मोदी के मुक़ाबले कुछ भी नहीं समझते थे। ये राहुल गाँधी है हैं जिन्होंने विसम परस्थितियों में भी अकेले अपने दम पर 5 राज्यों में चुनाव लड़ा और शानदार वापसी करते हुए भाजपा की तीनो विकटें गिरा दी। 2019 से ठीक पहले हुए इस सेमीफाइनल ने भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 

भाजपा प्रवक्ता इन चुनावो में भाजपा की करारी शिकस्त को नरेंद्र मोदी की हार न मानने की वजाय राज्य सरकारों पर इस हार का ठीकरा फोड़ रहे है और बार बार बार यह भी कह रहे है की 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर इसका कोई असर नहीं होगा तो यह सिर्फ अपने मन को तसल्ली देने वाली बात से जायदा कुछ नहीं है। ये क्या बात हुई की जीते तो सेहरा नरेंद्र मोदी के सर पर और हारे तो राज्य सरकार ज़िम्मेवार। क्रेंद की नीतियों का राज्य सरकारों पर कैसे सीधा असर पड़ता है यह जानने के लिए यहाँ शिवराज सिंह चौहान का ज़िकर करना भी जरूरी हैं जिन्होंने 15 सालों तक मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री के तौर पर कार्य किया और विरोधी लहर के चलते भी मात्र 7 सीटों की कमी से लगातार चौथी बार सरकार बनाने से चूक गए। अगर केंद्र सरकार की नीतियों से लोग खुश होते तो शिवराज सिंह चौहान को हरा पाना नामुमकिन था। हक़ीक़त में नोटेबंदी जीएसटी और राफेल जैसे मुद्दों को राहुल गाँधी और कोंग्रस ने खूब भुनाया। जिसका सीधा असर भाजपा शासित इन तीन राज्यों में पड़ा। मध्य प्रदेश के लिए भाजपा का नारा था अब की बार 200 के पार इसे क्या कहेंगे की 5 राज्यों को मिला कर भी भाजपा 200 के आकड़े को नहीं छु पायी। 11-12-17 को राहुल गाँधी ने कुछ क्षेत्रों में सिमटी हुई कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली थी और 11-12-18 को 5 राज्यों में हुए चुनावो में कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में जहाँ अपने बल पर बहुमत प्राप्त किया वहीँ 15 सालो से छत्तीसगढ़ में अंगद की तरह पाव जमा कर बैठी भाजपा को उखाड़ फेका। हमे गुजरात के चुनाव को भी नहीं भूलना चाहिए जहाँ राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। भाजपा का भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने का सपना अब सपना ही रह गया है और वैसे भी सपने कब सच हुआ करते हैं। 

जैसे भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का अभियान चलाया था वैसे ही कांग्रेस ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरआत की है। कांग्रेस को जीत के जश्न में डूबने की वजाय यह ख्याल रखना होगा की जैसे भाजपा ने उन्हें हलके में लेकर भारी भूल की है ठीक वैसे ही वे भाजपा को हलके में न ले वरना परिणाम कुछ भी हो सकते है। भाजपा अब पहले से भी मजबूत पार्टी है और वापसी करने में समर्थ है। कांग्रेस को एक बात और भी ध्यान में रखनी होगी के वे क्षेत्रीय पार्टियों को भी हलके में न ले मिजोरम और तेलगाना में कांग्रेस का क्या हश्र हुआ है यह यह इस बात को प्रमाणित करता है की हर दल का अपने कोई न कोई वज़ूद और पकड़ होती है। क्षेत्रीय पार्टियों की बात करे तो आज भाजपा के लिए इन पार्टियों को लेकर भी दिक्क़ते बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, तेलुगु देशम पार्टी के नारा चंद्रबाबू नायडू जहां भाजपा को अलविदा का चुके है। वहीं भाजपा पीडीपी से नाता तोड़ चुकी है। पंजाब से उनकी सहयोगी अकाली दल में पहले वाला दम खम नज़र नहीं आ रहा है। वहीं उनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना भी भाजपा से ना-खुश है और मौका मिलते ही भाजपा पर प्रहार करने से नहीं चुकती है। क्षेत्रीय पार्टियों की बात हो तो यहाँ सपा और बसपा का ज़िकर करना भी ज़रूरी है जो भाजपा के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं है जो कांग्रेस के साथ तो गठबंधन कर सकता है या बाद में समर्थन दे सकता है मगर भाजपा के साथ नहीं जा सकता। ज़िकर योग है की इस गठबंधन ने मार्च 2018 में हुए उप चुनावो में उत्तर प्रदेश की दोनों लोक सभा सीटों गोरखपुर और फूलपुर पर भाजपा को करारी शिकस्त दी थी। ध्यान रहे की गोरखपुर योगी आदित्यनाथ और फूलपुर केशव प्रसाद मौर्य की परंपरागत सीटें थी। योगी आदित्यनाथ तो 26 सालो से ये सीट जीतते चले आये थे। 2019 में होने वाले लोक सभा चुनावो के लिए अगर सपा-बसपा फिर से गठबंधन कर लेती है तो जहां यह भाजपा के लिए बड़ा नुक्सान है वहीं कांग्रेस के लिए यह अच्छे संकेत है। आज हालत बदलते नज़र आ रहे है । क्षेत्रीय पार्टियों का झुकाव कांग्रेस की तरफ होने लगा है। कांग्रेस ने ज़बरदस्त वापसी की है। ऐसा लगने लगा है की जैसे 2014 के बाद मोदी लहर के चलते भाजपा ने एक के बाद एक राज्यों में जीत का परचम लहराया था।वैसे ही कांग्रेस आने वाले समय में दोबारा उन राज्यों काबिज़ हो सकती है।

 

Tags: Rahul Gandhi , Khas Khabar , Election Special

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD