Friday, 26 April 2024

 

 

खास खबरें बोलने का हक भी छीन रही पंजाब सरकार कैथल में अंबाला रोड पर भगवान विश्वकर्मा चौक के निकट चुनावी कार्यालय का शुभारंभ किया ज़मीन के इंतकाल के बदले 10,000 रुपए रिश्वत लेता हुआ पटवारी विजीलैंस ब्यूरो द्वारा काबू 20,000 रुपए की रिश्वत लेता हुआ सीनियर सहायक विजीलैंस ब्यूरो द्वारा काबू आर.टी.ओ ने सेफ स्कूल वाहन स्कीम का उल्लंघन करने वाली 23 बसों के काटे चालान कांग्रेस देश को धर्म और जाति के नाम पर बांटने का काम कर रही : डॉ. सुभाष शर्मा ‘मानव एकता दिवस’ के अवसर पर निरंकारी मिशन द्वारा 296 युनिट रक्त दान किया गया मार्कफैड के एम.डी. ने निर्विघ्न खरीद कार्यों को सुनिश्चित बनाने के लिए सम्बन्धित डिप्टी कमिश्नरों के साथ लुधियाना, मोगा और फिऱोज़पुर की मंडियों का किया दौरा जिला एवं सत्र न्यायधीश की ओर से जिला कानूनी सेवाएं अथारटीज के सदस्यों के साथ बैठक जिला एवं सत्र न्यायधीश की ओर से जिला कानूनी सेवाएं अथारटीज के सदस्यों के साथ बैठक हीट-वेव से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश राजीव के हाथ के खाने का स्वाद आज तक नहीं भूले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से प्रशिक्षु अधिकारियों ने भेंट की बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध लेखक जावेद अख्तर ने एलपीयू के मीडिया फेस्ट "एक्सप्रेशन-2024" में किया विद्यार्थियों को प्रेरित सी-विजिल के माध्यम से चुनावों पर नागरिकों की पैनी नज़र नागरिकों द्वारा डाला गया प्रत्येक वोट बेहतर कल के लिए आशा की नई किरण - मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल आपकी सम्पत्ति और गाढ़ी कमाई सर्वे के नाम पर ज़ब्त करने की फ़िराक में है कांग्रेस और इंडी एलायंस: प्रेम कुमार धूमल स्विमिंग ही नहीं, एडवेंचरस एक्टिविटीज भी करना पसंद करती हैं नरगिस फाखरी सेफ स्कूल वाहन स्कीम के अंतर्गत जिले में 55 स्कूली बसों की चैकिंग कांग्रेस की सरकार में महिलाओं को 50% छूट और किसानों को मिलेगी एमएसपी -अनुमा आचार्य आम आदमी पार्टी का चन्नी पर जवाबी हमला: 1 जून के बाद आप होंगे गिरफ्तार

 

बिहार के नतीजों ने बता दी देश की नब्ज

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

08 Nov 2015

18 महीने में दो बड़ी हार, दिल्ली का चुनाव परिणाम अगर इत्तेफाक था तो बिहार के नतीजे क्या हैं? यह सच है कि भाजपा ने भी नहीं सोचा होगा कि केंद्र में सत्तासीन होते ही इतनी जल्द वजूद पर बड़े मंथन की नौबत आएगी! बिहार के नतीजों ने देश की नब्ज जरूर बता दी है, क्योंकि लगभग सभी दल कह रहे थे कि बिहार का चुनाव देश की सियासी ताकत और दिशा तय करेगा! क्या माना जाए कि इन नतीजों ने भारतीय लोकतंत्र की मजबूती तो दिखाई ही, मतदाताओं की परिपक्वता भी दिखला दी और यह जुमला बिल्कुल सटीक बैठा- 'ये पब्लिक है, सब जानती है।'

किसी भी प्रधानमंत्री की एक राज्य में 30 रैलियां, मायने रखती हैं। बावजूद इसके भाजपा गठबंधन की हार कई मायनों में पार्टी के लिए चिंता का सबब है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी 80 से ज्यादा रैलियां की थीं। जबकि चिराग पासवान ने 180 और नीतीश कुमार ने 220 रैलियां कीं। नतीजे सामने हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी बिहार की राजनीतिक नब्ज नहीं पहचान सकी। 'सबका साथ सबका विकास' से लेकर 'जंगल राज पार्ट-2' की कहानी और जबरदस्त राजनैतिक समीकरणों, जोड़तोड़ और हर कार्ड खेले जाने के बावजूद बिहार का चुनाव, भाजपा के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा रोकने में कामयाब रहा।

चुनाव के नतीजों ने कम से कम इतना तो जतला ही दिया कि राजनीति में 'बड़बोलेपन' का कोई स्थान नहीं और जनता भले ही वोट देने के बाद खामोश रहे, लेकिन मौका मिलते ही बिना देर किए अपना फैसला बेहद ही गंभीरता से सुना देती है। चुनावों के विश्लेषण से निष्कर्ष चाहे जो भी निकलें, बड़ी सच्चाई यह कि देश का मिजाज धर्म और जाति से अलग है। चाहे वो हिंदू-मुस्लिम, दलित वोट बैंक की राजनीति ही क्यों न हो। बात चाहे पासवान-मांझी-कुशवाहा फैक्टर की हो या ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की, नतीजों ने देश में वर्ग और वर्ण सद्भाव की नींव को और मजबूत ही किया है।

बिहार में भाजपा ने जो खामियाजा भुगता, उसका मतलब यह भी नहीं कि उसका झुकाव एक खास मकसद पर था। ये तो भारतीय मतदाता की परिपक्वता और निर्णय था जो जुमलों और काम को तौल सका। अब यह दुनिया भर में कौतूहल और शोध का विषय बनना तय है। देश ने कई चुनाव देखे हैं, हर बार अलग मुद्दे विषय बनते हैं। लेकिन इस बार साबित किया कि मात्र विकास चाहता है और उसकी चाहत क्या बुरी है? लगता नहीं कि बिहार का चुनाव, बड़ी चेतावनी की घंटी है? राजनीतिक दलों के लिए भी और उनके लिए भी जो दलों की खास पहचान बनाकर राजनीति किया करते हैं। बिहार के नतीजों को कोई 16 महीनों के विकास का परिणाम बताता है तो कोई राजनीति में बड़बोलेपन की अस्वीकार्यता। 

मायने कुछ भी हों, सच्चाई यह है कि जनता तोल-मोलकर ही फैसले लेती है और अब कम से कम भारतीय लोकतंत्र की एक-एक आहुति रूपी प्रत्येक मतदाता की समझदारी का भी ख्याल दलों को रखना होगा, वरना सरकार भले ही पांच साल चल जाए, लेकिन नतीजे बदलने में कुछ ही महीने लगते हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए जरूर यह परिणाम निराशा का कारण बनेंगे, बनना भी चाहिए, क्योंकि दिल्ली के बाद बिहार ने काफी समझाइश दे दी है। अब बारी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की है। शब्दों और वाकयुद्ध पर सियासत ने इसमें काफी गुल खिलाया। 

बिहार चुनाव के दौरान महागठबंधन की जीत पर पाकिस्तान में फटाखे फूटने, बुद्धिजीवियों, कलाकारों और वैज्ञानिकों की बेचैनी, डीएनए पर सवाल, पलटवार सहित देश के किसानों का आक्रोश, दालों की बढ़ती बेतहाशा कीमत और हजारों क्विंटल जमाखोरों से जब्त दाल के बावजूद कीमतें कम नहीं होना, खुद भाजपा में बाहर न दिखने वाले विरोध के अंदरूनी मुखर स्वर, गाय का मांस और असहिष्णुता के मुद्दे ने वो असर दिखाया जिसे किसी ने सोचा भी न था। 

वैसे बिहार के चुनाव ने नसीहतें भी काफी दी हैं। भले ही चुनाव जीतने के लिए कितने ही प्रबंधन किए गए हों, वहां के मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई भी हथकंडे न छोड़े गए हों, पर इतना तो मानना होगा कि स्क्रीन के रिजल्ट और असली रिजल्ट अलग होते हैं। क्यों न अब मान लिया जाए कि भारत एक सशक्त लोकतंत्र हो गया है, बंद कमरों में गढ़ी गणित काम नहीं करती, मैदानी हकीकत, सच्चाई की स्वीकार्यता के मॉडल की ओर चल पड़ी है। देश की राजनीति भी अब ऐसे ही नतीजों की धुरी पर होगी। राजनीति में विनम्रता, सरलता, सहजता और उन सबके बीच जनता जो खलनायक को नायक और नायक को खलनायक बनाने में त्वरित फैसले लेती है, को ही नायक समझ उसके लिए ही काम करने वाले चल पाएंगे, भले ही गठबंधन या महागठबंधन के हों। 

 

Tags: Election Special

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD