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महिलाओं के लिए एक ही रास्ता-उद्यमिता

19 नवंबर : महिला उद्यमिता दिवस

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5 Dariya News

नई दिल्ली , 19 Nov 2017

महिला उद्यमी बनना कई लोगों की आकांक्षा हो सकती है, लेकिन क्या उद्यमी बनना इतना आसान है? रविवार को महिला उद्यमिता दिवस है। कई लोगों का कहना है कि उद्यमिता डरपोक लोगों के लिए नहीं है। नौकरशाही और लैंगिक बाधाओं से भरे मार्ग के लिए आत्मविश्वास से लबरेज होना जरूरी है। सिस्को ग्रुप के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अनुसूया गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, "हां, यह पुरुषों की दुनिया रही है। जब 10 साल पहले मैंने कारोबार की कमान संभाली थी, उस समय लोगों के दिमाग में असुरक्षा की भावना थी। लोगों ने कारोबार खरीदने की कोशिश की, लेकिन मैं अडिग रही। मुझे अपना मिशन पूरा करना था। मुझे अपने कारोबार को फैलाना था।"अनुसूया जब महज गृहिणी थीं, लेकिन उस समय की परिस्थितियों की वजह से उद्यमी बन पाईं। उन्होंने अपने पति की मौत के बाद कामकाज संभाला।वह कहती हैं, "आज मुझे उद्यमी होने के अवसरों का अहसास है। मुझे औचक ही उद्यमी बनने का अवसर मिला, लेकिन अब मैं उद्यमी बनने के मायने समझती हूं। मैंने सिस्को के वरिष्ठ नेतृत्व में लैंगिक अनुपात को बदला है। अब कंपनी का 50 फीसदी नेतृत्व महिलाओं के पास है। महिलाएं अधिक संवेदनशील और अच्छी वक्ता होती हैं, जिससे निर्णय लेने में मदद मिलती है।"उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता और वित्तीय फैसले लेने की शक्तियां महत्वपूर्ण हैं, लेकिन किसी को अतिरिक्त लाभ की मांग नहीं करनी चाहिए। 

वह कहती हैं, "यदि हम महिला सशक्तीकरण चाहते हैं तो हमें पुरुषों के अनुरूप समान अवसर चाहिए। हम महिला होने के नाते अतिरिक्त अवसरों की मांग नहीं कर सकते।"सामाजिक उद्यमी वेंडी डायमंड ने महिला उद्यमिता दिवस की शुरुआत की थी, जो अब महिला उद्यमिता दिवस संगठन की सीईओ हैं, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना है।भारत में महिलाओं के लिए उद्यमिता की यात्रा कितनी मुश्किल है? मोबिक्विक की सहसंस्थापक और निदेशक उपासना टाकू ने आईएएनएस को बताया, "उद्यमिता बहुत ही चुनौतीपूर्णकाम है। यह अकेला मार्ग है। हमें नकारात्मक टिप्पणियां करने वालों से उलट खद में आत्मविश्वास रखना बहुत जरूरी है। दृढ़ता उद्यमिता के मुख्य तत्वों में से एक है।"वह बताती हैं कि महिला उद्यमियों के लिए पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत जरूरी है।उन्होंने कहा, "कुछ परिवार इसे आसान बनाते हैं और कुछ कठिन बना देते हैं। मैंने उस वक्त कंपनी शुरू की थी, जब मैं सिंगल थी। मेरे माता-पिता मेरे करियर के समर्थक थे, इसलिए यह मेरे लिए आसान था।"टाकू ने काम और जीवन के बीच संतुलन के बारे में कहा, "मेरा स्टाटअर्प मेरा बच्चा है। अब बच्चा आठ साल का हो गया है। मेरा खुद का बच्चा दो साल का है।"पीपुलस्ट्रांग के सहसंस्थापक और मुख्य कारोबारी अधिकारी शेली सिंह को लगता है कि महिलाओं को जीवन में बड़े लक्ष्य रखने चाहिए। 

सिंह ने आईएएनएस को बताया, "मैं मध्यमवर्गीय परिवार से आती हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे सर्वोत्तम शिक्षा दी। मैं उद्यमी बनने की यात्रा शुरू करने से पहले दो जगह काम करती थी। इन दोनों जगहों पर मैंने मानव संसाधन (एचआर) विकास टीम में काम किया है। मुझे हमेशा लगता रहा कि एचआर क्षेत्र में कुछ करने की जरूरत है।"उन्होंने कहा कि देश में महिला उद्यमियों को सलाह देने की व्यवस्था बहुत कमजोर है। वह कहती हैं, "यदि आपको सही मेंटर मिल गया तो आपकी यात्रा आसान हो जाएगी। महिलाओं के अपने मानसिक अवरोध हैं। यदि वे अपना उद्देश्य सामने रखें तो वे इसे हासिल कर सकती हैं।"सिंह काम और जीवन के बीच संतुलन के बारे में कहती हैं, "हम महिलाओं को हर चीज में सर्वश्रेष्ठ होने की जरूरत नहीं है। हर चीज में सर्वश्रेष्ठ होना संभव नहीं है। किसी एक क्षेत्र में असफल होना भी ठीक है।"वह कहती हैं, "हमें खुद के लिए नियम निर्धारित करने पड़ेंगे। उद्यमिता एक अंदरूनी यात्रा है। यदि किसी को लग्जरी पसंद है, तो उद्यमिता से नहीं जुड़े। यहां असफलताएं होंगी और व्यापक असफलताएं होंगी। ये डरपोक लोगों के लिए नहीं है।"सिंह ने कहा, "महिलाएं वास्तव में बड़े सपने नहीं देखतीं। महिलाओं का उद्देश्य सीमित आर्थिक आजादी होता है। महिलाएं जन्मजात नेटवर्कर हैं, वे सामाजिक जीवन में बेहतर होती हैं और बॉस के रूप में अधिक संवेदनशील होती हैं।"

 

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