दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा मैनेजमेंट कमेटी ने 84 के सिक्ख कत्लेआम पर दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणी का स्वागत किया है। कमेटी ने कहा है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी से सिक्खों की पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। कमेटी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि इस कत्लेआम ने हजारों बेगुनाह सिक्खों की जिंदगी छीन ली। इस कत्लेआम में हजारों बच्चे अनाथ और हजारों महिलाएं विधवा। निश्चित रूप से इस कत्लेआम के दोषियों को 32 साल गुजर जाने के बावजूद सजा नहीं मिलना एक भयंकर नासूर से कम नहीं है। सिरसा ने कहा कि हाईकोर्ट ने माना है कि सजा देने में नाकामी में ऐसी खाई पैदा होती है। ऐसी स्थिति में पीडि़तों और गलत रूप से आरोपी बनाए गए लोगों में नाइंसाफी की भावना पैदा होती है।
सिरसा ने कहा कि हाईकोर्ट ने हजारों सिक्खों के कत्लेआम के आरोपी सज्जन कुमार की इस कत्लेआम की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश को तब्दील करने की याचिका को खारिज कर न्यायपालिका को गुमराह करने की कोशिश की थी। मगर अदालत ने सज्जन कुमार की इस मंशा को पूरा नहीं होने दिया और इस मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश को बदलने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर जैसे कांग्रेसियों ने सिक्खों पर जो जुल्म ढाए हैं उसे बयान नहीं किया जा सकता। कांग्रेस आज भी ऐसे सिक्खों के कातिलों को पाल रही है। सज्जन कुमार का राहुल गांधी के साथ धरनों पर बैठना यह साबित करता है कि कांग्रेस के दिल में सिक्खों के प्रति खोट है। सिरसा ने कहा कि समझ नहीं आता कि सिक्खों और पंजाबियों के कट्टर विरोधी किस मुंह से पंजाब में सिक्खों से वोट मांगने की कोशिश कर रहे हैं। पंजाब के लोगों ने इससे पहले भी कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाया और इस बार भी कांग्रेस की हालत 2012 जैसी ही होगी।