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कांग्रेस से मतभेद के कारण भाजपा में शामिल होने के बारे में कभी नहीं सोचा- कैप्टन अमरिंदर सिंह

कैप्टन अमरिंदर सिंह की सारागढ़ी की जंग एवं अधिकारित जीवनी संबंधी पुस्तकों का विमोचन

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नई दिल्ली , 17 May 2017

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस से मतभेदों के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का विचार उनके मन में कभी नही आया।मुख्यमंत्री ने इस संबंधी मीडिया रिपोर्टो को रद्द करते हुये कहा कि चाहे कि उन्होंने कांग्रेस लीडरशिप से मतभेदों के कारण अपनी नई पार्टी बनाने संबंधी सोचा था परंतु बी जे पी में शामिल होने संबंधी उन्होंने कभी नही सोचा। सारागढ़ी की जंग संबंधी अपनी पुस्तक और अधिकारित जीवनी ‘द पीप्लज़ महाराजा’ के दिल्ली में विमोचन के समय  सुहेल सेठ से बातचीत दौरान मुख्यमंत्री ने कनाडा के रक्षा मंत्री के खालिस्तानियों की तरफ प्रति झुकाव और कशमीर में भारतीय सेना के अधिकारी द्वारा हयूमन शील्ड बनाये जाने जैसे विवादस्पद विषयो पर भी अपने विचार व्यक्त करने से नही हिचकिचाये। कनाडा की सरकार में खालिस्तानी समर्थन संबंधी अपने रूख पर पूरी तरह कायम मुख्यमंत्री ने कहा कि जस्टिन टरूडो की सरकार में बहुत से सदस्य खालिस्तानी समर्थक हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मेजर नितिन गगोई को अपना समर्थन दोहराते हुये कहा कि उसने अपने सैनिकों की रक्षा के लिये यह सही फैसला लिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उस अधिकारी ने बढिय़ा कार्य किया और मैं सोचता हूं कि समूची भारतीय सेना को उसका समर्थन करना चाहिए और उसको शानदार सेवाओं के लिये मैडल दिया जाना चाहिए।हमेशा ही चीजों और स्थितियों को सकारत्मक पक्ष से लेने के लिये अपने आपको साकारत्मक मनुष्य होने का दावा करते हुये मुख्यमंत्री ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किये और उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि 120 वर्षीय पुरानी कांग्रेस पार्टी पुन: उभर कर आयेगी क्योंकि राजनीति में कभी नीचे कभी उपर होता ही रहता है। 

अपने जीवन की एक घटना का जिक्र करते हुये कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से उसके बाद कभी भी बातचीत नही की जब उनको पता लगा कि जिन 21 खालिस्तानी आंतकवादियों द्वारा सम्र्पण करवाये जाने का उन्होंने प्रबंध किया था, को 6 महीने बाद मार दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसको प्रधानमंत्री द्वारा विशवासघात किये जाने के तौर पर देखा और वह उसके बाद कभी भी उनको नही मिले। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के बारे पूछे जाने उपरांत कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह स्थितियों को केवल धरातल पर देखते हैं और उन्हें यह दिखाई देता है कि इस पार्टी के हक में ज़मीन उपजाऊ नहीं है। इसकी केवल मीडिया में विशेष करके सोशल मीडिया में ही गुणगान है। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग स्थिर सरकार चाहते हैं और उन्होंने इस के लिए वोट डाली है।मु यमंत्री ने 95 वर्ष के प्रकाश सिंह बादल को आलोचना में घसीटने से मना कर दिया और कहा कि उनका बादल विरूद्ध निजी तौर पर कुछ भी विरोधता नहीं है जिनका सोचने का अपना ढंग है।सतलुज-यमुना लिंक नहर संबंधी मु यमंत्री ने एक बार पुन: आतंकवाद और नक्सलवाद पुन:जीवित होने की आशंका होने की चेतावनी देते हुए कहा कि यदि नहर का निर्माण हो गया तो पंजाब की दक्षिणी भाग बंजर बन जाएगा। उन्होंने कहा कि आनंदपुर साहिब के प्रस्ताव में पानी मु य मुद्दा था और यह फिर से राज्य में हिंसा का कारण बन सकता है। अपनी सरकार को दरपेश समस्याओं और चुनोैतियों संबंधी पूछे जाने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नशों पर गहरी चिंता व्यक्त की जिससे निपटने के लिए सरकार लगी हुई है। उद्योग की पुन:जीवित और बुनियादी ढांचे का विकास भी उन्होंने बढ़ रही जन सं या के मद्देनज़र जरूरी बताते हुए इसे प्राथमिकता बताया।

इससे पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फौजी इतिहास बारे अपनी नई किताब का थर्टीसिक्थ सि स इन दा तिहार कै पेन 1897-98 सारागढ़ी एंड दा डिफैंस ऑफ दा समाणा फोर्ट की आज समाज के भिन्न भिन्न वर्गों की उपस्थिति में भावपूर्वक ढंग से स्वयं विमोचन किया। इस अवसर पर सियासी, मीडिया तथा फौज से संबंधित प्रसिद्ध श ि़सयतें मौजूद थी।कैप्टन अमरिंदर सिंह की खुशवंत सिंह द्वारा लिखी गई अधिकारित जीवनी दी पीपुल्ज़ महाराजा में कैप्टन अमरिंदर सिंह के जीवन के बचपन से लेकर जवानी तक और उसके बाद सत्ता तक पहुंचने के अमीर अनुभवों व विभिन्न रंगों को लाजवाब गाथा में पेश किया गया है, उन्होंने आपने आप को भारी मनोवेग व उत्साह से लोगों के सेवक के रूप में महसूसकिया जिस प्रकार उनके भारतीय फौज में अपने मनोभावों को व्यक्त किया था, जहां वहचो थोड़े समय के लिए ही रहे पर वह समय बहुत अह्म था।सारागढ़ी की जंग संबंधी अपनी किताब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने महत्वपूर्ण इतिहास पक्षोंको दर्शाया हेै जबकि उनकी अधिकारित जीवनी ने उनके निजी और पेशेवर जीवन के जाने और अनजाने अनेकों पक्षों पर रोशनी डाली है जिसमें ऑप्रेशन ब्लू स्टार, उनके गांधी परिवार के साथ संबंधों और मुशऱफ आदि के साथ विवादपूर्ण मुद्दों को कुरेदने की कोशिश से मुंह मोड़ा गया है।सारागढ़ी की जंग के संबंध में अपने विचार पेश करते मु यमंत्री ने मानवीय इतिहास में इसे सामूहिक बहादुरी बताया जिसमें जानें न्यौछावर करने वाले बहादुर शूरबीरों को इंग्लैंड के संदर्भ में भुला दिया गया है। उन्होंने कहा कि सितंबर महीने सारागढ़ी की जंग की सालगिरह के अवसर पर विशाल समागम करवाये जा रहें हैं जिस दौरान 12 सितंबर को विशेष समागम के तौर पर वह लंदन में अपनी इस पुस्तक को रिलीज़ करेंगे। 

यह किताब 36 सिख रैजीमैंट के उन बहादुर 21 शहीदों को एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में एक ऐसी जंग लड़ते हुये शहादत का जाम पीया जो आज तक के युद्धों में महान स्थान रखती है। यह किताब विशेषकर समर्पित है उस 22वें बहादुर योद्धा जिसको  ‘दाद’ के नाम पर जाना जाता है और दिसने युद्ध के अंतिम पलों के दौरान शहीद होने से पूर्व योद्धाओं की तरह जूझते हुये कई कबाईली हमलावरों को मौत के घाट उतारा।फौज इतिहासकार बने पूर्व सैनिक कैप्टन अमरिंदर सिंह जिनको 36 सिख रैजीमैंट से संबंधित होने का गौरव हासिल है, ने कहा कि दाद की कहानी समय की धूल में खोई रही और उसको 21 दूसरे सैनिकों की तरह सम्मान नही मिला जिन्होंने अफगान कबाईलियों के विरूद्ध अपनी जानें न्यौछावर की थी। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक सही प्रस्तुति का एक लघु और साधारण सा प्रयास है। सारागढ़ी जंग के 120वें वर्ष के दौरान लोकार्पित की गई इस पुस्तक की कमाई अंगहीन सैनिकों, बेसहारा तथा विधवाओं के लिये कार्य कर रही लुधियाना वेलफेयर एसोसिएशन के पास जायेगी।कैप्टन अमरिंदर सिंह सेना इतिहास संबंधी अथाह लिखने वाले एक लेखक है जिन्होंने इससे पूर्व ‘ए रिज्ज टू फॉर: वॉर इन द कारगिल हाइटज़ 1999’, ‘ द मानसून वॉर: यंग आफिसर्ज रेमनीसेक-1965 इंडिया-पाकिस्तान वॉर’, ऑनर एंड फिडिल्टी: इंडियाज़ मिल्ट्री कंट्रीब्यूशन टू दी ग्रेट वॉर 1914 - 18, ‘द लॉस्ट सनसेट: द राइज़ एंड फॉल ऑफ द लाहौर दरबार’ और ‘लेस्ट वी फारगेट’ लिखी हैं। 

 

Tags: Amarinder Singh

 

 

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