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जम्मू कश्मीर की मिट्टी तीर्थ क्षेत्र, इसका कण-कण वंदनीय : दत्तात्रेय होसबाले

यह कैसे हो सकता है, बाबा अमरनाथ हमारे पास और मां शारदा पीओजेके में हो : राजनाथ सिंह

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जम्मू , 24 Jul 2022

जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार 1947 से लेकर आज तक बलिदान करने वाले प्रदेश के लगभग दो हजार जांबाजों को सामूहिक श्रद्धांजलि देने के साथ बलिदानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। इस सिलसिले में रविवार को स्वतंत्रता के 75 वर्ष एवं कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम द्वारा गुलशन ग्राउंड, गांधीनगर में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले वशिष्ट अतिथि और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि थे। समारोह में बलिदानियों के परिवारों, पूर्व सैनिकों, अर्द्ध सैनिक बलों के पूर्व जवानों और अधिकारियों, पूर्व सैन्य अधिकारियों, जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व कर्मियों और अधिकारियों सहित 25 हजार से अधिक लोग सम्मिलित हुए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बलिदानी परिवारों को शाल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। 

इस अवसर पर परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह, सेवानिवृत्त जस्टिस प्रमोद कोहली, पूर्व डीपीपी डॉ एसपी वैद, सेवानिवृत्त ले. जनरल वीके चतुर्वेदी, पूर्व ले. जनरल राकेश कुमार शर्मा, पूर्व ले. जनरल एसके गोसाईं, पूर्व ले.जनरल एलआर सडोत्रा, पूर्व मेजरल जनरल एसके शर्मा, पूर्व आईपीएस अधिकारी सच्चिदानंद श्रीवास्तव, डीआरडीओ के पूर्व डीजी डॉ. सुदर्शन शर्मा, प्रांत संघचालक डॉ गौतम मैंगी, पद्मश्री प्रो शिवदत्त निर्मोही, पद्मश्री पंडित विश्वमूर्ति शास्त्री, पूर्व सीएमडी जेके बैंक और निदेशक आरके छिब्बर, केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के कुलपति डॉ संजीव जेन, स्कॉस्ट जम्मू के कुलपति प्रो जेपी शर्मा, सेवानिवृत्त आईएफएस सीएम सेठ, सेवानिवृत्त आईएएस निर्मल शर्मा, सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर बीएस सम्बयाल, सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर दीपक बडयाल और जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम के अध्यक्ष रमेश सभरवाल उपस्थित थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अपने संबोधन में बलिदानियों और उनके परिवार के सम्मान में आयोजित इस सम्मान समारोह को स्वर्णिम दिवस बताते हुए कहा कि इसमें सम्मिलित होना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्हांने कहा कि आज वह उन परम पुण्यात्माओं के परिवारों के बीच उपस्थित हैं जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी तथा अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष राष्ट्र की सेवा के लिये लगा दिये।होसबाले ने कहा कि ऐसे वीरों के शौर्य और पराक्रम को स्मरण करते हुए कहा कि हमें स्वतंत्रता मिले 75 वर्ष हो गए हैं। स्वतंत्रता के लिए हमारे पूर्वजों ने एक लम्बा संघर्ष किया था। इस संघर्ष में स्वतंत्रता सेनानियों के तप, त्याग और बलिदान की गाथायें छुपी हैं। वर्तमान पीढ़ी जो स्वतंत्रता के बाद जन्मी है, उसे इसका ज्ञान होना चाहिए। 

हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए क्या किया है, इसे केवल जानना ही नहीं चाहिए बल्कि इससे प्रेरणा भी लेनी चाहिए ताकि आज भारत वर्ष को और आगे ले जाने के लिए आज की पीढ़ी में आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हो और भारत को विश्व का सिरमौर बनाने में सहायता मिले।

केंद्र शासित प्रदेश की चर्चा करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जम्मू कश्मीर देश की स्वतंत्रता के समय से ही पाकिस्तान की कुदृष्टि का शिकार रहा है। प्रारम्भ से ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में कभी आक्रमण, कभी आतंकवाद तो कभी अलगाववाद को बढ़ावा दिया है। उन्होंने जम्मू कश्मीर की जनता का पाकिस्तानी और देश विरोधी शक्तियों के षडयंत्रों को विफल करने में सेना, सुरक्षा बलों और जम्मू कश्मीर पुलिस का सहयोग करने के लिए भारत के समस्त देशवासिदयों की ओर से अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जहाँ  अलगाववाद और आतंकवाद को भड़काने में लगा था तो स्थानीय जनता का राष्ट्र के प्रति प्रेम और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए किसी भी सीमा तक जाने के दृढ संकल्प ने निरन्तर इस अलगाववाद और आतंकवाद को परास्त किया।

उन्होंने कहा कि इस दृढ संकल्प का प्रथम उदाहरण जम्मू कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह स्वयं हैं जो एक महान शासक और दूरदर्शी विभूति थे। 1947 में एक तरफ पाकिस्तान जम्मू कश्मीर पर आँखें गढ़ाए बैठा था तो दूसरी तरफ अंग्रेजां की भी यह साजिश थी कि जम्मू कश्मीर का अधिमिलन पाकिस्तान में होना चाहिये भारत में नहीं, लेकिन महाराजा ने पाकिस्तान और अंग्रेजां दोनों की साजिशों को निष्फल करते हुए जम्मू कश्मीर का अधिमिलन अथवा विलय भारत से किया। उस महान निर्णय के कारण हम जम्मू कश्मीर के लोग गर्व से कह सकते हैं कि हम भारत के नागरिक हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विलय अथवा अधिमिलन तो भारत में हो गया लेकिन उस समय के केन्द्रीय नेतृत्व की अदूरदर्शिता और जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजनीतिक शासकों के षड्यंत्रों के चलते जम्मू कश्मीर में भारतीय संविधान को पूरी तरह लागू करने मे अड़चने पैदा करने के प्रयास किये जाने लगे। ऐसे समय में स्वतंत्र भारत का पहला आन्दोलन प्रजा परिषद आन्दोलन राज्य में शुरू हुआ था। इस आन्दोलन को राज्य में और फिर पूरे देश में सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित प्रेमनाथ डोगरा के अतुलनीय योगदान को हमें नहीं भूल सकते। एक हाथ में तिरंगा पकडे़, दूसरे हाथ में संविधान पकडे़ और गले मे तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद की फोटो लेकर हजारां लोग सड़कां पर निकल आये थे, उनका नारा सिर्फ एक था“ एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। “ उन्होंने कहा कि जब जब वह जम्मू कश्मीर में प्रवेश करते हैं, उनको कर्नल नारायण सिंह, ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित प्रेमनाथ डोगरा जैसी महान विभूतियों का स्मरण होता है।

अपने संबोधन में दत्तात्रेय होसबाले ने पीओजेके पर 1947 में हुए पाकिस्तानी आक्रमण और उसके बाद की स्थिति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उस समय मीरपुर, मुज़फ़्फ़राबाद, भिम्बर, कोटली आदि स्थानों से हिन्दू और सिखों का नरसंहार हुआ, महिलाओं पर अनेक अत्याचार किये गए, भारतीय सेना के वीर जवानों ने राजौरी, पुंछ और बारामुला के क्षेत्रां को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त करवाया। उन्होंने कहा कि हम कैसे भूल सकते हैं बड़गाम के युद्ध में वीरता का परिचय देने वाले प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, पुंछ के रक्षक के रूप मे प्रसिद्ध ब्रिगेडियर प्रीतम सिंह, महावीर चक्र विजेता और झंगड़ के युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर मोहम्म उस्मान, स्कार्दू में मेजर शेर जंग थापा जैसे वीरों को और इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे हमारी सेना के अधिकारियों और जवानों ने बलिदान देकर जम्मू कश्मीर के बड़े क्षेत्र को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त करवाया था।दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि पीओजेके में रहने वाले लोग आज भी पीड़ित हैं वे अभी भी स्वतंत्र नहीं हैं, वे भारत की ओर देख रहे हैं।उन्होंने कोटली की घटना का स्मरण कराते हुए कहा कि 1947-48 में जब रणक्षेत्र में भारतीय फौजे लड़ रही थी तब भी जम्मू कश्मीर के लोग सेना के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कर अपना योगदान दे रहे थे। 

कोटली मे भारतीय सेना ने उस समय गोला बारूद से भरे बॉक्स एयर ड्राप किये किन्तु वो गलत जगह गिर गए। कोटली के बलिदानी धरमवीर खन्ना, वेद प्रकाश चड्ढा, प्रीतम सिंह और सुक्खा सिंह को कौन भूल सकता है जिन्होंने गोलियों की बौछार के बीच खुद जाकर गोला बारूद लाने का निर्णय लिया वो कामयाब भी हुए किन्तु गोलाबारी मे घायल हुए और बाद मे वीरगति को प्राप्त हुए। पुंछ के अमृत सागर ने स्थानीय लोगां को एकत्र कर भारतीय सेना की मदद के लिए प्रेरित किया था। नई पीढ़ी के लोगों को यह बातें याद रखनी चाहिए।कश्मीर में देशभक्त मकबूल शेरवानी के योगदान को उन्होंने अत्यंत स्मरणीय बताते हुए कहा कि कैसे शेरवानी ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए पाकिस्तानी फौज को रास्ता भटका दिया था। जिसके चलते पाकिस्तानी फौज को श्रीनगर पहुंचने में देर हो गयी।जब तक पाकिस्तानी फौज बड़गाम तक पहुंची तब तक भारतीय सेना ने मोर्चा संभाल चुकी थी। इस संदर्भ में दत्तात्रेय होसबाले ने कश्मीर के छुरा नाम से गांव उल्लेख करते हुए कहा कि यहां पर पाकिस्तानी आक्रमण की वजह से अपने गाँवों को छोड़ कर सिख इक्कठा हुए थे। 

जब पाकिस्तानी फौज यहाँ पहुंची तो. ऐसे विकट समय में एक स्थानीय कश्मीरी सिख महिला बीबी नसीब कौर के नेतृत्व में सिख महिलाओं ने पुरुषां का वेष धारण कर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ युद्ध लड़ा था, यहां पर 402 सिख महिला, बच्चों और पुरुषों ने अपने प्राणों का बलिदान देकर पाकिस्तान के सामने घुटने नहीं टेके  थे।उन्होंने कहा कि भारत की यह मिट्टी अथवा जम्मू कश्मीर एक तीर्थ क्षेत्र हैं। यह श्रद्धा का स्थान है। जैसा आज कार्यक्रम हुआ है इस प्रकार के कार्यक्रम यहां के लोगों के लिए पूरे देश में होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के हमले के कारण आज जम्मू कश्मीर और लद्दाख का बहुत बड़ा क्षेत्र पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। वहां से विस्थापित हुए लाखों लोग आज जम्मू कश्मीर और शेष भारत में रह रहे है। विस्थापितों का शायद हि ऐसा कोई परिवार होगा जिसने अपने परिवार में से किसी न किसी सगे सम्बन्धी को ना खोया हो। इतनी भयंकर त्रासदी झेलने की बाद भी इस समाज ने अपना धैर्य नहीं खोया। वे दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने की जद्दोजहद में लग गए। 

विस्थापित होने के बाद भी जम्मू कश्मीर में इनका योगदान सराहनीय हैं। पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर, पीओजेके के लोग स्वतंत्र भारत के जम्मू कश्मीर के पहले पीड़ित है और उनको न्याय मिलना चाहिये।दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी हिन्दुओं के साथ जो अत्याचार किए गए हैं वो सभी जानते हैं। अविश्वसनीय यातनाएं कश्मीरी हिंदुओं को दी गयीं जिससे वे घाटी छोड़कर चले जाएं और वैसा ही हुआ। यातनाओं का सिलसिला तो काफी पहले शुरू हो गया था, अपनी मिट्टी से प्यार करने वाले इन हिंदुओं ने जब कश्मीर नहीं छोड़ा तो उनको अमानवीय यातनाएं झेलनी पड़ीं। कश्मीर हिंदुओं के बलिदान को भी उन्होंने नमन किया।उन्होंने कहा कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना ने शौर्य, पराक्रम और देशभक्ति का परिचय देते हुए 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इसके बावजूद पाकिस्तान ने दोबारा 1999 मे एक बार पुनः जम्मू कश्मीर के कारगिल क्षेत्र पर आक्रमण किया था। किन्तु भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के समक्ष पाकिस्तानी टिक नहीं पाए। 

मेजर सौरभ कालिया, कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट बलवान सिंह, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पाण्डेय, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव, मेजर राजेश अधिकारी, मेजर विवेक गोता, नायक दिगेंद्र कुमार, राइफ़ल मैन संजय कुमार के योगदान को हमें हमेशा स्मरण करना चाहिए। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हमें ऐसे बलिदानियों और वीर सपूतों से प्रेरणा लेनी चाहिए। एसे बलिदानियों के परिवारों के साथ देश और समाज खड़ा रहे यह आवश्यक है।होसवाले ने कहा कि 1999 की कारगिल युद्ध में हमारें जवानों ने जिस अदम्य साहस से दुश्मन से लोहा लिया उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लदाख की देशभक्त जनता भी लगातार आंतरिक और बाहरी दोनों चुनोतियों से संघर्षरत रही है। इसी परंपरा का निर्वाहन हमारे लद्दाख के स्थानीय नागरिकों ने कारगिल युद्ध के दौरान भी किया। कारगिल युद्ध के समये सेना को पहाड़ां पर रसद पहुचाना बहुत महत्वपूर्ण था और ये जिम्मेदारी लद्दाख के देशभक्त पोर्टरों ने लेकर कारगिल युद्ध की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। यह प्रमाणित करता है कि देशभक्ति चित्रों में और प्रदर्शनी में नहीं होती, सामान्य पोर्टर कैसे देश की रक्षा के लिए खड़ा हो जाता है, यह देशभक्ति है।

उन्होंने कहा कि अलगाववाद व आतंकवाद कमजोर हुआ है किंतु समाप्त नही हुआ, निराश हताश आतंकी अपनी शैलियों में परिवर्तन कर रहे हैं, ऐसे में सुरक्षा बल तो लगातार सतर्क रहकर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, परन्तु हमारे समाज को भी वर्तमान चुनौतियों को समझ कर अपना जवाब देना होगा। अनुच्छेद 370 को अप्रभावित बना दिया गया और 35-ए हट चुका है।जम्मू कश्मीर मे रहने वाले दलितों, महिलाओं, एस टी, वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी, गोरखा सभी के विरुद्ध था। इसके विरुद्ध भी राज्य की जनता ने एक लम्बा संघर्ष लड़ा और अन्त में विजय पायी। आज एस टी को पोलिटिकल रिजर्वेशन मिल गया है, महिलाओं को सामान अधिकार मिले हैं, दलितों को अब वे सारे अधिकार हैं जो उन्हें देश में हर जगह मिलते है। ओबीसी को चिन्हित करने का कार्य किया जा रहा है। डीडीसी के चुनाव हुए हैं, जिसमें, एसटी, महिलाओं को सही भागीदारी मिली। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि दुनिया के सामने भारत को खड़ा करने का आज स्वर्णिम अवसर आया है। 

देश में सकारात्मक परिवर्तन की लहर है। भारत खड़ा करने के लिए समाज के योगदान का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समाज अपनी जागरुकता और प्रतिबद्धता के साथ वीर सैनिकों और बलिदानियों के परिवारों के साथ खड़ा रहे। बलिदानियों के परिवारों के प्रोत्साहन की ज़िम्मेदारी सरकार के साथ साथ समाज भी लें, संस्थानों के नाम, स्मारक इत्यादि अमर बलिदानियों के नाम पर रखे जायें, बलिदानियों के जन्मदिन तथा पुण्यतिथि सामूहिक उत्सव की तरह मनायें जायें, 15 अगस्त, 26 जनवरी इत्यादि राष्ट्रीय उत्सवों के कार्यक्रमों में बलिदानियों को अवश्य याद करें। साहित्य, कहानी, लोकगीत इन बलिदानियों के नाम पर बने, ऐसे कार्यों के लिए हमें संकल्पवद्ध रहना चाहिए।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि अब भारत विश्व का एक ताकतवर देश है। देश का अहित चाहने वाली विदेशी ताकतों को कड़ा सबक सिखाया जायेगा। अगर युद्ध होता है तो दुश्मन को मिट्टी में मिला दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राधनमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को अब विश्व में गंभीरता से लिया जाता है। उन्होंने जेकेपीएफ की कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भी सराहना की।

रक्षा मंत्री ने कहा कि कई युद्धों में मात खाने के बाद भी गिद्धदृष्टि रखने वाले पाकिस्तान को हमारी ताकत का अंदाजा है। पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के पायलेट अभिनंदन को रिहा कर उसका प्रमाण दिया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री का बयान था कि अगर पाकिस्तान ने रात 9 बजे से पहले अभिनंदन को नहीं छोड़ा तो भारत पाकिस्तान पर हमला कर देगा।उन्होंने पाकिस्तान को इशारों में कहा कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर भारत का अटूट अंग है। पीओजेके भारत का हिस्सा था और रहेगा। यह कैसे हो सकता है कि श्री अमरनाथ हमारे पास हों और मां शारदा पीओजेके में हो। रक्षा मंत्री ने देश के लिए बलिदान देने वाले सभी वीरों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बलिदानियों के परिजनों को पूरा सम्मान देना जनता की राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। इस संदर्भ में उन्होंने मेजर मोहम्मद उसमान, मेजर सोमनाथ, मेजर शैतान सिंह और मेजर बिक्रम बत्रा की वीर गाथाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के मौजूदा स्वरुप को बनाए रखने में सेना के जवानों का अहम योगदान रहा है।

चीन व पाकिस्तान से लड़े गए युद्धों का हवाला देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब विश्व का एक ताकतवर देश है। कोई भी दुश्मन हमारी ओर अब आंख उठाकर नहीं देख सकता है। उन्होंने कहा कि चीन ने कई ऐसी गतिविधियां की है जिससे साबित हुआ है कि उसकी नीयत ठीक नहीं है। भारतीय सेना पहले भी कई आपरेशन कर चुकी है और भविष्य में कोई जरूरत पड़ी तो सैन्य अभियान चलाए जाएंगे। हालांकि 1962 की गल्तियों का खामियाजा आज तक देश भुगत रहा है। उस समय की नेहरु के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीति पर भी राजनाथ सिंह ने सवाल उठाए।राजनाथ सिंह ने भारत-चीन के बीच सैन्य तनाव के दौरान भारतीय जवानों के शौर्य और पराक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि अब भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रक्षा बजट में से 68  प्रतिशत रक्षा उपकरणों की खरीद भारत में निर्मित उत्पादों की ही होगी। भारत पहले रक्षा क्षेत्र में उपकरणों का आयात करने वाला विश्व में नंबर एक का देश था लेकिन अब भारत उन प्रथम 25 देशों की सूची में आ गया है जो रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं।

 

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