महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में नए साल के पहले दिन शौर्य दिवस मना रहे दलितों पर किए गए हमले के विरोध में वामपंथी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को विरोध दिवस मनाया। इस मौके पर कई स्थानों पर प्रतिरोध मार्च निकाला गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया गया। राजधानी पटना में कारगिल चौक पर प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि सहारनपुर और ऊना के बाद भीमा-कोरेगांव की घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) व भाजपा के 'दलित-प्रेम के ढोंग' की पोल खोल दी है। नेताओं ने कहा कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार नया 'पेशवा राज' चला रही है। भीमा-कोरेगांव की घटना के असली दोषियों को गिरफ्तार करने की बजाय फड़णवीस सरकार उलटे दलित समाज के जुझारू नेता जिग्नेश मेवाणी, छात्र नेता उमर खालिद व अन्य को निशाना बना रही है, जो बेहद शर्मनाक है।इस जनसभा को पार्टी की केंद्रीय कमिटी सदस्य सरोज चौबे, शशि यादव, राज्य कमिटी सदस्य रणविजय कुमार सहित कई नेताओं ने संबोधित किया। माले नेताओं ने प्रधानमंत्री पर भी तंज कसते हुए कहा, "दिन में कई-कई ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र की इस बर्बर घटना पर अब तक बिल्कुल मौन हैं। इससे स्पष्ट है कि वह चाहत हैं कि ेहिंदूवादी संगठनों के लोग दलितों व अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाते रहें और सबका साथ, सबका विकास का नारा देकर वह देश को यूं ही भरमाते रहें।" विरोध दिवस के दौरान आरा में स्टेशन परिसर पर भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया, जिसमें तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, आइसा के बिहार राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन सहित दर्जनों नेताओं ने हिस्सा लिया। राज्य के सीवान, जहानाबाद और समस्तीपुर में भी आक्रोशपूर्ण मार्च निकाला गया।