पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे ने दृढ़ता से जंगलों, आदिवासियों तथा वनस्पतियों और जीव की प्रजातियों के बीच सह-अस्तित्व पर जोर दिया। भारतीय वन सेवा के 2015 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को आज यहां संबोधित करते हुए श्री दवे ने कहा कि पेड़ और पक्षियों का संरक्षण तथा जानवरों और उनके प्रजातियों का सह-अस्तित्व हमारी सभ्यता में निहित है। मंत्री जी ने प्रशिक्षु अधिकारियों से आग्रह किया कि अच्छा वन अधिकारी बनने के लिए अपने काम में तन्मयता की आदत लाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थानों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण देने वालों की गुणवत्ता भी अच्छी होनी चाहिए।
भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव, श्री एस एस नेगी ने कहा कि आईएफएस अधिकारियों को प्रकृति के बीच में रहने का एक अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि युवा अधिकारियों को वन पर निर्भर रहने वाले समुदायों के गरीब लोगों के लिए काम करने का प्रयास करना चाहिए। भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के 2015 बैच में 61 अधिकारी शामिल हैं जिनमें चार महिलाएं और भूटान के दो विदेशी प्रशिक्षु भी हैं। इस अवसर पर अतिरिक्त महानिदेशक वन डॉ अनिल कुमार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के महानिदेशक डॉ शशि कुमार, वन महानिरीक्षक डॉ रेखा पई और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। डॉ रेखा पई ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।