सफीदों रोड़ आर्य समाज में आयोजित यज्ञ व साप्ताहिक सत्संग के उपलक्ष पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए धर्मवीर आर्य ने योग को ईश्वर प्राप्ती का साधन बताया। धर्मवीर आर्य ने श्रोताओं को बताया कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है बल्कि परम पिता परमात्मा को प्राप्त करने का एक मुख्य साधन है। उन्होंने बताया कि यम, नियम , आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि के माध्यम से उस परमपिता परमात्मा को प्राप्त कर परम सुख को प्राप्त किया जा सकता है। योग का लाभ न केवल इस जन्म में बल्कि जन्म-जन्मान्तरों तक मिलता है। लेकिन इसके लिए अत्यंत साधना व पुरूषार्थ की आवश्यकता है। महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित योग दर्शन में इसकी बारीकी से व्याख्या की है। किसी भी साध्य को प्राप्त करने के लिए साधन का ठीक होना अत्यंत आवश्यक है।
परमपिता परमात्मा को प्राप्त करने व योग साधना करने के लिए शरीर को स्वस्थ रखना अत्यंत आवश्यक है और योग की इसमें महति भूमिका है। योगाभ्यास से न केवल शरीर स्वस्थ होता है बल्कि आत्मा भी निर्मल होकर उस परमांनद को प्राप्त होती है जिसके लिए यह मानव जन्म मिला है। प्रत्येक व्यक्ति को नियमित इसका पालन करना चाहिए। इस अवसर पर सुनील आर्य, अनिल बडगुज्जर, नरेन्द्र गौतम, सुशिल भारद्वाज, सत्यवान देशवाल, राधेश्याम सैनी, विवेक सैनी, मास्टर अनिल, तेजस आर्य, वीरेंद्र सैनी,सागर सैनी, अभिषेक तातन, कविता आर्या ,सावित्री देवी ,मनीषा आर्या ,सोम किरण आर्या ,श्रुति आर्या, नेहा जांगड़ा व पूजा जांगड़ा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।