जलयुद्ध की तैयारी को लेकर हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला 18 जनवरी बुधवार को प्रात: 11 बजे स्थानीय जाट धर्मशाला में जिला इनेलो कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करेंगे। यह जानकारी इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कुरुक्षेत्र में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दी। इस अवसर पर जिला प्रधान कुलदीप सिंह मुलतानी, रामकरण काला, हलका थानेसर प्रधान रणबीर सिंह किरमिच, पिहोवा हलका प्रधान कर्ण सिंह इशहाक, शाहाबाद हलका प्रधान अमनदीप सिंह कंबोज, लाडवा हलका प्रधान सुरेश सैनी, थानेसर शहरी प्रधान रामस्वरूप चोपड़ा, पिहोवा शहरी प्रधान अशोक गुप्ता, युवा इनेलो नेता जोगध्यान, युवा इनेलो जिला प्रधान सुनील राणा, प्रवीण पुजारा, राहुल पूनिया, तून खान, चंद्रभान बाल्मीकि, महिला प्रकोष्ठ जिला प्रधान सुरजीत कौर सहित पार्टी के अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।
अशोक अरोड़ा ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक नहर हरियाणा के लिए जीवन मरण का प्रश्न है। इनेलो ने इसे जलयुद्ध का नाम दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा व कांग्रेस इस मामले को लेकर दोहरी नीति अपना रही है। प्रदेश और केंद्र में भाजपा की सरकार है, वहीं पंजाब में अकाली भाजपा गठबंधन सरकार है, लेकिन भाजपा के सभी नेता अलग अलग सुर में बोल रहे हैं। किसी ने भी हरियाणा के हिस्से का पानी दिलवाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया। दुख की बात तो ये है कि दो महीने से अधिक का समय बीत गया, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा के सर्वदलीय शिष्टमंडल को प्रधानमंत्री से मिलवाने के लिए समय नहीं ले पाए।
इसी प्रकार हरियाणा, पंजाब के कांग्रेसी नेता भी अलग अलग भाषा बोल रहे हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं। इस मामले को लेकर पजांब व हरियाणा में केंद्र के कांग्रेसी नेता अलग अलग राग अलाप रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनेलो ने 23 फरवरी को पंजाब में जाकर एसवाईएल खोदने का फैसला लिया है ताकि हरियाणा के हिस्से का पानी प्रदेश में लाया जा सके। इसकी तैयारी को लेकर प्रदेश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की जा रही हैं। इसी कड़ी में अभय चौटाला 18 जनवरी को कुरुक्षेत्र आ रहे हैं। इनेलो प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री जनता को गुमराह कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने एसवाईएल का निर्णय हरियाणा के हक में दिया है और इस समय देश की किसी भी अदालत में एसवाईएल को लेकर कोई भी मामला लंबित नहीं है। अरोड़ा ने कहा कि भाजपा को हरियाणा के हितों से कोई वास्ता नहीं है। प्रधानमंत्री भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।