हरियाणा पंजाबी महासभा ने प्रदेश के सिखों के लिए अलग से गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी का समर्थन किया। महासभा ने हरियाणा विधानसभा में पारित किए गए बिल पर केंद्र व पंजाब सरकार द्वारा जताई जा रही आपत्ति का विरोध करते हुए दोनों सरकारों को सलाह दी है कि वे प्रदेश के सिखों के इस मामले में टांग न अड़ाएं।पंजाबी महासभा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक मैहता ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार ने हरियाणा के सिखों की इस मांग का विरोध करके गलत काम किया है। उन्होंने कहा कि गुरु्रद्वारा प्र्रबंधन कमेटी का विधेयक अब कानून बन चुका है और यह फैसला संविधान के अनुसार किया गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा किए गए विरोध को राजनीतिक स्टंट बताते हुए मैहता ने कहा कि हरियाणा के सिखों ने अपना हक मांगा है और उसे बादल तो क्या कोई भी नहीं रोक सकता।
अशोक मैहता ने कहा कि यह मामला अब अकेले सिख भाइयों का नहीं रहा है बल्कि प्रदेश की ढाई करोड़़ जनता के मान-सम्मान से जुड़ गया है। प्रदेश की जनता इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र व बादल सरकार का यही रवैया रहा तो पंजाबी महासभा प्रदेशभर में ब्लाक व तहसील स्तर पर इन सरकारों के खिलाफ सडक़ों पर उतरेगी।पंजाबी महासभा के अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से बादल व भाजपा मिलकर हरियाणा के सिखों का विरोध कर रहे हैं और उससे तो ऐसा लगता है जैसे अब प्रदेश को चलाने का काम भी बादल ही करेंगे। उन्होंने कहा कि अकाली नेताओं व निहंगों ने जिस तरह से प्रदेश के गुरुद्वारों पर हथियारों से लैस होकर कब्जा किया हुआ है, उससे अराजकता का माहौल पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता की पगड़ी को उछलने नहीं दिया जाएगा। पंजाबी महासभा इस मामले में पूरी तह से प्रदेश के सिखों के साथ खड़ी है।उन्होंने कहा कि गुरुद्वारों के प्रति अकेले सिखों की आस्था नहीं है बल्कि समाज के दूसरे धर्म और जातियां भी गुरुद्वारों में मत्था टेकने जाती हैं। कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद में जिस तरह से सिख भाइयों की तलाशी ली गई, उससे तो अमरजेंसी जैसी स्थिति बनती दिख रही है। मैहता ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भी इस मामले में सख्ती सेे निपटना चाहिए और केंद्र व बादल सरकार से दबने की बजाय इसका मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए।