सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा और पंजाबी साहित्य अकाडमी के प्रधान प्रो. रवीन्द्र भट्टल ने आज मनजीत सिंह और जगदीश गरचा के अक्षर और आकार की जुगलबंदी वाली पुस्तक ‘जुगलबन्दी’ को जारी किया। पंजाब कला भवन में हुए प्रभावशाली पुस्तक रिलीज समारोह में जारी की इस पुस्तक में उभरते शायर मनजीत सिंह की तुकों और चित्रकार जगदीप गरचा के चित्रों का सुमेल है।पुस्तक को रिलीज करने के उपरांत संबोधन करते हुए स. रंधावा ने कहा कि शायर ने अपने शब्दों और चित्रकार ने अपने चित्रों के द्वारा बड़े -बड़े मामलों पर व्यंग्य किया है। यह व्यंग्य समाज में आईं नैतिक कदरों-कीमतों में गिरावट, भ्रष्टाचार और रिश्तों के टूट रहे ताने-बाने पर है। उन्होंने कहा कि साहित्यकार समाज को पतन से बचाने में अपना अहम योगदान डाल सकते हैं। उन्होंने राजनैतिक क्षेत्र में आए पतन का जि़क्र करते हुए कहा कि यदि राजनैतिक लोग शायरों की संगत में बैठने लग जाएँ तो शायर अपने व्यंग्यों के द्वारा राजनैतिक लोगों को अच्छाई की तरफ ले जाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।पंजाबी साहित्य अकाडमी के प्रधान प्रो.रविन्दर भ_ल ने कहा कि इस पुस्तक के साथ शब्दों और चित्रों की नई किस्म की साझ पड़ी है। उन्होंने कहा कि कवि ने थोड़े शब्दों में बड़ी बात की है। उन्होंने कहा कि मनजीत सिंह में बेहतरीन शायर बनने का पूरा सामर्थ्य है। उन्होंने कहा कि असली कविता वह होती है जो श्रोतओं से ताली नहीं बल्कि उनके माथे के बल डलवा के सोचने के लिए मजबूर कर देती है।अंत में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ओ.एस.डी. और मनजीत सिंह के बड़े भाई श्री एम.पी.सिंह ने प्रत्येक मेहमान का धन्यवाद करते हुए मनजीत सिंह के कॉलेज जीवन से ही साहित्य वाले रुझान संबंधी प्रकाश डाला। इससे पहले मनजीत सिंह और जगदीप गरचा ने अपनी -अपनी कला संबंधी जि़क्र करते हुए इस पुस्तक के अस्तित्व में आने की कहानी बताई। मंच संचालन प्रो.चरनजीत सिंह उड़ारी ने किया जो कवि के अध्यापक रहे हैं। इस मौके पर जगदीप गरचा द्वारा बनाऐ चित्रों के साथ मुख्य मेहमान स. रंधावा और प्रो. भट्टल का सम्मान भी किया गया। इस अवसर पर रजिस्ट्रार सहकारी सोसायटी श्री ए.एस.बैंस, पनकोफैड के चेयरमैन श्री मुनेशवर चंद्र, लोक गायक पंमी बाई और डा.नन्द लाल भी उपस्थित थे।