भारती सेना में 17 वर्ष 6 माह की सेवा करने के उपरांत 1983 में सेवा मुक्त हुए हवलदार अजोली गाँव के कर्म सिंह ने गत 35 वर्षों से खेती विभिन्नता और सहायक धंधे अपना कर किसानों जिमीदारों और कृषि के लिए एक नई मिसाल कायम की है।करम सिंह ने अपने पुत्र सुच्चा सिंह को भी अपनी 5एकड़ की कृषि में साथ ही रखा है. उसने रूपनगर जिले में पहली केले की खेती करने का प्रयास किया है.इसके साथ साथ उसने मुर्ग़ी फार्म, दूध का कारोबार और बर्फ़ का कारख़ाना भी चलाया हुआ है.एक सफल किसान कर्म सिंह जो नंगल श्री आनन्दपुर साहिब मार्ग पर गाँव अजोली का निवासी है. उसके पास 5एकड़ ज़मीन है. जहाँ वह अपनी कृषि सफलतापूर्वक कर रहा है. उसके मुर्ग़ी फार्म में 7500 मुर्गों की सामर्थ्य है. उसने पोल्ट्री में कंट्रैक्ट फार्मिंग को अपनाया है. उसके पोल्ट्री फार्म में एक कंपनी से चूजे, मुर्ग़ी के बच्चे, ला कर 35 दिनों में 1.5 किलोग्राम से 2किलोग्राम तक के मुर्ग़े मुर्गियां तैयार हो जाते हैं जिन की सारी देख रेख ख़ुराक और रख रखाव के लिए सुच्चा सिंह कंपनी से लाभ हासिल कर रहा है.कर्म सिंह ने बताया कि उसने बर्फ़ का कारख़ाना भी स्थापित कर लिया है जहाँ 50 किलो की बर्फ़ की सिल्ली तैयार की जाती है और रोजानों की सामर्थ्य 150 सिल्लियां तैयार करने की है और प्रति सिल्ली 200 रुपए के लगभग की कीमत निश्चित की हुई है.
केलों की खेती बारे कर्म सिंह ने बताया कि उसके सहयोगी बिहार दबानी से आए खेत मज़दूर फागू मुखिया ने केलों की खेती करने की परेर्णा दी एक एकड़ में 1200 पौधे लगाए गए जो बिहार से खरीद के लाए गए जिन पर ट्रासपोरेशन समेत लगभग 50 हज़ार रुपए ख़र्च आया और वह अब केलों की खेती की अगले महीने आने वाली फ़सल का इन्तज़ार कर रहा है. कर्म सिंह ने बताया कि साल में केलों की एक फ़सल की पैदावार होती है और लगभग 240 केले एक पौधे पर लगते हैं। हर साल केलों की पनीरी इन पौधों से ही तैयार हो जाती है. इन पौधों का रख रखाव बहुत ही ध्यान के साथ करना पढता है परंतु इसकी आमदन के साथ की मेहनत की सारी थकान दूर हो जाती है.कर्म सिंह ने कहा कि वह हमेशा घातक स्प्रेयों के विरुद्ध रहा है और उसने फ़सली विभिन्नता को अपनाया है. उसने कहा कि पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से शुरू किये मिशन तंदरुस्त पंजाब के साथ राज्य में नई जागरूकता आई है. पंजाब के नौजवान नशे छोड़ रहे हैं।सूबे की कृषि की आर्थिकता में भी तेज़ी के साथ सुधार हो रहा है.पंजाब की किसानीं में आए इस चोखे सुधार ने छोटे किसानों की आर्थिक हालत को काफ़ी मज़बूत किया है जिस के साथ राज्य की आर्थिकता भी मज़बूत हो रही है. कर्म सिंह ने बताया कि किसान का धूप और धुंध के साथ नाता है सफल किसान बनने के लिए कृषि और किसान भलाई विभाग, बाग़बानी विभाग, पशु पालन विभाग, मछली पालन विभाग और डेरी विभाग के माहिरों की राय लेनी बेहद ज़रूरी है.