केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ऑस्कर फर्नांडीस ने कहा है कि आगामी वर्षों में शून्य के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी की जाएगी। उन्होंनें यह भी कहा है कि वाहन दुर्घटना दावों के निपटारे के लिए आवश्यक कदम उठाएं जाएंगे श्री फर्नांडीस सुदृढ़ सड़क सुरक्षा कानून: जीवन रक्षा विषय पर विचार-विमर्श के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि घटते क्रम में ही सही लेकिन विश्व में सड़क दुर्घटना के मामले भारत ने सबसे अधिक हैं जो कि अस्वीकार्य हैं। सरकार सुरक्षित संरचनात्मक ढांचे, कानून, प्रवर्तन, शिक्षा, दुर्घटना के बाद त्वरित कार्रवाई और देखरेख के जरिए सड़क परिवहन सुरक्षा के लिए सरकार प्राथमिक भूमिका निभाएगी। सड़क सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के नियंत्रण और सड़क परिवहन चालन की व्यवस्था के लिए भारत में मोटर वाहन कानून (एमवीए) 1988 बनाया गया है। हालांकि बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप समय-समय पर इन कानूनों की समीक्षा, संशोधित किए जाने और साथ ही कारगर व्यवहार के रूप में पुख्ता रूप से चिन्हित कार्यों को इसमें सम्मिलित किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार ने मोटर वाहन कानून में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है और मौजूदा संशोधन विशेष खतरे के कारकों के लिए व्यापक कानून में सुधार से सड़क दुर्घटना कम करने की दिशा में एक कदम है, क्योंकि अत्याधिक गति, शराब पीकर गाड़ी चलाना, क्षमता से अधिक माल लादना, गाड़ी चलाते वक्त मोबाईल फोन पर बात करना, सीट बेल्ट न बांधना और हेलमेट न पहनना दुर्घटना के मुख्य कारण है।
श्री फर्नांडीस ने यह भी कहा कि मोटर वाहन संशोधन बिल राज्य सभा में 8 मई 2012 को पास कर दिया गया था और अब इसे लोक सभा द्वारा पास किया जाना है उन्होंने कहा कि उपयुक्त कानून सड़क सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि गुड़गांव- जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर आरंभिक योजना तौर पर व्यवस्था की गई है कि सड़क दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति को 48 घंटे तक 30,000 रूपये तक की सहायता नि:शुल्क दी जाएगी। श्री फर्नांडीस ने इस बात पर जोर दिया कि सभी वाहन चालक ‘लखनवी तहजीब’ के सलीके से शिक्षित किए जाने चाहिए। प्रत्येक वाहन चालक को ‘पहले आप’ सिद्धांत का पालन करना चाहिए। इससे टाली जा सकने योग्य दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा और कई लोगों के जीवन की रक्षा हो सकेगी और यात्रा चिन्ता रहित होगी। रिपोर्ट के अनुसार 2012 में 4.9 लाख सड़क दुर्घटनाओं में एक लाख 38 हजार लोग मारे गए।
सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों और उनके रिश्तेदारों की परेशानियों को कम करने के उद्देश्य वाले मोटर वाहन संशोधन बिल 2012 की प्रक्रिया की आदरणीय न्यायाधीश श्री मिढढा ने प्रशंसा की। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हमें ऐसी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है जिसमें झगड़े मामलों के अलावा न्यायालय के हस्तक्षेप बिना दावे वाले मामले निपटाए जा सके। इसके लिए दिल्ली के समझौता प्रक्रिया नियमों को देश भर में लागू करने पर विचार किया जा सकता है। उनका यह भी सुझाव है कि गैर बीमा वाहनों की समस्या से निजात पाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर सेवा कर की व्यवस्था से हम सड़क दुर्घटना कोष की स्थापना कर सकते हैं और सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।भारत के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. नाटा मेनाबडे ने सड़क सुरक्षा कानूनों को सुदृढ़ बनाने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारा पूर्ण विश्वास है कि सड़क सुरक्षा कानूनों को सुदृढ़ बनाने से लोगों की जिंदगी बचेगी। इसलिए हम सभी जिम्मेदार लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे मोटर वाहन संशोधन बिल 2012 पास कराने के लिए एक साथ सहयोग करे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत स्थित कार्यालय और विश्व बैंक ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ मिलकर सड़क सुरक्षा कानूनों को सुदृढ़ बनाने को लेकर 14 दिसंबर 2013 को एक सम्मेलन का अयोजन किया। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री ऑस्कर फर्नांडीस ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदरणीय न्यायाधीश श्री जे. आर. मिढढा, भारत के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. नाटा मेनाबडे, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री संजय बंधोपाध्याय और विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन के जाने माने विशेषज्ञों ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त की। केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों, गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों और मिडिया जगत के लोगों ने सम्मेलन में शिरकत की।