केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने मंगलवार को कहा कि राज्य में टीवी चैनलों में काम कर रहे 15 हजार से अधिक कर्मचारी काम करने की जिन कठित शर्तो का सामना कर रहे हैं, उन पर तब विचार किया जाएगा जब उससे परेशान कर्मचारी सरकार संपर्क करेंगे। विजयन ने कहा, "अब तक वेतन एवं इस तरह की चीजों के बारे में सरकार के स्तर पर कोई शिकायत नहीं मिली है। वेतन बोर्ड में टीवी चैनलों के कर्मचारियों के शामिल नहीं होने का मुद्दा अभी उनकी ओर से आना शेष है और ऐसा इस वजह से नहीं हुआ कि प्रिंट मीडिया के उलट टीवी चैनलों में वेतन बहुत अधिक हैं और विभिन्न चैनलों के कर्मचारियों की नौकरियां बार-बार बदली जाती हैं। इसलिए उनकी ओर से मांग उठाए जाएं।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "आज राज्य में चौबीस घंटे चलने वाले सात समाचार चैनल हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय चैनल हैं। 15 हजार लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर नौकरी देने वाले इस क्षेत्र में 20 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला है।"मुख्यमंत्री टीवी पत्रकार से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की विधायक बनी वीना जॉर्ज द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। जॉर्ज ने कहा कि टीवी पत्रकार सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों का मुद्दा उठाते हैं, उनकी अपनी तकलीफों को नहीं उठाया जाता।
एक समाचार चैलन से टीवी एंकर की नौकरी छोड़ने के बाद विधायक बनीं जॉर्ज ने कहा, "आज नियम ऐसे हैं कि टीवी पत्रकारों को वर्किं ग जर्नलिस्ट एक्ट के तहत नहीं रखा गया है, इसलिए उन्हें बहुत सारे लाभ नहीं मिलते। राज्य सरकार को इस मुद्दे को केंद्र सरकार के साथ उठाना चाहिए ताकि कानून में संशोधन हो सके। टीवी चैनल के कर्मचारियों के साथ बहुत सारे मुद्दे जुड़े हैं और यह समय की जरूरत है कि इसके सारे पहलुओं पर विचार करने के लिए एक कमेटी गठित की जाए।"इन सात चैनलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा और विज्ञापन को लेकर गड़बड़ी की वजह से कुछ को छोड़ दें तो ये चैनल आर्थिक संकट से घिरे हैं और बदनसीब कर्मचारी बुरी तरह प्रभावित हैं।